झारखण्ड के चतरा स्थित राजेपुर थाना क्षेत्र के जमरी गाँव में हिन्दुओं ने दूसरे समुदाय के कुछ लोगों द्वारा गोहत्या करने और फिर गोमांस को कुएँ में फेंक देने का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर दोनों पक्ष में हिंसा हुई। 27 मई को पुलिस को जैसे ही दोनों पक्षों के बीच हिंसा की सूचना मिली, उसने मौके पर पहुँच कर स्थिति को नियंत्रित किया। एसपी ऋषभ झा ने भी गाँव पहुँच कर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद उसी दिन दोनों पक्षों ने अलग-अलग थाने जाकर ज्ञापन सौंपा।
हिंदुओं की तरफ से जो एफआईआर दर्ज कराई गई है, उसमें गोमांस या गोहत्या का जिक्र नहीं है लेकिन उनके द्वारा सौंपे गए ज्ञापन (इसकी कॉपी आपइंडिया के पास है) में यूनुस मियाँ द्वारा ‘प्रतिबंधित माँस’ छिपाए जाने की बात कही गई है।
चतरा पुलिस का कहना है कि गाँव में अफवाह की वजह से तनाव की स्थिति बन गई थी, जिसे पुलिस ने समय रहते संभाल लिया। ये घटना बुधवार (मई 27, 2020) की है, जब जमरी में एक युवक विपिन ने अपने साथियों को सूचना दी कि दूसरे मजहब के स्थानीय लोगों ने दो गायों की हत्या कर दी है। गोहत्या की बात से हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं की ठेस पहुँची और उन्होंने वहाँ जाकर विरोध जताया। इसके बाद उन्हें पता चला कि गोमाँस को कुएँ में फेंक दिया गया है।
क्या कहना है हिन्दुओं का?
इस सम्बन्ध में हमने हिन्दू पक्ष की ओर से तहरीर देने वाले दीपक कुमार से बातचीत की, जिन्होंने कहा कि दूसरे मजहब के लोगों द्वारा गोहत्या किए जाने से वो आक्रोशित थे। उन्होंने बताया कि 26 मई की रात को ही चतरा जिले के राजेपुर थानाक्षेत्र में गोहत्या की गई थी। जब हमने उन्हें पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि दूसरे मजहब के लोगों ने गोहत्या की थी तो उन्होंने बताया कि इसकी सूचना उन्हें विपिन राजन ने दी थी। विपिन इस मामले में फ़िलहाल जेल में बंद हैं। बकौल दीपक, विपिन ने ही कुछ देखा-सूना था, जिससे उन्हें पता चला कि गोहत्या हुई है।
विपिन रजक बजरंग दल के सदस्य हैं और जहाँ ये घटना हुई, वहीं उनका घर भी है। दीपक ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले इसकी सूचना प्रशासन को दी, जिसके बाद अगली सुबह पुलिस पहुँची भी थी। हिन्दुओं का आरोप है कि पुलिस ने मामले को रफा-दफा कर दिया और फिर चली गई। पुलिस का कहना है कि वहाँ कोई गोमाँस नहीं मिला था और ये एक महज अफवाह थी। राजपुर के थानाध्यक्ष विकास पासवान ने इसे अफवाह करार दिया है।
जबकि दीपक कुमार का कहना है कि उनके साथ तीन अन्य लोग थे, जिन्होंने कुआँ में गोमाँस होने की बात पता चलने के बाद वहाँ जाकर देखना उचित समझा। उनका कहना है कि वो लोग कुआँ में झाँक कर देख रहे थे ताकि पता चल सके कि गोमांस डाला गया है या नहीं। इतने में लगभग 200 की संख्या में दूसरे समुदाय के लोग (पुलिस को सौंपे ज्ञापन के अनुसार) लाठी और तलवार लेकर आ गए और ललकारने लगे। उनका कहना है कि वो सभी कुएँ से 100 मीटर की दूरी पर बैठे हुए थे, तभी उन लोगों ने मिल कर हमला कर दिया।
दीपक ने आगे बताया कि उन चारों का लड़ाई-झगड़े का कोई मूड नहीं था और वो बस देखने गए थे लेकिन समुदाय विशेष के लोगों ने उनकी पिटाई शुरू कर दी। दीपक के सिर में टाँके लगे हैं। विपिन को भी मार पड़ी, जो फ़िलहाल जेल में बंद हैं। दीपक ने बताया कि वो लोग विपिन पर ज्यादा पिले हुए थे और उन्हें काट डालने की बात कर रहे थे। उन्हें बचाने के क्रम में दीपक के सिर पर भी लाठियों से वार किया गया, ऐसा उनका कहना है।
इसके बाद दीपक, विपिन और उनके साथियों ने अपने गाँव के हिन्दुओं को इसकी सूचना दी। समुदाय विशेष के लोगों के हमले के जवाब में इनकी तरफ से पत्थरबाजी की गई। दीपक ने कहा कि इसी बीच पुलिस वहाँ पर पहुँची और दोनों पक्षों को वहाँ से खदेड़ा गया। हिन्दू और दूसरे पक्षों ने अलग-अलग केस दर्ज कराया। हिन्दू पक्ष ने भी स्वीकार किया कि उस समय तात्कालिक तनाव को कम करने के लिए प्रशासन ने एक्शन लिया और जमरी में अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती कर के कर्फ्यू लगा दिया।
दीपक ने कहा कि इससे पहले भी एक बार इस तरह की घटना हो चुकी है, जब उनके कई मित्रों को पुलिस ने जेल में बंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि तब रुपए जुटा कर किसी तरह उन सबको छुड़ाया गया था। वो पूछते हैं कि आखिर वो कब तक इस तरह से रुपए ख़र्च कर के अपने लोगों को छुडाते रहेंगे? साथ ही दीपक ने इस बार भी पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि थाने का लॉकअप और जेल में दूसरे मजहब के पक्ष के कैदियों को तो फोन वगैरह जैसी सुविधाएँ मिल रही है जबकि विपिन को कष्ट सहना पड़ रहा है।
एक अन्य ग्रामीण सुमन सौरभ ने बताया कि कुएँ का पानी लाल हो गया था, जिसके बाद हिन्दुओं ने आपत्ति दर्ज कराई और विरोध किया था। गोमाँस को उसमें ही फेंका गया है, ऐसी हिन्दुओं की पूरी शंका है। उन्होंने इस घटना के बारे में कहा कि ईद के कारण गोहत्या की गई थी जबकि झारखण्ड में गोहत्या पर सज़ा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि एक टूटे-फूटे घर में गायों को मारा गया था। आरोप लगाया गया कि जब वो इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास गए तो पुलिस ने कहा कि सबूत लेकर आओ।
सुमन ने आगे बताया कि गाय की हड्डी वगैरह को पुआल से ढक दिया गया था। सच्चाई सामने लाने के लिए हिन्दुओं ने बाल्टी वगैरह लेकर कुएँ में से उसे निकालने की कोशिश की, जिसके बाद हमला हुआ। सुमन कहते हैं कि हिन्दुओं पर अड्डेबाजी, छेड़खानी और एक महिला का चेन लूटने के झूठे आरोप लगाए गए। उन्होने कहा कि आजकल झारखण्ड में हेमंत सोरेन की सरकार है, जिसका रुख इन चीजों को लेकर उलटा है।
ग्रामीणों ने पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया है। हिन्दू पक्ष ने चतरा के राजेपुर थाने के घेराव की भी बात कही क्योंकि उनका कहना है कि जिन 97 आरोपितों के नाम दिए गए हैं, उनमें से मात्र 1 को पकड़ा गया है। सुमन ने पूछा कि पुलिस सच्चाई से क्यों भाग रही है? कुएँ की तलाशी क्यों नहीं ली जा रही है?
दूसरे समुदाय वाले क्या कहते हैं?
समुदाय विशेष के स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने गोमांस न तो कहीं छिपाया और न ही गोहत्या की। एक स्थानीय पत्रकार ने ऑपइंडिया को बताया कि दूसरे समुदाय ने हिन्दुओं पर आरोप लगाया है कि वे लोग वहाँ जाकर अड्डेबाजी कर रहे थे। एफआईआर कॉपी के अनुसार, दूसरे मजहब के पक्ष का आरोप है कि आरोपित वहाँ लूटमार करने के इरादे से गए थे और इससे पहले कि वो कुछ और करते, पुलिस ने समय पर पहुँच कर उनकी जान बचा ली। साथ ही एक महिला के गले से उसका चेन लूटने का आरोप भी लगाया गया है।
चतरा गोहत्या कांड में पुलिस का क्या कहना है?
थाना प्रभारी विकास पासवान ने बताया कि कुएँ में गोमांस होने का अभी तक आरोप ही नहीं लगा है। अगर ऐसा होगा तो फिर पुलिस कुएँ में इसकी जाँच करेगी। उन्होंने इसे एक महज अफवाह करार दिया। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि पुलिस ने गाँव में जाकर सारी चीजों को वेरीफाई किया है और फिर कार्रवाई की है। अभी तक गोमांस मिलने या गोहत्या होने वाली सूचना की पुष्टि नहीं हो पाई है। एसपी रिषभ झा का कहना है कि पुलिस की सजगता से एक बड़ी वारदात टल गई।
पुलिस ने जानकारी दी है कि पूरे गाँव में सैट, जैप व जिला पुलिस जवानों के साथ फ्लैग मार्च किया गया, ताकि शांति बहाली हो सके। एसपी ने अपील की है कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और अफवाहों से बचें। साथ ही उन्होंने अफवाह फैलाने वालों को कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में न तो किसी निर्दोष को फँसने दिया जाएगा और न ही किसी दोषी को पुलिस द्वारा बख्शा जाएगा।
एसपी झा ने कहा है कि अगर किसी को कोई भी सूचना मिलती है तो उसकी जानकारी त्वरित रूप से पुलिस को मुहैया कराएँ, पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। पुलिस को अब तक कोई भी पशु या फिर उसका मांस नहीं मिला है, ऐसा अधिकारियों का कहना है।