राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न होने के बाद अब कई ऐतिहासिक धरोहरों का नाम बदलने की माँग तेज हो गई है। इसी क्रम में लोगों ने इंदिरा गाँधी नहर का नाम बदलकर गंग नहर करने की माँग उठाई है। भारतीय जन महासभा ने राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित इंदिरा गाँधी नहर को लेकर कहा है कि नहर का नाम गंग नहर किया जाए। बता दें कि 1984 से पहले यही नाम इस नहर का हुआ करता था, लेकिन बाद में इसका नाम इंदिरा गाँधी नहर कर दिया गया।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने बताया कि गंग नहर को बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी ने बनवाया था। इसका नाम अचानक सन 1984 में स्वार्थवश इंदिरा गाँधी नहर किया जाना दुखद है। उन्होंने कहा कि महाराजा गंगा सिंह ने जब देखा कि उनकी जनता को पानी की दिक्कतें हो रही हैं, लोगों को पीने के लिए और किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है तो उन्होंने इस नहर का निर्माण करवाया था। अब आज के समय में यह नहर पेयजल, सिंचाई, उद्योग, सेना व ऊर्जा परियोजनाओं के काम आती है।
पोद्दार ने बताया कि भारतीय जन महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माँग की है कि इस नहर का नाम उसके निर्माता बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह के नाम पर ‘गंग नहर’ ही वापस रखा जाए। ऐसा होने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि इस नहर को किसने और क्यों बनाया था। यदि इसका नाम नहीं बदला गया तो लोग यही जानेंगे कि इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने बनाया होगा।
उल्लेखनीय है कि इसी नहर के लिए सतलुज नदी के जल को राजस्थान में लाने के लिए 4 सितंबर 1920 को बीकानेर, भावलपुर और पंजाब राज्यों के बीच सतलुज नदी घाटी समझौता हुआ था। इसके बाद गंग नहर की आधारशिला 5 सितंबर 1921 को महाराजा गंगा सिंह ने फिरोजपुर हेडबाक्स पर रखी थी। 26 अक्टूबर 1927 को जाकर श्रीगंगानगर के शिवपुर हेडबॉक्स पर इस नहर का उद्घाटन हुआ। बाद में ये नहर सतलुज नदी से पंजाब के फिरोजपुर के हुसैनीवाला से निकाली गई। इसका प्रवेश स्थान श्रीगंगानगर के सखा गाँव से है। फिरोजपुर शिव हेड तक इसकी लंबाई 129 किमी है। इसका 112 किमी हिस्सा पंजाब और राजस्थान में 17 किमी हिस्सा है।