भीमा कोरेगाँव मामले में आरोपित अर्बन नक्सली गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने ख़ुद को अलग कर लिया है। भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा ख़ुद को सामजिक कार्यकर्ता बताता है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उसने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सीजेआई गोगोई ने कहा है कि इस मामले को उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिस पीठ का वह हिस्सा नहीं हों।
13 सितम्बर को हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को 2 सप्ताह तक गिरफ़्तारी से राहत प्रदान की थी। इस अवधि में उसके पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प था। सोमवार (सितम्बर 30,2019) को सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को इस मामले पर सुनवाई करनी थी। पुणे पुलिस की एफआईआर में गौतम नवलखा और नक्सलियों के बीच साँठगाँठ की बात कही गई है। इस मामले को चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष पेश किया गया था।
महाराष्ट्र सरकार ने अनुरोध किया था कि इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने से पहले उसकी बात सुनी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार करते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में विस्तृत जाँच की ज़रूरत है। अर्बन नक्सलियों ने एल्गार परिषद का आयोजन किया था, जिसके बाद भीमा कोरेगाँव में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने कहा है कि गौतम नवलखा और अन्य आरोपितों ने सरकार गिराने की साजिश रची।
भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा की याचिका पर #SupremeCourt में सुनवाई टली. सीजेआई #RanjanGogoi ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया. अब अन्य बेंच मामले की करेगी सुनवाई.#BhimaKoregaon #ZeeHindustan
— ZEE HINDUSTAN (@Zee_Hindustan) September 30, 2019
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नवलखा सहित अन्य आरोपितों पर ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की जा रही है। सुधा भरद्वाज, वरवरा राव, अरुण फरेरा और वेर्नोन गोंसाल्विस इस इस मामले के अन्य आरोपित हैं। इन सभी अर्बन नक्सलियों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने का मामला चल रहा है।