दिल्ली के बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित मौजपुर का मोहनपुरी इलाका, जहाँ हिन्दुओं की दो-तीन गलियाँ मुस्लिमों की घनी बस्तियों से घिरी हैं। वहीं एक लड़की को खुलेआम कोई रेप करने की धमकी दे, उसे गन्दी गलियाँ दे और मुस्लिम परिवार अपने आरोपित लड़के को घर में छिपाकर यह कहे, “लड़का है, गरम खून है, निकल जाता है।”
क्या सोच रहे हैं आप कौन पीड़िता है और कौन आरोपित? क्या नारी सुरक्षा की बात फिर से याद आ गई? किससे, कौन और कहाँ-कहाँ लड़े? पीड़िता न्याय के लिए जिसके पास उम्मीद में जाए अगर वही उस समुदाय विशेष के भीड़ के दबाव में आकर पीड़ित लड़की को ही प्रताड़ित करने लगे तो!
कभी पीड़िता को ही जेल में डाल देने की धमकी, तो कभी घंटों थाने में बैठाने के बाद उल्टा पीड़िता पर ही दबाव बनाए कि समझौता कर लो आगे से वो लड़का ऐसा नहीं कहेगा या कुछ नहीं करेगा तो ऐसे में लड़की न्याय के लिए कहाँ जाए, वो भी तब जब परिवार को वही अकेली सम्भालने वाली हो! पिता का शाया सर से उठ चुका हो, भाई बाहर, एक छोटी बहन और माँ के साथ वह उस इलाके में रहती हो।
आपको इतना पढ़ के कोई ताज्जुब नहीं हुआ होगा क्योंकि अब ऐसी घटनाओं के लोग आदी होते जा रहे हैं। फिर भी शायद कुछ लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ी होगी कि मामला क्या है? तो आपको विस्तार से बताते हैं ताकि दिल्ली या देश को बार-बार निर्भया या हैदराबाद की रेप और बर्बर हत्या की भुक्तभोगी डॉ प्रीति जैसी घटनाओं के घटित होने का ही इंतज़ार न करना पड़े।
21 फ़रवरी 2020 की एक शाम जब दिल्ली के नूर-ए-इलाही, घोंडा, चाँदबाग, जफराबाद, भजनपुरा, यमुना विहार, ब्रह्मपुरी जैसे इलाकों में दबे-छिपे कहीं दंगों की भूमिका लिखी जा रही होगी! ठीक उसी समय मौजपुर के मोहनपुरी इलाके में हिन्दू बहुल दो-तीन गलियों में से गली नंबर-8 में रहने वाली एक लड़की देवांशी (बदला हुआ नाम) अपने पालतू डॉग को गली में घूमाने निकलती है और गलती से गली नंबर-9 के उस मोड़ तक पहुँच जाती है। जहाँ से मुस्लिम बहुल घनी बस्ती शुरू होती है। एक लड़की का उस एरिया में पहुँच जाना उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होती है और बदले में मिलती है गाली और रेप की धमकी।
ऑपइंडिया से बात करते हुए देवांशी (बदला हुआ नाम) ने पूरी बात विस्तार से बताई कि क्या हुआ था उसके साथ फरवरी की उस मनहूस शाम को। देवांशी ने बताया कि 21 फरवरी की शाम 7 बजे के आस-पास वो अपने डॉगी को बाहर घूमाने ले गई थी। पास की ही गली नंबर-9 के मोड़ तक जहाँ से मुस्लिम बहुल एरिया शुरू होता है, वहीं एक मुस्लिम लड़का जो पहले से ही कहीं बाइक से जा रहा था, उसके साथ बदतमीजी पर उतर आया। जब देवांशी ने उसे टोका तो आरोपित समीर ने कहा, “अपने कुत्ते को यहाँ पेशाब मत करवाना नहीं तो मैं तुझे फाड़ कर चार कर दूँगा, तेरा यहीं खड़े-खड़े रेप कर दूँगा।”
इतने पर लड़की ने पलट कर लड़के का कॉलर पकड़ लिया। देवांशी उस आरोपित लड़के को पहचानती हैं। उन्होंने अपनी शिकायत में भी आरोपित समीर अहमद के नाम का पते के साथ उल्लेख किया। लेकिन शिकायत जब FIR में दर्ज हुई तो कई तथ्य नदारत थे।
गौरतलब है कि धमकी वाले दिन देवांशी थोड़ी ही देर में घर से अपना फोन लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए पीसीआर को कॉल करती हैं। पीसीआर आती है और उन्हें और उनकी माँ को भजनपुरा थाने ले जाया जाता है। जहाँ करीब तीन घंटे बैठाए रखने के बाद रात करीब 10.30 पर उनकी शिकायत IO मनोज भाटी द्वारा तो ले ली जाती है लेकिन अत्यधिक काम का हवाला देकर FIR दर्ज नहीं की जाती है।
अगले दिन फिर सुबह अर्थात 22 फरवरी को सुबह 9 बजे उन्हें भजनपुरा थाने बुलाया जाता है। जहाँ पहुँचकर पीड़िता IO मनोज भाटी को फोन करती हैं तो वो कहते हैं कि आरोपित को ही उठाने आया हूँ। 2 घंटे तक पीड़िता वहीं रहती हैं, तभी आरोपित समीर के परिवार और मोहल्ले के 50 से अधिक मुस्लिम थाने पर इकट्ठे हो जाते हैं।
पीड़िता देवांशी ने ऑपइंडिया को बताया कि SHO भजनपुरा आरएस मीणा से जब कई प्रभावशाली मुस्लिम अंदर मिलने जाते हैं तो उनके सुर बदल जाते हैं। 21 फरवरी की रात को जो FIR दर्ज करने की बात कही गई थी, अब उल्टा लड़की पर ही समझौते का दबाव और पीड़िता पर ही FIR दर्ज करने की बात कही जाने लगती है। 22 वर्षीय लड़की की माँ को केबिन से बाहर भेजकर उन्हें घंटों बैठाए रखा जाता है लेकिन FIR दर्ज नहीं की जाती।
थक-हारकर जब SHO मीणा और IO मनोज भाटी, और समाज के कई लोगों के कहने पर वो समझौते को राजी होती हैं तो उल्टा उन्हीं पर ही FIR की धमकी दी जाती है। थाने में ही आरोपित समीर के अपने परिवार और मुहल्ले वालों के साथ मौजूद होने और स्वयं पीड़िता के अनुसार, समीर द्वारा यह कबूल कर लेने के बाद भी कि हाँ उसने ही गाली और रेप की धमकी दी थी। लेकिन समीर के मुस्कराते चेहरे ने और SHO की धमकी और दबाव ने देवांशी का मन बदल दिया।
अब देवांशी अड़ गईं कि अगर उसकी गलती है कि रेप की धमकी पर उन्होंने उसका कॉलर पकड़ कर अपराध किया है तो उन पर FIR की जाए लेकिन उसकी शिकायत को भी FIR में दर्ज किया जाए। साथ ही उसने जब दूसरे दिन फिर से लिखित शिकायत की कॉपी माँगी तब IO मनोज भाटी ने उसके सामने ही और आरोपित समीर और अन्य मुस्लिमों की उपस्थिति में ही उसे फाड़कर कूड़ेदान में डाल दिया। उक्त बातें डिटेल में ऑपइंडिया से बात करते हुए पीड़िता ने फोन पर कही।
IO मनोज भाटी और SHO मीणा और वहाँ मौजूद अन्य समुदाय विशेष के इस बदले बरताव को देखकर, वह सहसा वहीं मौजूद ACP से मिलने उनके केबिन में गईं तो उन्हें वहाँ से पुलिस के द्वारा हटा दिया गया। इस कवायद में 22 फरवरी को सुबह से शाम होने वाली थी। दिन में 4 बार वो 100 नंबर पर कॉल कर चुकी थीं, जो उसी भजनपुरा थाने पर ट्रांसफर होने से निरर्थक साबित होती रही। बाद में पीसीआर पर ही मिले ACP के नंबर पर बात करने पर उन्होंने कहा कि अब जाओ FIR लिख ली जाएगी।
पीड़िता ने उसी समय राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को कॉल करके अपनी समस्या बताई तो उन्हें सीलमपुर स्थित DCP ऑफिस जाने या ACP से शिकायत करने के लिए कहा गया। ACP के आदेश पर उनकी बात सुनी जाती है और सम्बंधित भजनपुरा थाने को FIR दर्ज करने को कहा जाता है।
जब वो करीब 8 बजे थाने पहुँचती हैं और अपने एक दिन पहले की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज करने को कहती हैं। और याद दिलाती हैं कि DCP ऑफिस ने कहा है कि अब जाओ, थाने में हो जाएगा। जहाँ ऊपर से फोन आने की तस्दीक करते हुए, कहा जाता है कि FIR दर्ज हो जाएगा लेकिन उसकी कॉपी लेने 12 बजे रात के आसपास आना होगा।
सोचिए एक अकेली लड़की को रात 12 बजे उस संवेदनशील इलाके में थाने बुलाया जाता है। पीड़िता के अनुसार, शायद यह सोचकर कि वह डर जाएगी और नहीं आएगी। लेकिन किसी तरह अपने चचेरे भाई को साथ लेकर करीब 12.30 बजे भजनपुरा थाने जाकर FIR की कॉपी रिसीव करती हैं। उसमें भी बड़ा झोल यह कि FIR में जो उनकी शिकायत में था, वो बात न लिखकर उसे एक आम छेड़छाड़ और बदतमीजी जैसा मामला बना दिया जाता है। साथ ही आरोपित समीर पुत्र शरफुद्दीन के नाम के साथ उसका पूरा पता देने के बावजूद FIR से वो सूचनाएँ गायब हैं।
FIR में दर्ज आरोप ठीक करने और शिकायत के अनुसार सही FIR दर्ज करने की जब वह रात में थाने में ही जिद करती हैं तो उन्हें IO मनोज भाटी ने यह कह कर टाल दिया कि जैसा बताया था, वही FIR में है। और यह कह दिया जाता है कि वो अब घर चले गए हैं। अब थाने से कुछ नहीं होगा, तुम्हें कोर्ट जाना होगा।
कानूनी पेचीदगियों से अनजान जब वह अपने वकील से बात करने को कह देती हैं तो बात अगले दिन के लिए टाल दी जाती है। लेकिन, थाने में उनकी FIR पुनः सही नहीं की जाती है। यह सब किसके दबाव और शह पर हुआ, यह पूछे जाने पर, इसके बारे में पीड़िता ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इतना जरूर कहा कि उस दिन थाने में वो केवल अपनी मम्मी के साथ गई थीं जबकि आरोपित पक्ष की ओर से 50 से अधिक लोग आए थे। जिनमें से उसने इलाके के कई प्रभावी मुस्लिमों के नाम लिए, जो उसकी जानकारी में थे।
पीड़िता ने 24 फ़रवरी 2020 को सीलमपुर स्थित DCP ऑफिस में भी अपनी शिकायत दर्ज कराई। उस शिकायत में भी कार्रवाई के साथ यही अपील थी कि उसकी बात FIR में नहीं लिखी गई। लेकिन उस पर आगे कुछ नहीं हुआ।
तीन-चार दिन थानों में जूझने के बाद जब वह निराश और समीर के व्यंग्य भरे कुटिल मुस्कान से तंग आकर और प्रथम दृष्टया पराजय और आँखों में आँसु लिए 24 फरवरी को किसी तरह अपने घर पहुँचती हैं, तब तक अचानक से इलाके में दंगे भड़क चुके थे। उत्तर-पूर्वी दिल्ली जलने लगी थी और आरोपित समीर पर कार्रवाई और सही FIR की आस दिल में दबाए, देवांशी कई दिनों तक घर में कैद रहीं।
बाहर की दुनिया अब उनके लिए और डरावना हो चुकी थी। कुछ दिनों बाद दिल्ली का वह इलाका शांत हुआ जरूर लेकिन माहौल और प्राथमिकता बदल चुकी थी और नॉर्थ घोंडा और मौजपुर के मोहनपुरी की वो इक्का-दुक्का हिन्दू बहुल गलियाँ डर के साए में रहने लगी थीं।
डर ऐसा कि बढ़ते-बढ़ते अब वहाँ के हिंदू घरों के बाहर पोस्टर लगाकर अपना सब कुछ बेचकर दिल्ली या कहीं भी जहाँ वो सुकून से रह सकें, वहाँ चले जाने को विवश हैं। इसी बीच, उसी डर और दहशत के दौरान 9 मार्च को उन्हें भजनपुरा थाने से ही कोई आकर कोर्ट का नोटिस दे जाता है। जिसमें उन्हें कड़कड़डूमा कोर्ट में जाकर अपना बयान दर्ज करवाना था। लेकिन FIR में तो कुछ और ही बात लिखी है। जब वह थाने में एक सब-इंस्पेक्टर किरण कुमारी को फोन कर पूछती हैं तो वही बात दोहरा दी जाती है कि अब जो कुछ होगा, कोर्ट से ही होगा।
देवांशी बताती हैं कि वह अपनी मम्मी के साथ 18-19 मार्च दोनों में से किसी दिन कोर्ट गई थीं लेकिन कई घंटों तक वहाँ बैठे रहने के बावजूद मजिस्ट्रेट के सामने उनका बयान दर्ज नहीं हो पाता है। पूछने पर उन्हें पता चलता है कि अभी दिल्ली दंगों के बयान दर्ज हो रहे हैं प्राथमिकता पर, बाकी के बाद में दर्ज होंगे। वह वहाँ से भी निराश होकर लौट आती हैं। और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बदले हुए माहौल में कोर्ट द्वारा फिर से बुलाए जाने और न्याय मिलने का इंतज़ार करने लगती हैं।
इसी इंतज़ार में करीब डेढ़ महीने और गुजर जाते हैं। और एक दिन किसी के बताने पर सांसद मनोज तिवारी तक अपनी बात पहुँचाने के लिए खुद से एक शिकायती पत्र में, आरोपित समीर के साथ ही SHO आरएस मीणा, IO मनोज भाटी पर कार्रवाई की माँग करते हुए, टाइप कर भेज देती हैं। अपने सांसद मनोज तिवारी को 1 मई को भेजी शिकायत को भी अब लगभग तीन महीने होने को आए लेकिन दो सप्ताह पहले ही जो समीर उनकी तरफ देखकर तंज भरते हुए हँस कर पहले सिर्फ डराता था, घूरता था, अब वो गलती से कहीं मिल जाने पर एक दिन गली के नुक्कड़ पर अपने दोस्तों के साथ खड़ा देवांशी को देखकर कहता है, “क्या बहन के…%&DI! क्या कर लिया तेरे पुलिस ने? अभी सिर्फ कहा है, कर के भी दिखा दूँगा। पुलिस मेरे मुट्ठी में है।”
ऑपइंडिया से की गई बातचीत का कुछ महत्वपूर्ण हिस्सा आप वीडियो में देख सकते हैं:
आरोपित समीर की कुटिल मुस्कान और बार-बार के तंज और धमकी के कारण देवांशी चाहती हैं कि उस पर कार्रवाई हो। उनका कहना है, “वो मुझे बचपन से जानता है। हम एक ही स्कूल के अलग-अलग सेक्शन में थे। फिर भी आज धमकी दे रहा है तो कल ऐसा कर भी सकता है। मैं चाहती हूँ, जो मेरी शिकायत में है, वो FIR में दर्ज हो और आरोपित समीर के साथ उन सभी पर कार्रवाई हो, जिन्होंने कहीं न कहीं एक पीड़िता का साथ न देकर मुस्लिम भीड़ के दबाव में आरोपितों का ही साथ दिया।”
इसी बीच, एक दूसरे मामले में, शुक्रवार (31 जुलाई 2020) को दिल्ली के उसी मौजपुर इलाके के मोहनपुरी और घोंडा में जब सांसद मनोज तिवारी दिल्ली दंगों से पीड़ित हिन्दुओं के पलायन और उनके प्रतिष्ठित लोगों को मुस्लिमों द्वारा कथित रूप से झूठे केस में फँसाए जाने की मौजूदा शिकायतों और हालात का जायजा लेने गए थे तो समीर द्वारा गाली और रेप की धमकी की पीड़िता देवांशी ने भी उनसे अपनी बात कही और अपने पहले के शिकायत पत्र की भी याद दिलाई। जिस पर सांसद ने भी जरुरी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
5 महीने से ज़्यादा समय हो जाने पर भी जब उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती है और हाल ही में जब उन पर फिर फिकरे कसे जाते हैं, गाली दी जाती है, और धमकी याद दिलाई जाती है। तो परेशान होकर अपने साथ ही साथ अपनी बहन और गली के अन्य लड़कियों के लिए देवांशी आरोपित पर कार्रवाई चाहती हैं। वो चाहती हैं कि उन्हें न्याय मिले।
देवांशी चाहती हैं कि आगे से फिर कोई इस तरह खुलेआम किसी लड़की को धमकी देकर खुलेआम न घूमता रहे। लेकिन अभी भी आरोपित समीर अहमद बेफिक्र घूम रहा है। अब देखना यह है कि इतने के बाद भी प्रशासन हरकत में आकर कोई कार्रवाई करता है या किसी बड़ी घटना के घटने का इंतजार करता है।