Friday, June 20, 2025
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मेरठ की मुमताज, हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी दोनों से निकाह और तलाक… फिर ISI एजेंट के साथ काम: दिल्ली में लाश, भतीजा गिरफ्तार

वह उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली थी। 15 साल की उम्र में, उसने मेरठ के सुल्तान नाम के एक शख्स से निकाह किया। उनके तीन बच्चे हुए। लेकिन 1989 में वे अलग हो गए।

पुरानी दिल्ली के चाँदनी महल इलाके की एक घर के भीतर से दुर्गंध आ रही थी। बाहर ताला लगा था। पुलिस को सूचना दी गई। ताला तोड़ पुलिस कमरे के भीतर दाखिल हुई तो 51 साल की एक महिला की खून से लथपथ लाश पड़ी थी। बुरी तरह सड़ी-गली हालत में मिली इस शव की पहचान मुमताज परवीन के तौर पर हुई।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि शव मिलने से पहले आस-पड़ोस के लोग भी इस बात से पूरी तरह वाकिफ नहीं थे कि यह महिला असल में कौन थी। ज्यादातर लोगों के लिए मुमताज एक तुनकमिजाज महिला थी जो अकेले रहती थी। बिल्लियों को ​नियमित तौर पर खाना खिलाती थी और पड़ोसियों से अक्सर लड़ती थी।

मुमताज की हत्या की गुत्थी सुलझने पर लोगों को पता चला कि उसके पाकिस्तानी जासूस होने का संदेह था। नकली नोट का धंधा करने और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के गुर्गों की मदद करने के आरोप में उसे गिरफ्तार भी किया गया था। 2007 में उसे इन आरोपों में दोषी भी ठहराया गया, लेकिन एक साल बाद स्वास्थ्य कारणों से जेल से रिहा कर दिया गया।

मुमताज की लाश 3 सितंबर 2021 को मिली थी। पुलिस ने हत्या के मामले में मेरठ के रहने वाले उसके भतीजे (बहन का बेटा) फरमान को गिरफ्तार किया गई। फरमान ने पूछताछ के दौरान अपनी खाला (मौसी) की हत्या करने की बात कबूल करते हुए खुलासा किया कि उसकी मौसी बाड़ा हिन्दूराव इलाके में दो राहगीरों की हत्या के मामले में उसे और उसके परिवार को फँसाने की कोशिश कर रही थी। इस बात से खफा होकर उसने हत्या कर दी। हत्या के बाद वह मेरठ भाग गया।

जाँच में पुलिस को पता चला कि फरहान ने 30 अगस्त हो मुमताज हत्या की थी। लेकिन हत्या का राज 3 सितंबर को मकान के अंदर से बदबू आने के बाद खुली। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से आरोपित की पहचान की। 30 अगस्त को ममुताज के घर के बाहर एक व्यक्ति उस गली में संदिग्ध रूप से घूमते हुए देखा गया था। उसका चेहरा ढका हुआ। इसके बाद पुलिस ने तहकीकात करते हुए आरोपित को दबोच लिया।

मध्य जिला पुलिस उपायुक्त जसमीत सिंह ने बताया कि तीन सितंबर की शाम को गली बहार वाली, छत्तालाल मियाँ के एक मकान से दुर्गंध आने की सूचना पुलिस को मिली। पुलिस को कमरे में बेड पर एक महिला का शव खून से लथपथ पड़ा मिला था। उसकी गर्दन की पीछे की ओर गहरे घाव के निशान थे।

जाँच के दौरान पता चला कि मुमताज पाकिस्तान की नागरिक थी। उसका परिवार तो भारत का था, लेकिन पाकिस्तान में शादी के बाद उसकी नागरिकता वहीं की हो गई थी। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली थी। 15 साल की उम्र में, उसने मेरठ के सुल्तान नाम के एक शख्स से निकाह किया। उनके तीन बच्चे हुए। लेकिन 1989 में वे अलग हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे उसके पति ने तलाक दे दिया, क्योंकि उसे उसकी हाई-फाई लाइफस्टाइल पसंद नहीं थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि परवीन पहली बार 1990 के आसपास अपनी अम्मी के साथ कराची में अपनी मौसी से मिलने गई थी। वहाँ उसने मुहाजिर कौमी आंदोलन-हकीकी के एक नेता अब्दुल वहाब खान नाम के एक व्यक्ति से निकाह की। 1993 में उसे पाकिस्तानी नागरिकता मिली। लेकिन यह निकाह भी सिर्फ 6 साल ही चल पाया, क्योंकि उसे बच्चा नहीं हो रहा था।

1996 मेंभारत आते समय समझौता एक्सप्रेस में मुमताज की मुलाकात आईएसआई जासूस कामरान गौहर से हुई। कामरान ने मुमताज से नजदीकियाँ बढ़ा ली और उसे अपने साथ रहने के लिए तैयार कर लिया। कामरान पाकिस्तान के लाहौर का रहने वाला था और नकली नोटों की तस्करी व अन्य संदिग्ध गतिविधियों में भी शामिल था।

जब वह पाकिस्तान लौटी, तो उसने तलाक के लिए अर्जी दी और खान ने उसे गुजारा भत्ता के रूप में ₹10 लाख दिया। बाद में उसने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने गौहर को एक भारतीय नागरिक के रूप में पेश करने और नकली नोटों की तस्करी करने में मदद की थी। मामले में दोनों को दोषी ठहराया गया और 10 साल की सजा सुनाई गई थी। मुमताज को स्वास्थ्य कारणों से पहले ही छोड़ दिया गया, जबकि कामरान की सजा पूरी होने के बाद पाकिस्तान भेज दिया गया।

24 जनवरी, 2000 को जब उसे गौहर के साथ गिरफ्तार किया गया थातो पुलिस को उसके पास से 8,000 रुपए की नकली मुद्रा भी मिली थी। पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि गौहर 1994 में भारत आया था और अप्रैल 1999 में उसे निर्वासित कर दिया गया था। उसने जुलाई 1999 में एक फर्जी नाम से भारत में फिर से प्रवेश किया और 2000 के अंत में उसे निर्वासित कर दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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