दिल्ली हाईकोर्ट ने तथाकथित समाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा दिल्ली दंगों के मामले में भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है। हर्ष मंदर के वकील कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट को बताया कि अब वो न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करना चाहते हैं। इस याचिका में दिल्ली दंगों के मामले में तीनों भाजपा नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने की माँग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की खंडपीठ ने कपिल सिब्बल को ये अनुमति दे दी कि वो वैकल्पिक उपायों का फायदा लेने के लिए अपनी याचिका वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करें। इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द भी एक याचिकाकर्ता था, जिसने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया कि दिल्ली दंगों में समुदाय विशेष के घरों और मस्जिदों को नुकसान पहुँचाया गया।
जमीयत का आरोप था कि इन दंगों में समुदाय विशेष को ही निशाना बनाया गया। साथ ही दिल्ली पुलिस पर भी निष्क्रियता के आरोप लगाते हुए कहा गया था कि वो समुदाय विशेष पर हो रहे हमले को सिर्फ देखती रही। जमीयत का तर्क था कि पीड़ितों में अधिकतर मजहब के लोग हैं और आरोपितों में भी अधिकतर वहीहैं, जो गलत है। उसका दावा है कि 53 में से 40 मरने वाले मजहब विशेष वाले ही हैं।
@KapilSibal who’s appearing for Harsh Mander submits that he’s willing to withdraw this petition to move the court of Magistrate instead
— Live Law (@LiveLawIndia) July 27, 2020
The same is allowed by the court#DelhiRiots @DelhiPolice
जहाँ तक हर्ष मंदर का सवाल है, उनके द्वारा दायर की गई याचिका के बाद कोर्ट में कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर के वीडियोज चलाए भी गए थे, जिन्हें जजों ने देखा था। बाद में हर्ष मंदर की शिकायत के बाद दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने दिल्ली पुलिस को तलब किया था और एफआईआर दर्ज किए जाने के सम्बन्ध में निर्णय लेने के लिए 1 दिन का समय दिया था। हालाँकि, एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि चूँकि परिस्थितियाँ ठीक नहीं हैं, इसीलिए एफआईआर दर्ज करने के लिए ये सही समय नहीं है। 26 फ़रवरी को कोर्ट ने इन वीडियोज को देखा था। इसके बाद हर्ष मंदर सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए थे और वहाँ शिकायत की थी कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई को लम्बे समय तक टाल कर गलत किया है। इसी बीच हाईकोर्ट में अन्य याचिकाएँ भी आईं।
बता दें कि जामिया हिंसा पर दायर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में जेएनयू छात्र शारजील इमाम और हर्ष मंदर की दिल्ली हिंसा में भूमिका बताई गई है। पुलिस ने चार्जशीट में कहा कि समिति ने जेएनयू छात्र शरजील इमाम को विरोध के लिए बुलाया था। जहाँ शरजील ने 14 दिसंबर को भड़काऊ भाषण दिया। जहाँ उसने उत्तर भारत के सभी शहरों को तब तक के लिए बंद करने का आह्वान किया जब तक सरकार सीएए / एनआरसी को वापस नहीं ले लेती।
16 दिसंबर 2019 को हर्ष मंदर विरोध स्थल पहुँचे और प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय में विश्वास न करें। यहाँ पर न्याय पाने का एकमात्र तरीका सड़कों पर लड़ाई लड़ना है। बता दें हर्ष मंदर को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। साथ ही जॉर्ज सोरोस और कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के साथ उनका लगाव जगजाहिर है। वो ऐसी ही याचिकाएँ दायर करते रहते हैं।