दिल्ली के कालकाजी मंदिर के पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट में रामलीला आयोजन में लगने वाले अड़ंगे को लेकर याचिका डाली है। पुजारी ने कहा है कि उनके इलाके में लोगों के इकट्ठा होने पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत रोक लगाई है, इसके कारण रामलीला का आयोजन नहीं हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में केंद्र सरकार ने बताया है कि उसने यह आदेश वापस ले लिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मानस नमन सेवा समिति के सचिव और कालकाजी मंदिर के पुजारी सुनील ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डाली है। पुजारी सुनील ने कहा है कि उनकी समिति दिल्ली के चिराग इलाके में प्रति वर्ष रामलीला का आयोजन करती है।
उन्होंने कहा है कि इस बार दिल्ली पुलिस ने 30 सितम्बर, 2023 से लेकर 5 अक्टूबर तक दिल्ली के भीतर धरना प्रदर्शन समेत ऐसे सभी आयोजनों पर रोक लगाई है। इसी के अंतर्गत 5 या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इसी कारण रामलीला आयोजित करने में भी समस्या आने वाली है।
याचिका में कहा गया कि दशहरा और नवरात्रि आने वाले हैं और दिल्ली पुलिस की रोक ऐसे त्योहारों और धार्मिक समारोहों पर बंधन लगाएगी। याचिका में माँग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में दिल्ली पुलिस के आदेश पर अपना निर्णय सुनाए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली पुलिस का आदेश दिल्लीवासियों के मन में डर भर रहा है। यह भी कहा गया कि इससे दिल्ली में रहने वाले लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं को लेकर चिंतित हैं। याचिकाकर्ता ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि वह जिम्मेदारी से बच रही है।
इस मामले में गुरुवार (5 अक्टूबर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली पुलिस उसके अंतर्गत आती है और उसने यह आदेश वापस ले लिया है। कोर्ट को इस विषय में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जानकारी दी है।
गौरतलब है कि 30 सितम्बर, 2024 को दिल्ली पुलिस ने एक आदेश पारित करते हुए राजधानी के नई दिल्ली, उत्तर और मध्य जिले के भीतर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 लागू कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि वक्फ बिल, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव और बाकी स्थितियों के कारण दिल्ली का माहौल संवेदनशील है।
क्या है BNSS की धारा 163?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धरा 163 के तहत जिला मजिस्ट्रेट या फिर राज्य सरकार आगामी खतरे को भाँपते हुए सामान्य गतिविधियों पर रोक लगा सकती है। इसके अंतर्गत लोगों को एक जगह इकट्ठा होने, उनके धरना प्रदर्शन में भाग लेने या ऐसी अन्य गतिविधि से रोका जा सकता है। यदि कोई इस व्यवस्था का उल्लंघन करता है तो पुलिस उस पर कार्रवाई कर सकती है। पुरानी व्यवस्था में भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत यह धारा 144 कही जाती थी। नई व्यवस्था के तहत यह BNSS की धारा 163 बनाई गई है।