Friday, October 4, 2024
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कौन हैं ये 4000 साल पुराने योद्धा: उत्तर प्रदेश में मिली भारत की सबसे बड़ी कब्रगाह!

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, कब्रिस्तान में जो अवशेष मिले हैं, उनमें अंडरग्राउंड चेंबर्स, सुसज्जित ताबूत और शवों के साथ दफनाए गए चावल से भरे बर्तन हैं। ये कब्रें किसी स्वदेशी योद्धा जनजाति की हैं, जो कभी इस क्षेत्र में रहा करते थे।

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित कब्रिस्तान भारत का सबसे चर्चित और पुराना कब्रिस्तान बन गया है। इस बात की पुष्टि कार्बन डेटिंग के बाद एएसआई की टीम ने की है। टीम के मुताबिक सिनौली स्थित कब्रिस्तान में अब तक 126 कब्रें मिली हैं, जोकि 3800 वर्ष पुरानी है।

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली स्थित कब्रिस्तान में एएसआई की टीम लंबे वक्त से खोजबीन में लगी हुई है। उसे यहाँ से कई अवशेष मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, कब्रिस्तान में जो अवशेष मिले हैं, उनमें अंडरग्राउंड चेंबर्स, सुसज्जित ताबूत और शवों के साथ दफनाए गए चावल से भरे बर्तन हैं। ये कब्रें किसी स्वदेशी योद्धा जनजाति की हैं, जो कभी इस क्षेत्र में रहा करते थे।

सिनौली कब्रिस्तान खोजबीन में यहाँ पर कई कब्रें, चार पैर वाले लकड़ी के ताबूत, मिट्टी के बर्तन, युद्ध के वक्त इस्तेमाल की जाने वाली ढालें भी मिलीं। यहाँ पर एक ताबूत ऐसा भी मिला है, जिसे आठ मानव आकृतियों के जरिए सजाया गया था। एएसआई जॉइंट डायरेक्टर एसके मंजुल कहते हैं कि कार्बन डेटिंग में इस बात की पुष्टि हुई है कि 300 वर्षों के अंतर के साथ इन्हें तकरीबन 1900 ईसा पूर्व दफनाया गया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित संबंधित खबर की कटिंग

वहीं मंजुल कहते हैं, ‘वर्ष 2005-2006 के बीच यहाँ 116 कब्रें मिली थीं जबकि पिछले दो वर्षों में यहाँ 10 और कब्रें मिली हैं, जो कि 3,800 वर्ष पुरानी हैं। इसके साथ ही यह भारत के सबसे बड़े और चर्चित कब्रिस्तान की फेहरिस्त में आ जाता है।’

दरअसल सिनौली में वर्ष 2005 में एएसआइ के अधिकारी डॉ. डीबी शर्मा खुदाई शुरू कराई थी। इसके बाद वर्ष 2018 फरवरी माह में गाँव के सत्येंद्र सिंह मान को अपने खेत में काम करते समय ताँबे के कुछ टुकड़े मिले थे, जिस पर उन्होंने एएसआइ से संपर्क किया था। इसके बाद मार्च 2018 से यहाँ खोदाई जारी है ।

साभार – NBT

गौरतलब है कि बागपत जनपद में महाभारतकालीन सादिकपुर, सिनौली गाँव को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। एएसआई आगरा सर्किल पहले ही सादिकपुर को राष्ट्रीय महत्व का पुरातत्वीय स्थल घोषित करने की प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर चुका है। इसी के साथ यह आगरा सर्किल का 267वाँ संरक्षित स्मारक बन गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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