दंगा प्रभावित क्षेत्र चाँद बाग में हमने चौथे दिन जैसे ही प्रवेश किया ऐसे ही कोने वाली दुकान पर हमारी नज़र गई। दुकान के बाहर बड़ी मात्रा में संतरे बिखरे हुए दिखाई दे रहे थे। दरअसल, तथाकथित दंगाइयों ने दुकान को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें दुकान पूरी तरह से राख हो चुकी थी। कुछ लोगों के साथ मीडिया वाले बिखरे हुए संतरों के फोटो और वीडियो बनाने में लगे हुए थे। दंगा प्रभावित क्षेत्र की यह पहली तस्वीर थी, लेकिन हमें इस वारदात के हर एक किरदार के बारे में पता करना था जो अलग-अलग रूप में सामने आए। हमें सच्चाई सामने लानी थी।
हम आगे तैनात फोर्स के बीच से गुजरते हुए करावल नगर स्थित उस मकान के सामने पहुँच गए, जिसे अंकित शर्मा का आरोपित और नगर पार्षद ताहिर हुसैन का बताया गया, जहाँ बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ मीडिया कर्मीयों का जमावड़ा लगा हुआ था। इस बीच हमारी नज़र ताहिर हुसैन के मकान के सामने वाली लगी में गई, जहाँ हमने देखा गली के बंद गेट के पीछे से करीब 25-30 लोग मीडिया की कवरेज और पुलिस फोर्स की कदम ताल को अपनी डरी हुई आँखों से देख रहे हैं। गौर करने वाली बात यह कि इस तरफ किसी भी मीडिया के कैमरे की नज़र नहीं गई।
खैर, हमने हिम्मत की और पूछ लिया कि आप डरे हुए हैं या फ़िर कि इस दंगे के पीड़ित भी? हमने पूछा ही था कि एक के बाद एक पीड़ित अपनी दर्दनाक व्यथा को बताने लगे। हमें हर उस बात को जानना था जिसे बड़े बड़े मीडिया हाउस चार दिन की अपनी कवरेज में दिखा नहीं सके। हमने कड़ी मशक्कत के बाद गली में प्रवेश किया और उस पीड़ित से सबसे पहले बात की, जिनकी आँखों में हमें देखने ही आँसू आ गए। वह कोई और नहीं बल्कि करावलनगर में चाय बेचने वाले श्याम साहनी थे, जोकि ताहिर हुसैन के मकान के सामने ही ‘श्याम टी स्टॉल’ के नाम से पिछले कई वर्षों से चाय बेचने का काम करते हैं।
श्याम साहनी अपनी पत्नी और बड़े बेटे के साथ बदहवास अवस्था और पूरी तरह से डरे हुए जमीन पर पैर फैलाए लोगों के बीच बैठे हुए थे। जब हमने श्याम से बात की तो श्याम साहनी ने बताया,
“मैं बीते सोमवार को अपनी दुकान पर बैठे चाय बना रहा था, सुबह से ही क्षेत्र के मुस्लिमों का सीएए के ख़िलाफ विरोध जारी था। इसी बीच पता चला कि हजारों की इस्लामी भीड़ दुकानों में तोड़-फोड़ करती हुई चाँद बाग की ओर से करावल नगर की ओर बढ़ती हुई आ रही है। हमने तुरंत ही शटर को गिराया और पीछे के दरवाजे में निकल गए, लेकिन इसके बाद भी दंगाई भीड़ ने हमारी दुकान के शटर को सिलाई मशीन से तोड़ दिया और दुकान में पहले तो लूटपाट की फिर जमकर तोड़फोड़ मचाई। इसके बाद ताहिर की छत से आ रहे पट्रोल बम से दुकान के बाहरी हिस्से में आग लग गई।”
श्याम रोते हुए बताते हैं, “यह सब वह गली में छुपकर देख रहे थे, लेकिन बेबस थे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच जानकारी मिली कि मुस्लिमों की भीड़ हिंदुओं के घरों को अपना निशाना बना रही है। हम यमुना विहार स्थित अपने घर की तरफ दौड़े और पत्नी को बोला जल्दी बच्चों को लेकर घर से निकलो हमने अपने-अपने चारों बच्चों को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से निकाला और दूसरी गली में एक परिचित के घर पहुँचा दिया। हम इतने डर गए कि सोमवार को पूरे दिन और पूरी रात भूखे प्यासे बच्चों के साथ घर में कैद रहे। बाहर निकलने तक की हिम्मत नहीं हुई। दूसरे दिन पुलिस फोर्स की तैनाती हुई तो दुकान की तरफ देखा तो उसे देखकर खूब रोना आया।”
वहीं आस पास के लोगों ने बताया कि श्याम ने तीन दिन से न तो कपड़े बदले हैं और न ही खाना खाया है। वहीं श्याम बताते हैं, “अब हमारा सब कुछ बर्बाद हो चुका है। कुछ समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करें और कहाँ जाएँ।” श्याम के मुताबिक दुकान में करीब 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ।
बिहार वैशाली के चंदपुरा पातेपुर गांव के रहने वाले श्याम साहनी पुत्र रामचन्द्र साहनी करीब 20 साल पहले दिल्ली में नौकरी करने के लिए आए थे। इसके बाद वह बच्चों को भी अपने साथ दिल्ली ले आए। श्याम के चार बेटे नीरज कुमार, धीरज कुमार, सन्नी और रोशन हैं, जोकि दिल्ली में हुई हिंसा से बेहद डरे हुए हैं।