उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को कानपुर पहुॅंचे। उन्होंने पुलिस लाइन पहुॅंचकर गुरुवार रात जान गॅंवाने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के आठ लोगों की कानपुर स्थित चौबेपुर के बिकरू गाँव में हुए हमले में मौत हो गई थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने वीरगति प्राप्त हुए पुलिसकर्मियों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिसकर्मियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।
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— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 3, 2020
मुख्यमंत्री ने बताया कि कानपुर में डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ ही शीर्ष पुलिस अधिकारी तैनात हैं। दोषियों की धर पकड़ के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब तक विकास दुबे पकड़ा या मुठभेड़ में मार गिराया नहीं जाता है तब तक शीर्ष अधिकारी कानपुर से नहीं लौटेंगे।
सीएम योगी ने मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए सभी पुलिसकर्मी के परिवारों को एक करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा की है। साथ ही परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी और पेंशन भी दिए जाने की बात कही है।
वहीं घटना के बाद यूपी के डीजीपी हितेशचन्द्र अवस्थी ने घटनास्थल का मुआयना किया। डीजीपी ने कहा कि मैं पुलिस परिवार का मुखिया हूँ। यह हमारे परिवार पर हमला है और हमारे परिवार के 8 लोग बलिदान हुए हैं। 24 से 48 घंटे में ऑपरेशन में लगी टीमें अपने अंजाम पर होंगी।
डीजीपी ने बताया कि प्रदेश के 7000 पुलिसकर्मीयों को इस ऑपरेशन में लगाया गया है। 24 से 48 घंटे के भीतर मुख्य आरोपी को पकड़कर कानूनी कार्यवाही अमल में लाएँगे। इस दौरान उन्होंने कहा कि गाँव के लोगों को अपराधियों का साथ नहीं देना चाहिए, यह उनके लिए आगे घातक साबित हो सकता है।
गाँव के यदि किसी व्यक्ति के अपराधियों से संबंध सामने आते हैं तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। ऑपरेशन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। साथ ही सीमाओं पर वाहनों की सघन चेकिंग की जा रही है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आठ कर्मियों की गुरुवार रात कानपुर के बिकरू गाँव में हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद से हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे चर्चा में है। पुलिस की टीम ने उसे गिरफ्तार करने के लिए आधी रात दबिश दी थी। लेकिन, विकास और उसके गुर्गों ने टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की।
विकास पर कम से कम 60 मामले दर्ज हैं। इनमें 53 हत्या और हत्या के प्रयास से जुड़े हैं। उस पर राजनाथ सिह की सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा रखने वाले संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या करने का भी आरोप है। हालॉंकि इस मामले में कोई गवाह नहीं मिलने पर उसे बरी कर दिया गया था।
विकास दुबे राजनीति में भी सक्रिय रहा है। सपा और बसपा के कई नेताओं से उसकी करीबी रही है। उसकी पत्नी सपा के टिकट पर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुकी है।