उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सतजित ‘टीले वाली मस्जिद’ को लेकर सेशन कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हरिशंकर जैन ये इस सम्बन्ध में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि ये ‘टीले वाली मस्जिद’ नहीं, बल्कि ‘लक्ष्मण टीला’ है। 2013 में इस सम्बन्ध में निचली अदालत में दायर याचिका को लेकर जो आदेश आया था, उसके विरुद्ध रिवीजन सूट दायर किया गया है। इसमें ‘लक्ष्मण टीला’ को हिन्दुओं को वापस सौंपने की माँग की गई है।
बता दें कि अदालत में ज्ञानवापी मामले में भी हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ही कर रहे हैं। उनके बेटे विष्णु शंकर जैन भी इस मामले में सक्रिय हैं। जैन ने अपनी याचिका में कहा है कि पूरे ‘टीला वाली मस्जिद’ के परिसर को ‘शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव’ कहा जाता है। उन्होंने बताया कि क्रूर मुग़ल बादशाह औरंगजेब के समय इसे ध्वस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने इसके बाद इससे सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।
मुस्लिम पक्ष ने इस सूट को रद्द करने की अपील की, जिसे कोर्ट ने नकार दिया। ये याचिका ‘शेषनागेस्थ टीलेश्वर महादेव विराजमान’ और ‘लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थभूमि’ की तरफ से दायर की गई है। रामरतन मौर्य, वेदप्रकाश त्रिवेदी, दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार त्रिपाठी और धनवीर सिंह याचिकाकर्ताओं में से हैं। इसमें ASI और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अलावा वक्फ बोर्ड और मौलाना फजुर रहमान को भी रेस्पोंडेंट बनाया गया है।
लखनऊ के टीले वाली मस्जिद मामले में रिवीजन अर्जी पर आज सुनवाई होगी@1chandniverma pic.twitter.com/eMIFMgqfCV
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) May 31, 2022
याचिका में माँग की गई है कि इस स्थान को हिन्दुओं को सौंप कर उन्हें पूजा-पाठ की अनुमति दी जाए और उनके दर्शन में बाधा डालने वालों को रोका जाए। 25 सितंबर, 2017 को निचली अदालत ने वाद के खिलाफ दायर प्रतिवादी की आपत्ति को ख़ारिज कर दिया था। मौलाना फजुर रहमान की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी मौलान फजलुल मन्नान को प्रतिवादी बनाया गया। इस मामले में आज भी अदालत में सुनवाई होनी है।