अक्सर देखा जाता है कि जब तक कोई गाय (Cow) दूध देती है तो लोग उसे घर में पालते हैं, लेकिन उसके बाद उसे खुला छोड़ दिया जाता है। लोगों की इसी उदासीनता के कारण ये गौधन सड़कों आवारा भटकती मिल जाती हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के दमोह जिले में रविवार को जब एक गाय (जिसका नाम हाथी है) की मृत्यु हुई तो सैकड़ों की संख्या में लोगों ने गाजे-बाजों के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना दमोह जिले के हटा की है। यहाँ हाथी के नाम से प्रसिद्ध गाय का निधन हो गया। इसकी जानकारी मिलते ही शहर के लोग इकट्ठे हो गए और उन सभी ने मिलकर पूरे रीति-रिवाज के साथ गाय की शव यात्रा निकाली। सुरभि गौशाला के गौ सेवक अंशुल तिवारी कहते हैं कि यह गया करीब डेढ़ साल पहले सड़की पर पड़ी मिली थी। बीमारी के कारण पूरी तरह से उसका शरीर जर्जर हो गया था। लेकिन बाद हटा भूतेश्वर महादेव मंदिर में चलाई जा रही गौशाला में उसे लाया गया।
गौशाला में लाने के बाद उसका इलाज शुरू कर दिया गया। करीब एक हफ्ते के इलाज के बाद आखिरकार गाय स्वस्थ हुई। लेकिन फिर भी कोई उसे लेने के लिए नहीं आया। गौशाला में गाय का बहुत ही अच्छे तरीके से ख्याल रखा जाता था, जिस कारण से जल्द ही वह हट्टी-कट्टी भी हो गई। इसी कारण से लोगों ने उसे ‘हाथी’ कहना शुरू कर दिया। गाय इतनी सीधी थी कि गौशाला में अगर किसी गाय की मौत हो जाती थी तो वो उसके बछड़ों को अपना दूध पिलाती थी। इसके अलावा छोटे बच्चे तक उसके थन में मुँह लगाकर दूध पी लेते थे। अपने इसी सीधेपन के कारण वो सभी के लिए चहेती बनी हुई थी।
हाल ही में ‘हाथी’ बीमार हो गई थी, जिसके बाद अब उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद गौसेवकों ने उसकी शव यात्रा निकालने का निर्णय लिया। इसके तहत उसके शव का श्रृंगार कर उसे लाल चुनरी और फूल-माला से सजाया गया और बैंड बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इस मौके पर लोगों ने गौमाता के जयकारे लगाए।