कर्नाटक में शुरू हुए बुर्के विवाद के कनेक्शन धीरे-धीरे इस्लामी कट्टरपंथियों से जुड़ते जा रहे हैं। पिछले दिनों एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि कैसे हिजाब पहन कर क्लास में बैठने की जिद्द करने वाली मुस्लिम छात्राएँ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के छात्र संगठन ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ से संपर्क में आई थीं। उसके बाद उन्हें हिजाब पहनने का ख्याल आना शुरू हुआ और इसके बाद उन्होंने अपनी स्कूल यूनिफॉर्म रूल्स को ताक पर रख कर अपनी जिद्द पकड़ ली। उनके द्वारा शुरू किए गए इस बवाल के बाद जब हिंदुओं ने इसका विरोध किया, तो कुछ जगह उन पर पत्थरबाजी हुई और एक जगह एक मुस्लिम छात्रा हिंदू भीड़ के आगे आकर अल्लाह-हू-अकबर का नारा देकर पाकिस्तान तक में फेमस हो गई।
हिजाब पहनने की माँग शुरू हुई CFI काउंसलिंग के बाद
बता दें कि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज में 150 के करीब मुस्लिम छात्राएँ हैं लेकिन कभी ऐसी माँग नहीं की गई। कॉलेज के अनुसार, ये 8 लड़कियाँ सीएफआई से जुड़ी हुई हैं। लड़कियों ने भी माना है कि इन्होंने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के लोगों से काउंसलिंग ली थी। इनका कहना है कि शुरू में इन्हें लगा कि इनके अभिभावकों ने कोई फॉर्म साइन किया है जिसमें हिजाब पहनना प्रतिबंधित है। लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा कुछ नहीं है। लड़कियों के अनुसार हिजाब के लिए उनके घरवालों ने कॉलेज से बात की थी मगर उसकी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए वह स्कूल में खुद ही हिजाब पहनकर आ गईं। रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर के माह में कुछ मुस्लिम लड़कियों ने एबीवीपी के प्रोटेस्ट में भाग लिया था। जब पीएफआई ने इसे देखा तो वो नाराज हो गए और बताया कि मुस्लिमों को नहीं पता था कि वो एबीवीपी का प्रदर्शन है। उनकी सीएफआई द्वारा काउंसलिंग कर दी गई है।
#AllahuAkbar@JamiatUlama_in हिजाब मुस्लिम महिलाओं का एक बुनियादी अधिकार है जिससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता।@JamiatUlama_in announced Reward of Rs. 5 Lakh to BiBi Muskan Khan of PES College Mandya.#KarnatakaHijabRow pic.twitter.com/RZxKDwgOk3
— Jamiat Ulama-i-Hind (@JamiatUlama_in) February 8, 2022
सऊदी से फंड पाने वाले संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद चाहता है स्कूलों में बुर्का
जानकारी के अनुसार, इस पूरे मामले में न केवल कट्टरपंथी समूह पीएफआई का छात्र संगठन अपनी भूमिका अदा कर रहा है बल्कि जमात-ए-इस्लामी हिंद भी लड़कियों को हिजाब पहनाने के लिए सक्रिय है। 30 दिसंबर 2021 को इसके छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन’ ने प्रशासन अधिकारियों से इस्लामी ड्रेस कोड लागू करवाने के लिए मुलाकात की थी। ये जमात-ए- इस्लामी हिंद के बारे में बता दें कि इन्हें इस्लामी ड्रेस कोड लागू करवाने के लिए सऊदी अरब से पैसा आता है। ये खुलासा पिछले वर्ष क्लबहाउस चर्चा के समय हआ था कि इन संगठनों को जेद्दाह की अब्दुल आजिज यूनिवर्सिटी से फंड आता है। इस संगठन को भारत सरकार ने बैन भी किया हुआ है
अल्लाह-हू-अकबर कहने वाली मुस्कान को जमीयत उलेमा-ए-हिंद से 5 लाख रुपए का इनाम
इतना ही नहीं, हाल में चल रहे विवाद में एक मुस्कान खान की वीडियो वायरल हुई थी जो हिंदू भीड़ के सामने जाकर अल्लाह हू अकबर का नारा लगा रही थी। उसकी वीडियो देखने के बाद कट्टरपंथियों का परा समूह इतना खुश है कि मुस्कान खान को 5 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की है। जमीयत उलेमा ए हिंद के ट्वीट में देखा जा सकता है कि हिजाब को बुनियादी अधिकार बताते हुए कहा गया कि इससे किसी को वंचित नहीं रखा जा सकता। बुर्का पहन सड़क पर उतरी मुस्कान खान की तारीफें पाकिस्तान में भी हुई हैं। उनके द्वारा लगाए गए अल्लाह हू अकबर के नारे को ‘हिंदुत्व को जवाब’ बताया जा रहा है। मुश्ताक अहमद उसके लिए लिखथे हैं कि ये लड़की हिंदुत्व के घोर अंधेरे में उनके लिए एक उजाला है।