भाजपा सरकार की तरफ़ से अंतरिम बजट को पेश करते हुए कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्स जमा करने वालों के लिए कई बड़ी घोषणाओं का ऐलान किया है। अपने भाषण के दौरान गोयल ने एक कविता पढ़ी जिसकी पंक्ति है- ‘एक पाँव रखता हूँ, हजार राहें फूट पड़ती हैं।’ गोयल की यह पंक्ति काफ़ी हद तक भाजपा सरकार के लिए सटीक लगती है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र में सरकार बनने के बाद नोटबंदी, जीएसटी जैसे बड़े फै़सले लेने के बाद मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को उम्मीद से अधिक सफ़लता मिली है। सरकार के इन सभी फ़ैसलों का जैसे-जैसे परिणाम आता गया, इन मुद्दों पर विपक्ष की बोलती बंद हो गई।
केंद्र सरकार ने टैक्स की सीमा को 2.5 लाख रूपए से बढ़ाकर पाँच लाख रूपए कर दिया है। इस तरह सरकार के इस फ़ैसले से बड़ी संख्या में देश के मध्यम वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी।
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में यह भी बताया कि टैक्स ज़मा करना पहले की तुलना में अब अधिक आसान बनाया जाएगा। सरकार ने बताया कि टैक्स अफ़सर की भूमिका अब ख़त्म की जाएगी। टैक्स से जुड़ी हर तरह की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सभी समस्याओं का ऑनलाइन समाधान किया जाएगा।
बजट पेश करते हुए गोयल ने यह भी कहा कि अगले दो साल में आईटीआर वेरिफिकेशन तुरंत ऑनलाइन किया जा सकेगा। इसमें किसी टैक्स अफसर की भूमिका नहीं होगी। आगे चलकर स्क्रूटनी के लिए भी दफ्तर नहीं जाना होगा। टैक्स अफसर कौन है और टैक्स देने वाला कौन है, यह दोनों को पता नहीं चल पाएगा।
इस तरह यह प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद दो प्रमुख फ़ायदे होंगे- पहला फ़ायदा तो यह होगा कि टैक्स देने वाले लोगों को किसी दफ़्तर का चक्कर नहीं लगाना होगा, जबकि टैक्स जमा करने की पूरी प्रक्रिया भी आसानी से ऑनलाइन निपटाया जा सकेगा। इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि ऑनलाइन प्रक्रिया होने की वजह से भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा।
गोयल ने सदन में टैक्स से जुड़ी जानकारी को साझा करते हुए कहा कि 99.54 प्रतिशत इनकम टैक्स रिटर्न्स को बिना किसी छानबीन के मंजूर किया गया है। अब 24 घंटे में सभी इनकम टैक्स रिटर्न प्रोसेस होंगे और तुरंत रिफंड दिए जाएंगे।
यही नहीं अपने बजट भाषण में पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि टैक्स कलेक्शन 2014 में 6.38 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 12 लख करोड़ रुपए हुआ है। इसके अलावा 6.85 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल हुए हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद निश्चित रूप से लोगों को टैक्स जमा करने के दौरान कुछ मुश्किलों का सामाना करना पड़ा। नई टैक्स प्रक्रिया की वजह से मध्यम वर्ग के लोगों को चार्टर्ड अकाउंटेंट और वकीलों के पास चक्कर लगाना पड़ता था। इस तरह टैक्स जमा करने के लिए लोगों को काफ़ी समय व पैसा इंवेस्ट करना होता था।
देश में आर्थिक बदलाव की इस नई प्रक्रिया को आदतों में लाना लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल भी था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि लंबे समय से लोगों को टैक्स डिपार्टमेंट के सुस्त काम-काज की आदत लग गई थी। ऐसे में टैक्स सिस्टम के खामियों का फ़ायदा उठाकर टैक्स चोरी करना पहले की तुलना में अधिक मुश्किल हो गया। लोगों के लिए हर हाल में किसी भी तरह के आय को जीएसटी पर दिखाना अनिवार्य हो गया।
ऐसे में जो नई व्यवस्था आई उसको लेकर लोगों की परेशानी उचित ही थी। लेकिन जल्द ही टैक्स जमा करने के लिए रजिस्टर्ड करने वाले लोगों की संख्या में काफ़ी वृद्धि देखने को मिली।
यही वजह था कि जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई 2018 तक एक करोड़ लोगों ने इसके लिए पंजीकरण तो कराया, लेकिन 50 फ़ीसदी लोग अभी टैक्स नहीं दे रहे थे। इन लोगों द्वारा पैसा नहीं जमा करने के पीछे जीएसटी तकनीक एक बड़ा मुद्दा था।
सरकार ने इस तकनीक को आसान बनाने के लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया। इस तरह अब टैक्स जमा करने वालों को न तो किसी कर्मचारी के चक्कर लगाने होंगे और न ही किसी की जेब गर्म करनी होगी।