तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच छठे बैठक के बाद चार में से दो माँगों पर सहमति बनी है। बैठक के समापन के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वार्ता बहुत अच्छे वातावरण में आयोजित की गई और यह एक सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई।
किसानों और सरकार के बीच पराली जलाने और बिजली बिल संबंधी अध्यादेश पर सहमति बनी है। अब दिल्ली और आस-पास के इलाकों में बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण का कारण बने पराली जलाने के लिए किसानों को दंडित नहीं किया जाएगा। बता दें कि भारत सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों अध्यादेश 2020 में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग की शुरुआत की थी। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएँ दायर करने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया था।
अध्यादेश के अनुसार, वायु प्रदूषण को लेकर हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान के क्षेत्रों सहित एनसीआर पर आयोग का अधिकार क्षेत्र होगा। अध्यादेश आयोग को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसके द्वारा जारी किए गए किसी भी उपाय या निर्देशों के उल्लंघन के लिए पाँच साल की जेल की सजा या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों का अधिकार देता है। किसान आशंका जता रहे थे कि अगर उन्हें पराली जलाने का दोषी पाया जाता है तो उन्हें भी इस अध्यादेश के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
First issue was an ordinance related to the Environment. Unions were apprehensive about farmers being included along with Parali ones. Both sides agreed to farmers’ exclusion: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar on 6th round of talks with farmers’ unions https://t.co/tvF5PcP55j pic.twitter.com/elbZqB4EHw
— ANI (@ANI) December 30, 2020
अब बैठक के बाद, केंद्र सरकार किसानों को इसके दायरे से बाहर रखने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने पर सहमत हो गई है। इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक नया निकाय स्थापित किए जाने के बावजूद, सितंबर-दिसंबर की अवधि के दौरान एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
हल किया जाने वाला दूसरा मुद्दा इलेक्ट्रीसिटी अधिनियम में संशोधन है। किसानों को डर है कि अगर बिजली अधिनियम में सुधार लाया जाता है, तो उन्हें नुकसान होगा। किसान यूनियनों ने माँग की कि वर्तमान में किसानों को सिंचाई के लिए दी जाने वाली बिजली सब्सिडी जारी रहनी चाहिए। केंद्र ने इस माँग पर भी सहमति जताई है।
Farmers feel that if reform is introduced in the Electricity Act, they’ll suffer loss. Unions wanted that electricity subsidy given to farmers by states for irrigation should continue. The consensus was reached on this issue also: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar https://t.co/bUIbLzSnyB pic.twitter.com/wW7CibZr6n
— ANI (@ANI) December 30, 2020
हालाँकि, किसानों की अन्य दो माँगों पर गतिरोध जारी है। वो दो माँगें हैं- तीन कृषि कानूनों को वापस लेना और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी देने के लिए एक कानून बनाना। केंद्रीय सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन यदि किसान कानूनों के किसी विशेष खामी के बारे में बताते हैं तो से संशोधित किया जा सकता है। मगर किसान यूनियन इसके लिए तैयार नहीं हैं, या फिर वो कानून में खामियाँ निकालने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए वो कानून को ही रद्द करने की माँग पर अड़े हुए हैं। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले तक किसान यूनियन और कॉन्ग्रेस जैसे विपक्षी दल नए कृषि कानूनों में किए गए प्रावधानों की माँग और वादा कर रहे थे।
एमएसपी दशकों से बिना किसी कानून के एक कार्यकारी निर्णय के रूप में जारी है, लेकिन अब किसान इसके लिए एक कानून चाहते हैं। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि एमएसपी जारी रहेगा, हालाँकि, गारंटी देने के लिए एक कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है।
किसानों ने दावा किया है कि वे तब तक विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे जब तक कि उनकी अन्य दो माँगें भी पूरी नहीं होती हैं। अगले दौर की वार्ता 4 जनवरी को होगी। मंत्री तोमर ने कहा कि बैठक न्यूनतम समर्थन मूल्य और तीन कृषि कानूनों पर केंद्रित होगी।