देश में वैक्सीन की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने कहा है कि अगर किसी विदेशी वैक्सीन को डबल्यूएचओ या किसी अधिकृत स्वास्थ्य संस्था से आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिली हुई है तो भारत में इन्हें लॉन्चिंग के बाद ब्रिज ट्रायल की आवश्यकता नहीं है।
01 जून 2021 को DGCI द्वारा नोटिस जारी किया गया जिसमें यह कहा गया कि यदि किसी वैक्सीन को जापान की PMDA, यूके की MHRA, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA), अमेरिका की FDA और डबल्यूएचओ द्वारा आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिली है तो उसे भारत में लॉन्चिंग के बाद ब्रिज ट्रायल की कोई आवश्यकता नहीं है। DGCI के द्वारा बताया गया है कि यह निर्णय देश में Covid-19 वैक्सीन प्रशासन के लिए गठित राष्ट्रीय एक्सपर्ट समूह (NEGVAC) की सलाह के आधार पर लिया गया है।
NEGVAC ने कहा था कि जिन वैक्सीनों को अमेरिका, यूरोप, जापान, ब्रिटेन और डबल्यूएचओ के द्वारा आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिल चुकी है वो पहले से ही करोड़ों लोगों को लगाई जा चुकी हैं। ऐसे में भारत में इनको अप्रूवल मिलने के बाद सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी में जाँच से छूट प्रदान की जानी चाहिए। मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने ऐसी छूट के लिए भारत सरकार से माँग की थी।
हालाँकि, DGCI के नोटिस में आगे कहा गया है कि बड़ी आबादी के लिए वैक्सीन के रोलआउट से पहले सात दिनों के लिए 100 लाभार्थियों पर सुरक्षा परिणामों का आकलन अभी भी जारी रहेगा।
यह निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत सरकार पर यह आरोप लगता रहा कि सरकार विदेशों से वैक्सीन खरीदने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। इस पर सरकार ने सफाई देते हुए कहा था कि हर वैक्सीन कंपनी की अपनी प्राथमिकताएँ होती हैं और विदेशी वैक्सीन कंपनियों के द्वारा वैक्सीन की उपलब्धता पर जानकारी देने के बाद भारत सरकार वैक्सीन के आयात पर बात आगे बढ़ा रही है।
इसके अलावा केंद्र सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार ने विदेशी वैक्सीनों को मंजूरी नहीं दी है। इस पर भी केंद्र सरकार ने कहा था कि जिन वैक्सीनों को वैश्विक स्तर पर आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिली है उनके लिए नियमों में ढील दी गई है।