त्रिपुरा के नाम पर महाराष्ट्र में पिछले दिनों मुस्लिम भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया। सैंकड़ों की भीड़ ने सड़कों पर उतरकर तोड़फोड़ की, पुलिस पर पथराव किया। अब इसी घटना को लेकर टाइम्स नाऊ ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट प्रकाशित की है। मीडिया चैनल के अनुसार, हिंदुओं और हिंदू संगठनों के ख़िलाफ़ ये हिंसा त्रिपुरा के बारे में फर्जी पोस्ट कर करके फैलाई गई। कहीं इसमें कहा गया कि मुस्लिमों पर हमला हुआ तो कहीं बोला गया कि मस्जिद को जलाया गया।
रिपोर्ट में 7 तस्वीरों का जिक्र है और इन्हीं के बल पर दावा किया गया है कि हिंदुओं के विरुद्ध पूरा अभियान फर्जी तस्वीरों (वीडियो में मौजूद) से चलाया गया। एक फोटो में दो लोग हाथ में जली हुई किताब लेकर दिख रहे हैं। इस तस्वीर को कैप्शन दिया गया कि हिंदू गुंडों ने कुरान की प्रतियाँ जलाई हैं जबकि वास्तविकता में ये तस्वीर जून में दिल्ली के एक रिफ्यूजी कैंप से ली गई थी।
दूसरी तस्वीर में एक इस्लामी उलेमा, इमारतों में लगी आग को ये कहकर फैलाता पाया गया कि त्रिपुरा में 16 मस्जिदों में आग लगा दी गई है जबकि तस्वीर त्रिपुरा के अगरतला की है जिसमें सीपीएम ऑफिस को निशाना बनाया गया था न कि मस्जिदों को।
#TripuraToolKit: #BJP has alleged that fake videos were spread to incite violence in #Maharashtra; BJP claims, 'no mosque was vandalized in Tripura'.
— TIMES NOW (@TimesNow) November 15, 2021
Pranesh with analysis. pic.twitter.com/nUoiAS0kbH
इसी तरह एक अन्य तस्वीर जिसमें बीजेपी का झंडा देख लोगों की भीड़ वाली तस्वीर पर लिखा गया, ‘भगवा आतंकी आपे से बाहर हो रहे हैं।’ अब ये तस्वीर दरअसल कोलकाता में विहिप द्वारा रामनवमी पर निकाले गए जुलूस की है जिसका त्रिपुरा से लेना-देना नहीं है।
अगले पोस्ट में एक फिरोज खान ने कहा कि दंगाइयों को त्रिपुरा पुलिस संरक्षण प्रदान कर रही है। वहीं राज्य पुलिस की साइबर क्राइम ने इसे फेक तस्वीर कहा। ऐसी ही अगली तस्वीर का जिक्र भी रिपोर्ट में है जो असलियत में पाकिस्तान के निजामाबाद की है। वो भी तब की जब एक धमाके में 4 लोग मारे गए थे।
इसके बाद अगली तस्वीर में कहा गया कि त्रिपुरा में मुस्लिमों की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। लेकिन यदि सच का पता लगाएँ तो दावे वाली तस्वीर जौनपुर की है जहाँ 22 अक्टूबर 3 मंजिला बिल्डिंग गिर गई थी।
बता दें कि महाराष्ट्र में भड़की हिंसा को देखते हुए गृह मंत्रालय पहले ही बयान जारी कर चुका है कि त्रिपुरा में मस्जिद को नुकसान पहुँचाने की खबरें झूठी हैं और तथ्यों को जोड़-तोड़ कर बनाई गई हैं। त्रिपुरा के गोमती जिले के ककराबन इलाके में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई, जैसी फैलाई जा रही है कि वहाँ मस्जिदों पर हमला हुआ और तोड़फोड़ हुई।
There was communal tension in Tripura but controlled by police some days ago
— Anshul Saxena (@AskAnshul) November 14, 2021
Propagandists spread fake news in name of Tripura violence, which resulted in violence by radicals in Maharashtra
These photos, videos are not from Tripura, video from Bangladesh & photos of Rohingyas pic.twitter.com/Bgcrw09dvt
गौरतलब है कि 12 नवंबर को महाराष्ट्र के नांदेड़, अमरावती और मालेगाँव समेत कई शहरों में मुस्लिम संगठनों ने त्रिपुरा हिंसा के नाम पर इकट्ठा होकर उपद्रव मचाया था। भीड़ के डर से बाजार में दुकानें बंद हो गईं थी और पुलिस पर भी पथराव किया गया था। इलाके शांत होने के बाद पता चला था कि इस तरह सड़कों पर उतरने से पहले सोशल मीडिया पर जमकर तस्वीरें शेयर हुई थी। कहीं बांग्लादेश के रोहिंग्याओं को त्रिपुरा के मुस्लिम कहा गया था तो कहीं दूसरे राज्यों की तस्वीरें शेयर हुई थी।