शादी वाले घर में बेटी की शादी की तैयारियाँ चल रही थीं। रिश्तेदारों का जमावड़ा था। मेहमानों के स्वागत में दावत का इंतजाम किया जा रहा था। घर में कढ़ाई-छोलनी चल रही थी, मुँह में पानी लाने वाले तरह-तरह के व्यंजन हलवाई द्वारा बनाए जा रहे थे। लेकिन फ़िल्मी सीन की तरह कुछ ऐसा होता है कि पल भर में शादी वाले घर की खुशियाँ मातम में बदल जाती है। यह कोई आतंकी हमला नहीं था। बल्कि हमलावर घर के पड़ोस में रहने वाले वही अब्बा जान, भाई जान थे; जिनसे शादी वाले घर की बहन-बेटियाँ हर रोज दुआ सलाम करती थीं।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के उस हिंसा प्रभावित इलाके चाँद बाग और करावल नगर की, जहाँ दंगाइयों ने हिंदुओं के घरों को निशाना ही नहीं बनाया बल्कि उनकी दुकानों को पहले तो जमकर लूटा और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। लेकिन इस बीच सबसे दुखद और रुह कंपा देने वाली उस घटना को भी अंजाम दिया गया, जिसे जिस किसी ने भी देखा, वह अपने आँसू बहने से नहीं रोक सका। घटना थी ताहिर हुसैन के बराबर वाले मकान में चल रही बेटी की शादी की तैयारियाँ और फिर उसमें दंगाइयों के कारण पसरा सन्नाटा।
पार्किंग चलाने वाले घटना के चश्मदीद प्रदीप और उनके साथी बताते हैं, “सीएए विरोध के नाम पर बड़ी संख्या में मुस्लिम चाँद बाग नाले की पुलिया पर खड़े हुए थे, जिसे कवर करने के लिए एक मीडिया हाउस की इनोवा गाड़ी पुलिया के पास जैसे ही पहुँचती है, वैसे ही कट्टरपंथियों द्वारा उस पर पथराव शुरू कर दिया गया। इसी के साथ मजहबी भीड़ करावल नगर की ओर बढ़ गई। दोपहर का समय था, पार्किंग का शटर पूरा खुला हुआ था। बाहर मेन रोड की ओर से जोर-जोर से आवाजें आ रही थीं। हमने देखा तो बाहर दुकानों पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। हमने तुरंत अपने शटर को गिराया और अंदर एक कोने में जाकर खड़े हो गए, लेकिन शटर गिरने के बाद भी दंगाइयों ने रॉड की मदद से शटर को तोड़ दिया और अंदर प्रवेश कर गए।”
पार्किंग के अंदर घुसे दंगाइयों ने पहले तो प्रदीप और उनके साथी को रॉड से जमकर पीटा, जिससे प्रदीप लहूलुहान हो गए। देखते ही देखते दंगाइयों ने पार्किंग को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद दोनों जान बचाने के लिए छत की ओर भागे। वहाँ भी ताहिर की छत से दंगाई पत्थरबाजी कर रहे थे। इसके बाद दोनों ने अपनी जान बचाने के लिए दूसरी मंजिल से ही छलांग लगा दी, जिसमें प्रदीप गंभीर रूप से घायल हो गए।
वहीं दूसरी मंजिल पर एक हिंदू लड़की की शादी की तैयारियाँ चल रही थीं। मेहमानों के स्वागत सत्कार के लिए दर्जनों हलवाई लजीज व्यंजन बनाने में लगे हुए थे। इतने में ही ताहिर हुसैन की छत पर मौजूद हजारों दंगाइयों की भीड़ ने दूसरी मंजिल पर शादी की तैयारी में लगे लोगों पर पहले तो ईंट-पत्थर फिर टाइल्स फेंकना शुरू कर दिया। जैसे ही उनको पता चला कि मजहबी भीड़ नीचे से भी और ऊपर से भी हिंदुओं पर हमला कर रही है, वैसे ही सारे लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर की दीवारों से पीछे की ओर कूद गए। दंगाई यहीं शांत नहीं हुए। उन्होंने इसके बाद वहाँ रखे सिलिंडर में आग लगाकर विस्फोट करने की कोशिश की। इसमें वह सफल नहीं हो सके, जिसके बाद पेट्रोल बम से आग लगाकर फरार हो गए।
आग इतनी भयंकर थी कि पार्किंग में खड़ी सभी गाड़ियाँ जल कर राख हो गईं और शादी का सारा सामान बर्बाद हो गया। शादी की तैयारियाँ धरी की धरी रह गईं। छत पर कहीं गोल गप्पे दिखाई दे रहे थे तो कहीं कालाजामुन। इसी के साथ शादी वाले घर में पल भर के अंदर खुशियों की बजाय मातम फैल गया। दुकान और मकान में फैली आग का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मकान का सारा प्लास्टर आग की लपटों से गर्म होकर नीचे जमीन में पड़ा हुआ था और आग से निकले धुएँ से काली हुई दीवारें दंगे की आग को चीख-चीखकर बयाँ कर रही थीं।
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