दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा 15 आरोपितों के विरुद्ध दायर की गई चार्जशीट स्वीकार कर ली है। पुलिस ने इस चार्जशीट में आरोप लगाया है कि फरवरी के दौरान राजधानी में हुए दंगे पूर्व नियोजित षड्यंत्र का नतीजा थे। इसके पहले दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली दंगों से जुड़ी चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने गैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं के तरह मामला दर्ज किया है।
यह मामला एफ़आईआर संख्या 59 से निकल कर सामने आया जिसे दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 6 मार्च 2020 को दर्ज किया था। ख़बरों के मुताबिक़ अतिरिक्त सेशन जज अमिताभ रावत ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि वह बुधवार तक दायर की गई चार्जशीट की कॉपी आरोपितों को उपलब्ध कराए। इस मामले पर अगली सुनवाई 21 सितंबर से होगी। दिल्ली पुलिस ने राजधानी में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में 15 लोगों को मुख्य आरोपित बनाया है। इसमें आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन, पूर्व कॉन्ग्रेस नेता इशरत जहाँ, स्वघोषित कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेसीसी की सदस्य सफूरा ज़रगर और मीरान हैदर शामिल हैं।
घोर वामपंथी कार्यकर्ता और पिंजरा तोड़ समूह की सदस्य देवांगना कलिता, नताशा नरवाल समेत जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा को भी आरोपित बनाया गया है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में मोहम्मद परवेज़ अहमद, मोहम्मद इलियास, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद तस्लीम खान और अतहर खान को शामिल किया है।
दिल्ली पुलिस ने दंगों के मामले में कुल 750 एफ़आईआर दर्ज की है। इनमें भड़काऊ भाषण, धार्मिक उन्माद फैलाना, लूट, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाना और हत्या जैसे गम्भीर आरोप शामिल हैं। पुलिस ने अपने बयान में कहा था, “हमें 24 फरवरी की व्हाट्सएप चैट मिली हैं जिस वक्त राजधानी में दंगे हो रहे थे। इसी दौरान दंगों का षड्यंत्र रचने वाले मुख्य आरोपित पूरे क्षेत्र में दंगा भड़का रहे थे।”
एफ़आईआर 59 के आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट को दिल्ली दंगों की जाँच में सबसे अहम दस्तावेज़ माना जा रहा है। इस एफ़आईआर में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि दिल्ली दंगे पूरी तरह सुनियोजित थे। इसके अलावा सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए साज़िश रची गई थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अभी तक कुल 20 आरोपितों को गिरफ्तार किया है जिसमें जवाहर नेहरु विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र भी शामिल हैं।
कट्टरपंथी इस्लामी और वामपंथी कार्यकर्ता उमर खालिद को हाल ही में इन दंगों के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। इसके पहले दिल्ली पुलिस ने जेसीसी की सदस्य सफूरा ज़रगर को गिरफ्तार किया था जिसे बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया था। सफूरा ज़रगर पर आरोप है कि उसने चाँदबाग़ के नज़दीक मौजूद मुस्लिम भीड़ को भड़काया, जिसने बाद दिल्ली पुलिस पर हमला किया और उसमें हवलदार रतन लाल की हत्या कर दी गई थी।
चार्जशीट में बेहद साफ़ तौर पर लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के वक्त दंगों की साज़िश उमर खालिद और उसके साथियों ने रची थी। साज़िश के तहत उत्तर दिल्ली के कई इलाकों में पेट्रोल बम, आग लगाने का सामान, पत्थर समेत कई सामान इकट्ठा किए गए थे। चार्जशीट के अनुसार 23 फरवरी को योजना के मुताबिक़ तमाम महिलाओं और बच्चों ने दंगा भड़काने के लिए जाफराबाद मेट्रो स्टेशन बंद किया।
जिसके बाद वहाँ दंगे के हालात बने और मुस्लिम भीड़ ने इसका फ़ायदा उठा कर कई अन्य इलाकों में हिंसा भड़काई। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि 8 जनवरी को आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन ने उमर खालिद और खालिद सैफी से शाहीन भाग में मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात में उमर खालिद ने आश्वासन दिया था कि वह पीएफ़आई के संपर्कों का फायदा उठा कर दंगा कराने वाले सामान उपलब्ध कराएगा।