Wednesday, November 27, 2024
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बाप तेजाब से मारता था, बेटा गोलियों से मरवाता है: बिहार में MLC कैंडिडेट पर AK-47 से फायरिंग, FIR में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का भी नाम

रईस खान और उनका भाई अयूब खान कभी शहाबुद्दीन के मुख्य शूटर हुआ करते थे। बाद में दोनों भाइयों ने शहाबुद्दीन के हटकर अलग गैंग बना लिया। इसके बाद से दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।

बिहार के कुख्यात अपराधी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) की जेल में मौत के बाद उनका बेटा अपने अब्बू के कदमों पर चल पड़ा है। बिहार में हुए AK-47 से हमले के बाद लोगों के जुबान पर यही बात आ रही है। शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब (Osama Sahab) पर आरोप है कि उन्होंने बिहार के सिवान से विधान परिषद (MLC) उम्मीदवार की गाड़ी पर खतरनाक AK-47 से लगभग 150 राउंड गोलियाँ बरसाईं, जिसमें एक शख्स की मौत और कई लोग घायल हो गए हैं।

MLC प्रत्याशी रईस खान (Rais Khan) ने इस संबंध में सिवान के हुसैनगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में ओसामा सहित 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। दी गई शिकायत में मोहम्मद रईस ने कहा कि वह MLC चुनाव के लिए हुए मतदान के दिन (4 अप्रैल को) अपने समर्थकों के साथ घर लौट रहे थे, इसी दौरान रास्ते में ओसामा ने उनके वाहन पर अंधाधुन फायरिंग की। इस फायरिंग में विनोद यादव के एक शख्स की मौत हो गई है।

रईस ने अपनी शिकायत में कहा है कि काफिले में उनके साथ चल रही गाड़ी के ड्राइवर हसाम अली खाँ और उनके साथ बैठे तेग अली खाँ तो तीन गोलियाँ लगी हैं। वहीं, बारात से लौट रहे विनोद यादव को चार-पाँच गोलियाँ लगीं। वहीं, अपनी गाड़ी से जा रहे राकेश तिवारी और उनकी पत्नी इंदू तिवारी को भी गोलियाँ लगी हैं।

इस गोलीबारी में विनोद यादव को अस्पताल ले जान के क्रम में मौत हो गई, जबकि घायलों को ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले में ओसामा के अलावा शहाबुद्दीन के करीबी आफताब आलम, गुड्डू पिस्टल, पूर्व मुखिया साबिर मियाँ, डबलू खाँ, आजाद अंसारी, आसिफ सिद्दीकी और चवन्नी को आरोपित बनाया गया है।

सारण के डीआईजी रवींद्र कुमार मंगलवार (5 अप्रैल) को सिवान पहुँचे और कहा कि इस घटना में शामिल लोग बख्शे नहीं जाएँगे। पुलिस उन्हें जल्द गिरफ्तार करेगी और उन्हें जेल में डालेगी। वहीं, ओसामा के समर्थकों का कहना है कि वह जिले से बाहर हैं, इस घटना में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्हें बदनाम किया जा रहा है।

शहाबुद्दीन की विरासत का दावेदार ओसामा

जेल में शहाबुद्दीन की मौत के बाद ओसामा को उनका राजनीतिक वारिस माना जा रहा है। हालाँकि, उनका अम्मी हिना शहाब भी राजनीति में सक्रिय है, लेकिन शहाबुद्दीन की मौत के बाद जिस तरह के बिहार के नेताओं का ओसामा से मिलना हुआ, उससे यही कयास लगाया जा रहा है कि वे शहाबुद्दीन की स्याह विरासत को छोड़ेंगे नहीं।

इस एफआईआर के साथ ओसामा पर अवैध AK-47 से संबंधित मामला दर्ज हो गया है। इससे पहले शहाबुद्दीन के घर से भी AK-47 का जखीरा बरामद हुआ था। वहीं, ओसामा पर तेजाब कांड में भी नाम आया था, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।

शहाबुद्दीन का आतंक

बिहार में आतंक का पर्याय बन चुके शहाबुद्दीन राजद के संरक्षण में बेलगाम हो चुके थे। उन हत्या, अपहरण, डकैती, फिरौती, पुलिस पर हमला सहित कई दर्जन मुकदमे दर्ज थे। चंदा बाबू का केस उनमें से एक है। अगस्त 2004 को रंगदारी नहीं देने पर शहाबुद्दीन के गुर्गों ने सिवान के व्यापारी चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों राजीव और सतीश की बीच चौराहे पर तेजाब से नहलाकर हत्या कर दी थी।

इस मामले में जब पुलिस अधिकारी सीके अनिल और एस रत्‍न संजय कटियार ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शहाबुद्दीन के सिवान स्थित घर पर छापेमारी की। इस दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों ने पुलिस पर हमला कर दिया। शहाबुद्दीन और पुलिस के बीच लगभग 3 घंटे तक गोलियाँ चली थीं। इस दौरान शहाबुद्दीन के घर पाकिस्तान में निर्मित AK-47, भारी मात्रा में अन्य हथियार और जेवरात बरामद किए गए थे।

कौन हैं रईस खान

रईस खान और उनका भाई अयूब खान कभी शहाबुद्दीन के मुख्य शूटर हुआ करते थे। बाद में दोनों भाइयों ने शहाबुद्दीन के हटकर अलग गैंग बना लिया। इसके बाद से दोनों के दुश्मनी शुरू हो गई। इसके बाद से दोनों भाइयों ने बिहार और पश्चिम बंगाल में कई वारदातों को अंजाम दिया। दोनों भाई खान ब्रदर्स के नाम से कुख्यात हो गए।

सीवान जिले के सिसवन प्रखंड में साल 2000 के दशक में रईस खान और इनके भाई अयूब खान का दबदबा था। इन दोनों का दोनों राज्यों में खूब आतंक था। रईस खान पर पुलिस की हत्या सहित दर्जनों अपराधिक मुकदमा दर्ज है। जमीन हथियाने सहित कई अवैध धंधों में ये लिप्त रहे।

तीन महीने पहले अयूब खान को STF ने पूर्णिया के बयासी थाना के चेकपोस्ट से गिरफ्तार किया था। अयूब खान पर हत्या, रंगदारी माँगने, लूट, डकैती और अपहरण के कुल 42 मामले 17 अलग-अलग थानों में हैं। इतना ही नहीं, बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और ओडिशा की पुलिस को भी इसकी तलाश थी।

इसके बाद रईस खान में जदयू से अपनी राजनीति की शुरुआत की। माना जा रहा है कि यह हमला राजनीतिक दबंगई को लेकर ही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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