छत्तीसगढ़ के कवर्धा में 3 अक्टूबर 2021 में हुई हिंसा के बाद से लापता बताए जा रहे दुर्गेश देवांगन को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तारी रायपुर के माना क्षेत्र से की गई है। दुर्गेश के साथ उनके साथी प्रमोद साहू को भी गिरफ्तार किया गया है। इन्हें कवर्धा ले जाए जाने के बाद जेल भेज दिया गया है।
कबीरधाम जिले के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया है कि दुर्गेश और प्रह्लाद कवर्धा में 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक चली हिंसा में आरोपित हैं। दोनों को शहनाई मैरिज हाल, सदाणी दरबार चौक सेजबहार थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें पिछले 3 दिनों से लगातार छापेमारी कर रही थी। इनकी लोकेशन रायपुर मिली थी जिसके आधार पर वहाँ पुलिस बल को विशेष रूप से लगाया गया था। दोनों की पहचान करने में रायपुर के माना थाने ने भी सहयोग किया है।
राजनांदगांव के भाजपा सांसद संतोष पांडेय ने ऑपइंडिया को बताया कि उन्हें थाने में दुर्गेश देवांगन के साथ पुलिस द्वारा मारपीट करने की जानकारी मिली थी। इस सूचना पर वे 19 तारीख की रात में ही थाने पहुँच गए थे। लेकिन उन्हें दुर्गेश से मिलने नहीं दिया गया।
सांसद संतोष पांडेय ने कवर्धा हिंसा में गिरफ्तार राम प्रसाद पाली, मुकेश पाली और दिगपाल राजपूत के घर जा कर उनके परिवार वालों से मुलाकात भी की है। इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर पर दी है।
आज कवर्धा में हुई घटना से संबंधित मामले में जेल में बंद पंडरिया ब्लाक अंतर्गत ग्राम सोढा निवासी श्री रामप्रसाद पाली जी व श्री मुकेश पाली जी एवं कवर्धा ब्लाक अंतर्गत ग्राम नेवारी निवासी श्री दिगपाल राजपूत जी के निवास पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। pic.twitter.com/bIkO1SROTR
— Santosh Pandey (@santoshpandey44) October 19, 2021
दुर्गेश देवांगन कवर्धा के ही रहने वाले हैं। बाजार में उनकी सब्ज़ियों और मसालों की दुकान है। घटना वाले दिन रविवार (3 अक्टूबर 2021) को उन्होंने ही सबसे पहले हिंदू ध्वज हटाने और उसे पैरों तले रौंदने का विरोध किया था। इसके बाद समुदाय विशेष के लोगों ने उसे जमकर पीटा था। इसी मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी की माँग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 5 अक्टूबर को प्रदर्शन किया था। जिसके बाद प्रशासन ने हिंदू संगठनों को हिंसा का कसूरवार ठहराया था।
3 अक्टूबर के बाद से दुर्गेश देवांगन का कोई अता पता नहीं था। दुर्गेश के घर वाले पुलिस पर दुर्गेश को पकड़ कर ले जाने के आरोप लगा रहे थे। जबकि पुलिस ने दुर्गेश के अपने कस्टडी में होने से इनकार किया था।