24 और 25 फरवरी को हिंदू विरोधी दंगों के दौरान देश की राजधानी पूरी तरह दहल उठी थी। 53 लोगों ने अपनी जान गँवाई और सैकड़ों लोग घायल हुए। दो दिनों तक चले दिल्ली दंगों के मामले में स्पेशल सेल और दिल्ली पुलिस ने कई चार्जशीट तैयार की है। चाँद बाग़ दंगों के दौरान हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रो में रहा। इसके अलावा शिव विहार ऐसा इलाक़ा था जहाँ के हालात दंगों के वक्त बदतर थे।
शिव विहार तिराहा तीन पुलिस थानों के अंतर्गत आता है। करावल नगर, दयालपुर और गोकुलपुरी। शिव विहार तिराहे की एक सड़क मुस्तफाबाद की तरफ जाती है जो कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। दूसरी सड़क शिव विहार और बाबू नगर की तरफ जाती है, जहाँ मिली-जुली आबादी रहती है। जिन क्षेत्रों में हिंदू आबादी ज़्यादा है, वहाँ भी मुस्लिमों के घर बने हुए हैं। शिव विहार तिराहे पर हुई हिंसा हिंदुओं के लिए भयावह थी।
24 फरवरी की दोपहर में जिस पहले व्यक्ति का शव मिला था, वह था दिलबर नेगी। उसके हाथ-पैर काट दिए गए थे और राजधानी स्कूल के सामने स्थित अनिल स्वीट्स में उसका शरीर जला दिया गया था।
हिंसा के दौरान भयावह नज़ारा सामने आया शिव विहार चौराहे स्थित राजधानी स्कूल की छत से। इस स्कूल के मालिक का नाम है फैजल फारुख। इस स्कूल की छत से इस्लामी भीड़ ने गोलियाँ चलाई, एसिड की बोतलें फेंकी और पत्थर भी चलाए। दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के मामले में जो पहली चार्जशीट दायर की गई थी, उसका संबंध राजधानी स्कूल में हुई हिंसा की घटनाओं और 24-25 फरवरी के दिन हुई घटनाओं से भी था। इस मामले में यतेन्द्र शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी जो की डीआरपी स्कूल के मालिक हैं। डीआरपी स्कूल, राजधानी स्कूल के ठीक बगल में स्थित था।
डीआरपी स्कूल का मालिक एक हिंदू व्यक्ति था। राजधानी स्कूल की छत पर मौजूद भीड़ ने डीआरपी स्कूल को काफी नुकसान पहुँचाया था। उस दिन पुलिस कंट्रोल रूम को जितने भी फोन किए गए थे, उसमें ज़्यादातर डीआरपी स्कूल से धर्मेश शर्मा ने ही किए थे। पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में डीआरपी स्कूल के गार्ड का बयान भी दर्ज है। इससे दिल्ली दंगों के दौरान हिंदुओं के खिलाफ़ रची गई साज़िश का खुलासा होता है।
गार्ड ने अपने बयान में कहा, “जैसे ही वह डीआरपी स्कूल का मुख्य द्वार बंद करने गया तभी उसने देखा राजधानी स्कूल के सामने भारी संख्या में मुस्लिम लोग खड़े थे। उनके साथ राजधानी स्कूल का मालिक फैजल फारुख भी था। फैज़ल उस वक्त अपनी दो पहिया गाड़ी पर बैठा था। उसने राजधानी स्कूल के गार्ड (जो खुद हिन्दू था और उसकी पहचान छुपाई गई है) से कहा कि मुस्लिमों को स्कूल में दाखिल होने दिया जाए।”
इसके बाद डीआरपी स्कूल के गार्ड ने जो कहा वह हैरान कर देने वाला था। उसने फैज़ल को यह कहते हुए सुना “आज देख लेंगे हिंदुओं को।” इसके बाद फैज़ल के साथ मौजूद मुस्लिमों की भीड़ कई तरह के हथियारों के साथ डीआरपी स्कूल में दाखिल हुई। इसके बाद मुस्लिम दंगाइयों ने उसकी तरफ देखा और एक ने चीखते हुए कहा “शाहरुख भाई वह रहा हिंदू, मारो साले को।” इसी तरह एक और चश्मदीद ने (उसकी पहचान भी इस रिपोर्ट में छुपाई जा रही है) अपना बयान दर्ज कराया था।
उसने भी गार्ड के बयान से अलग कुछ नहीं बताया, दोनों ने लगभग एक घटनाक्रम ही बताया। उसने बयान में कहा कि उसने 24 फरवरी की दोपहर 2 बजे के आसपास फैज़ल को उसके कई मुस्लिम साथियों के साथ राजधानी स्कूल के सामने देखा। इसके बाद फैज़ल के साथियों ने राजधानी स्कूल के भीतर दाखिल होने की बात कही। इसके अलावा चश्मदीद ने फैज़ल को यह कहते हुए सुना “आज देख लेंगे हिंदुओं को।” एक चश्मदीद ने फैज़ल के उस ड्राइवर की भी पहचान की जिसने दंगों के दौरान डीआरपी स्कूल को तबाह करने में अहम भूमिका निभाई थी।
हिंदुओं के खिलाफ़ लॉन्च पैड की तरह इस्तेमाल किए गए राजधानी स्कूल के हिंदू गार्ड ने भी घटनास्थल पर कई मुस्लिमों के साथ फैजल की मौजूदगी की पुष्टि की थी। उसने कई बार स्कूल के भीतर दाखिल होने की बात कही थी। जैसे ही गार्ड ने मुस्लिम भीड़ को आते हुए देखा और अपने परिवार वालों के साथ वहाँ से भाग निकला।
दंगों के दूसरे दिन जब फैज़ल उस हिन्दू गार्ड से मिला तब उसने गार्ड से कहा कि दंगाई उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाएंगे। लेकिन उस वक्त हिंदू गार्ड पर अपनी जान बचाने का डर हावी थी। जिसके कारण वह स्कूल गया ही नहीं। उसने चार्जशीट में इस बात का भी ज़िक्र है कि कैसे उसने सीसीटीवी फुटेज देख कर दंगाइयों को पहचाना।
चार्जशीट के मुताबिक़ एक खबरी की जानकारी के आधार पर पुलिस ने शाहरुख को पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के दौरान उसने दंगों में फैज़ल के शामिल होने की बात कबूल की। इसके अलावा उसने दंगों में खुद भी शामिल होने की बात स्वीकार की थी। सबसे रोचक बात यह थी कि उसने फैज़ल की पहचान उस वक्त की जब पुलिस उससे दूसरे मामले में पूछताछ कर रही थी। शाहरुख ने पुलिस की पूछताछ के दौरान यह भी बताया कि फैज़ल उससे एक बात हमेशा कहता था, अगर सीएए और एनआरसी लागू हो गया तो सारे मुस्लिम देश के बाहर कर दिए जाएँगे।
शाहरुख का कहना था कि फैज़ल ने उससे कह दिया था कि वह अपनी कौम के लिए किसी भी तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहे। शाहरुख के मुताबिक़ फैज़ल ने उसे हिंदुओं को ख़त्म करने के लिए 5 हज़ार रुपए दिए थे। उसने यह भी बताया कि फैज़ल के देवबंद से संबंध बहुत अच्छे थे और वह अक्सर वहाँ जाता रहता था।
चार्जशीट में इस बात भी भी ज़िक्र है कि राजधानी स्कूल के नज़दीक से जितने हथियार मिले थे उन्हें एक दिन में जमा नहीं किया जा सकता था। इतना ही नहीं फैज़ल अपने इलाके का नेता था, क्योंकि वह अमीर था और उसके पास संसाधन मौजूद थे। ऐसे लगभग हर मौकों पर वह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए योजना तैयार करता था। राजधानी स्कूल की इमारत बड़ी थी, इसलिए इसका इस्तेमाल हिंदुओं पर हमला करने के लिए किया गया।
चार्जशीट में यह लिखा है कि सीसीटीवी फुटेज में यह साफ नज़र आया कि जिस वक्त राजधानी और डीआरपी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिवावक उन्हें लेने आए, उस वक्त रास्ते पूरी तरह खाली थे। पूरी सड़क पर सन्नाटा पसरा था। इसका मतलब साफ़ था कि दंगे पूरी तरह सुनियोजित थे। दंगों के दूसरे दिन यानी 25 फरवरी को फैज़ल ने दंगाइयों में 2 हज़ार रुपए बाँटे। हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए उन लोगों की तारीफ़ भी की।
पूछताछ के दौरान फैजल फारुख ने खुद यह बात स्वीकार की कि सीएए और एनआरसी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ थे। इसलिए वह दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध-प्रदर्शन का सक्रिय रूप से हिस्सा बना रहा। चार्जशीट के मुताबिक़ उसने तमाम मौलवियों, पिंजरा तोड़, जेसीसी और इस्लामी आतंकी समूह पीएफआई के सदस्यों की बैठक की बात भी स्वीकार की। वह हर तरह की मदद और सहयोग के लिए पूरी तरह आश्वस्त था।
फैज़ल जेसीसी के माध्यम से सफूरा ज़रगर के संपर्क में भी था। जब सफूरा को दंगों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तब उसे बहुत सहानुभूति भी मिली। उस वक्त वह गर्भवती भी थी। इसके अलावा पिंजरा तोड़ के माध्यम से दिव्यांगना और नताशा नरवाल से फैज़ल मिला। अंत में उसकी मुलाक़ात पीएफआई दिल्ली के मुखिया मोहम्मद इलियास से भी हुई।
चार्जशीट के मुताबिक़ फैज़ल दंगों से एक दिन पहले 23 फरवरी की तारीख को देवबंद उत्तर प्रदेश गया था। वह सुबह 7 बजे दिल्ली से निकला था और रात 8 बजे वापस आ गया था। देवबंद इस्लामी कट्टरपंथियों का गढ़ माना जाता रहा है। साथ ही दारुल-उल-देवबंद का घर भी माना जाता है जहाँ से सुन्नी देवबंद इस्लामिक आन्दोलन की शुरुआत हुई थी। देश में कुछ भी इस्लाम विरोधी होने पर यहीं से ही फ़तवा भी जारी किया जाता है।
पुलिस का संदेह इस बात पर भी है कि फैज़ल का संबंध मरकज़ और तबलीगी जमात से भी हो सकता है। चार्जशीट पढ़ने के दौरान ऑपइंडिया को 13 ऐसे कॉल्स और मैसेज मिले जो फैज़ल और अब्दुल अलीम के बीच किए गए थे। अब्दुल अलीम मौलाना साद का करीबी रहा है। फिलहाल दिल्ली पुलिस इन पहलुओं की जाँच करने में जुटी हुई है।
पुलिस ने चार्जशीट में शिव विहार तिराहे में हिंदुओं के साथ हुई हिंसा की 6 घटनाओं का मुख्य रूप से ज़िक्र किया है,
- 24 फरवरी के दिन दिलबर नेगी का लगभग पूरा जला हुआ शरीर बरामद होना
- 24 फरवरी के दिन राहुल सोलंकी का गोली से घायल होना
- 25 फरवरी के दिन एसएसबी के जवानों पर एसिड फेंका गया
- 25 फरवरी के दिन शाम के 4:30 बजे वीर भान के सिर में गोली लगना। उस वक्त वह अपने दो पहिया वाहन से गुज़र रहा था
- 25 फरवरी के दिन शाम के 5 बजे दिनेश के सिर में गोली लगना
- 25 फरवरी के दिन ही रात के लगभग 10 बजे, आलोक के सिर में पत्थर की वजह से चोट लगी
दिल्ली दंगों के मामले में यह पहली ऐसी चार्जशीट जो दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर की गई थी। इसके जरिए ज़रिये तमाम तरह की जानकारी सामने आई है। यह बात खुद में कितनी हैरान कर देने वाली है कि कैसे महीनों पहले इन दंगों की योजना तैयार की गई। इसके बाद 24 और 25 फरवरी के दिन देश की राजधानी में इन दंगों को अंजाम दिया गया। इन दंगों की विस्तृत रिपोर्ट यहाँ पढ़ी जा सकती है।