Sunday, November 17, 2024
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मेरे भाई को जिहाद ने मारा है, एक-एक मस्जिदों व मदरसों की तलाशी ली जाए: दलित दिनेश के भाई

"आखिर इतने हथियार उनके पास आते कहाँ से हैं? मदरसों और मस्जिदों ही नहीं, बल्कि एक-एक मुस्लिम के घरों में भी छापेमारी होनी चाहिए।"

दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में जान गँवाने वालों में एक दिनेश कुमार खटीक का नाम भी शामिल है। दिनेश कुमार खटीक के भाई सुरेश से हमारी बातचीत हुई और उन्होंने साफ़ कहा कि उनके भाई की जान जिहाद ने ली है- इस्लामी कट्टरपंथियों के जिहाद ने। उन्होंने कहा कि पूरे मुस्तफाबाद ने उनके भाई को मार डाला। मुस्तफाबाद से उनका तात्पर्य मुस्लिम बहुल क्षेत्र से था। उनके भाई के बयानों की चर्चा हम करेंगे और परिजनों के बारे में भी आपको बताएँगे लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि दिनेश की मौत कैसे हुई। दरअसल, उस दिन उस क्षेत्र की सभी दुकानें बंद थीं। ये घटना 26 फ़रवरी की है।

दिनेश कुमार खटीक के दो बच्चे हैं। एक डेढ़ साल का बेटा है जबकि एक बेटा 7 साल का है। वो अपने दोनों बच्चों के लिए दूध लेने निकले थे और दुकानें बंद होने के कारण वो दूर निकल गए। इसी दौरान वो फैसल फ़ारूक़ के राजधानी स्कूल के बगल से गुजरे। जब वो वहाँ से गुजर रहे थे, तब दंगाई मजहबी भीड़ गोलीबारी और पत्थरबाजी के साथ-साथ पेट्रोल बम से भी हमले कर रही थी। तभी दंगाइयों की एक गोली आकर दिनेश के सिर में लगी और उनकी मौत हो गई। वकील मोनिका अरोड़ा ने भी पीड़ित परिवार को मुआवजा और न्याय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है।

जब ऑपइंडिया की टीम मृतक दिनेश के घर पहुँची, तब वहाँ माहौल बड़ा ही गमगीन था। वहाँ कुछ लोग आए हुए थे, जो पीड़ितों के बयानों को नोट कर रहे थे। वो ख़ुद को कोर्ट की कमिटी बता रहे थे। उनसे बात करते हुए सुरेश ने कहा कि उनकी सरकार से यही माँग है कि एक-एक मदरसे और मस्जिद की तलाशी ली जाए, ताकि आगे से मजहबी दंगाई भीड़ खतरनाक हथियारों को जमा नहीं कर सके। सुरेश ने ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान भी ये बात दोहराई। वहाँ उपस्थित अन्य लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि पीड़ित हिन्दुओं के सिर, आँख और गले तक में गोलियाँ मारी गई हैं।

उन्होंने बताया कि लोहे से बने हथियार जमा कर के रखे गए थे, जिनसे हिन्दुओं के सिर पर वार किया जा रहा था। लोग अभी भी डरे हुए हैं। प्रेम नगर और प्रेम विहार की जनता ने हमसे अपना दुःखड़ा सुनाते हुए बताया कि उनका भरोसा पुलिस-प्रशासन पर से उठ चुका है, इसीलिए वो रात-रात भर जाग कर अपने जान-माल की रक्षा करने को विवश हैं। ख़ासकर घर की महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। सुरेश ने हमसे बात करते हुए बहुत बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के घर में लाठी-डंडे और चाकू तक मिले तो पुलिस उन्हें जेल में ठूँस देती है जबकि समुदाय विशेष के घर में हथियार जमा कर के रखे जाते हैं और उनका बाल भी बाँका नहीं होता।

जिस दिन दिनेश कुमार खटीक को गोली लगी थी, उस दिन मजहबी दंगाइयों ने हालात ऐसे पैदा कर के रखे थे कि उन्हें हॉस्पिटल भी नहीं ले जाया जा सका। बदहवास बूढ़े पिता अपने घर की बालकनी में सुध-बुध खोए से बैठे हुए हैं। उनकी एक ही चिंता है कि अब दिनेश की पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा? बेटे की मौत के गम को जैसे उन्होंने अपने बहू व पोते-पोतियों के लिए पी लिया हो। मृतक के भाई ने हमसे बात करते हुए आगे बताया:

“24 फ़रवरी से ही मुस्तफाबाद के शिव विहार क्षेत्र में दंगे शुरू हो गए थे। दूसरे मजहब के लोग लगातार आकर हिन्दुओं की दुकानों को लूट रहे थे। हिन्दुओं के घरों को नुकसान पहुँचाया गया और दुकानें जला दी गईं। इधर सारी दुकानें बंद थीं, इसीलिए खाने-पीने का सामान और बच्चों के लिए दूध लेने मेरे भाई बाहर गए, तभी उनकी हत्या हुई। राजधानी स्कूल की छत पर से काफ़ी दूर-दूर तक निशाना लगाया जा रहा था। वहाँ समुदाय विशेष के लोगों की 2-4 और भी इमारतें हैं, जिन पर सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम जमा थे। 4 लोग मारे गए हैं। ये जिहाद है, और कुछ भी नहीं। इस्लामी कट्टारवादियों द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जाते हैं।”

सुरेश खटीक ने बताया कि उनके घर में एक डंडा तक भी नहीं है। सुरेश ने बताया कि उन्होंने पुलिस को बताया है कि जैसे हिन्दुओं के घर से लाठी या चाकू मिलने पर कार्रवाई की जाती है, वैसी ही दूसरे मजहब के लोगों पर भी की जाए। उनका कहना है कि मस्जिदों और मदरसों में छापेमारी हो, ताकि आगे से ऐसी घटना को होने से रोका जा सके। उन्होंने पूछा कि आखिर इतने हथियार उनके पास आते कहाँ से हैं? मदरसों और मस्जिदों ही नहीं, बल्कि एक-एक मुस्लिम के घरों में भी छापेमारी होनी चाहिए।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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