उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को शुरू हुआ हिंदू विरोधी दंगा पूर्व नियोजित था। इसको अंजाम देने वाले भी पहले से ही तैयार थे। बता दें कि दंगे की नींव जनवरी में ही पड़नी शुरू हो गई थी। दंगे की लगभग सारी योजना जनवरी में ही बन गई थी।
23 फरवरी को दिल्ली के जाफराबाद में हुई एक घटना को हिंसा की पहली घटना माना जा सकता है, जिससे दिल्ली दंगों की शुरुआत हुई थी।
23 फरवरी को PTI की रिपोर्ट में कहा गया था कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की बड़ी भीड़ ने जब जाफराबाद रोड ब्लॉक कर दिया तो सीएए समर्थकों ने भी वहाँ पर प्रदर्शन शुरू किया। इस दौरान दोनों पक्षों में झड़प शुरू हो गई।
मौजपुर में दोनों पक्षों के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस को आँसू गैस के गोले दागने पड़े। तभी बीजेपी नेता के बुलाने पर बड़ी संख्या में भीड़ वहाँ आई, जिनकी माँग थी कि पुलिस तीन दिन के अंदर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को वहाँ से हटाकर रास्ता खाली करवाए।
ऑपइंडिया ने विशेष रूप से उन चार्जशीट को एक्सेस किया है, जो 23 फरवरी की घटनाओं की एक बहुत अलग तस्वीर पेश करती है।
चार्जशीट में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख है कि एंटी-सीएए विरोध प्रदशनों में शामिल मुस्लिमों ने उन लोगों पर पथराव और हिंसा करना शुरू कर दिया था, जो एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों द्वारा ब्लॉक किए गए सड़कों को फिर से खोलने की माँग कर रहे थे।
चार्जशीट में कहा गया है कि जाफराबाद के पास 66 फुट की सड़क को खोलने की माँग कर रहे व्यक्तियों का एक समूह 23 फरवरी को दोपहर करीब 3:00 बजे मौजपुर चौक पर इकट्ठा हुआ था। जहाँ वे इकट्ठे हुए थे, वह जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से लगभग 750 मीटर दूर था।
आगे चार्जशीट में खुलासा किया गया है कि जाफराबाद और कदमपुरी के निवासी, जो जाफराबाद मेट्रो स्टेशन को ब्लॉक करने का समर्थन कर रहे थे, हजारों की संख्या में एकत्र हुए और सड़कों को खोलने की माँग कर रहे समूह के ऊपर पथराव करना शुरू कर दिया।
हालाँकि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आँसू-गैस के गोले दागे, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।
बहरहाल, चार्जशीट का यह हिस्सा साबित करता है कि हिंसा की घटनाएँ वास्तव में एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों द्वारा शुरू की गई थीं और दोनों समूहों के बीच कोई ‘झड़प’ नहीं हुई थी, जैसा कि पहले रिपोर्ट किया गया था।