भीमा कोरेगाँव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट को भीमा-कोरेगाँव हिंसा के आरोपित गौतम नवलखा की जमानत याचिका को स्वीकार ही नहीं करना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के अंतर्गत आता है, इसीलिए दिल्ली हाईकोर्ट को इसे स्वीकार करने से बचना चाहिए। बता दें कि नक्सली गौतम नवलखा फिलहाल जेल में बंद है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने NIA से कहा था कि वो गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई ट्रांसफर किए जाने के सम्बन्ध में जारी किए गए प्रोडक्शन वारंट को लेकर सारे दस्तावेज करे। दिल्ली हाईकोर्ट के अनूप जयराम भम्भाणी ने उक्त आदेश जारी किया था। साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि NIA ने गौतम नवलखा मामले को दिल्ली हाईकोर्ट के जुरिडिक्शन से बाहर ले जाने के लिए जल्दबाजी में काम लिया, जब उसकी जमानत याचिका पड़ी हुई थी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि NIA के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट ने जो बयान दिया था, उसे रिकॉर्ड से हटाया जाए। जून 2, 2020 को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगाँव हिंसा के आरोपित नक्सली गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा आदेश दिया। नवलखा मुंबई के तलोजा जेल में बंद है।
Senior Advocate Kapil Sibal requests that the “expunging” of the statements may not be done as this would directly cast aspersions on the Judge of Delhi High Court.@KapilSibal #bhimakoregaon
— Live Law (@LiveLawIndia) July 6, 2020
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का बयान आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि गौतम नवलखा के आत्मसमर्पण के समय पूरे भारत में लॉकडाउन लगा हुआ था। मेहता ने कहा कि कोर्ट से कुछ नहीं छिपाया गया है और NIA मुंबई को गौतम नवलखा को कस्टडी में लेने की ज़रूरत है क्योंकि इस मामले में उसके खिलाफ नए सबूत मिले हैं। हालाँकि, गौतम नवलखा के वकील कपिल सिब्बल दिल्ली हाईकोर्ट के बयान के समर्थन में थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, तब तक NIA ने इस मामले की जाँच भी नहीं शुरू की थी। यहाँ तक कि जुरिडिक्शन का मामला तो सॉलिसिटर जनरल ने भी नहीं उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश कोई अच्छा परिणाम देने वाला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की अपील को नकार दिया और NIA के पक्ष में निर्देश जारी किया।
जुलाई 2019 में पुणे पुलिस ने कहा था कि गौतम नवलखा हिज्बुल मुजाहिद्दीन और कई कश्मीरी अलगाववादियों के संपर्क में था। भीमा कोरेगाँव की जाँच में यह निकल कर आया था कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन के जरिए माओवादियों को हथियार सप्लाई करवाए गए थे। ज्ञात हो कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एलगार परिषद सम्मेलन आयोजित किया था। इसमें भड़काऊ भाषण दिए गए थे जिसके अगले दिन पुणे के भीमा कोरेगाँव में हिंसा हुई थी।