महाराष्ट्र में 6 नवम्बर 2021 (शनिवार) को एक बार फिर अस्पताल में आग लगने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। इस बार अहमदनगर जिले का जिला अस्पताल आग की चपेट में आया है। इस घटना में कम-से-कम 11 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 6 अन्य मरीज झुलस गए हैं। ये सभी मरीज कोरोना का इलाज करवा रहे थे। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि का ऐलान किया है। वहीं, मुंबई के हंसा हेरिटेज बिल्डिंग में भी आग लगी है।
Maharashtra | A total of 10 people died in a fire incident at Ahmednagar District Hospital, said District Collector Rajendra Bhosale pic.twitter.com/zrUnAMKNMj
— ANI (@ANI) November 6, 2021
रिपोर्ट के अनुसार, यह आग जिला अस्पताल के ICU वार्ड में लगी। घटना के समय वार्ड में लगभग 25 मरीज मौजूद थे। आग लगने की वजह शार्ट सर्किट को बताया जा रहा है। हालाँकि, इस मामले में अंतिम निष्कर्ष जाँच के बाद ही सामने आएगा। आग लगने का समय सुबह 11 बजे के आसपास का बताया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस घटना पर शोक जताया है। उन्होंने इस घटना की जाँच के भी आदेश दिए हैं। यह जाँच जिलाधिकारी राजेंद्र भोंसले करेंगे। जाँच की रिपोर्ट सप्ताह भर में देने की समय सीमा तय की गई है।
अहमदनगर जिल्हा रुग्णालयातील आयसीयु वॉर्डात आज आग लागून झालेल्या दुर्घटनेसंदर्भात मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांनी शोकसंवेदना व्यक्त केली असून याप्रकरणी सखोल चौकशी करून हलगर्जीपणास जबाबदार असणाऱ्यांवर कठोर कारवाई करण्याचे निर्देश दिले आहेत.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) November 6, 2021
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आग लगते ही घटनास्थल पर धुएँ का गुबार फैल गया। इसी के साथ ही मरीजों में चीख-पुकार मच गई। अस्पताल के अन्य कर्मियों में भी अफरा-तफरी फैल गई। स्थानीय सांसद इम्तियाज जलील ने इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए बताया कि घटना में 11 मरीजों की जान चली गई।
11 patients killed in fire at civil hospital in Ahmednagar.Many others in serious condition. Just see the water pressure of this fire brigade van which cannot even reach first floor. It’s not fire that killed them it’s a murder by our system that takes life of a poor for granted. pic.twitter.com/6HQSTJVjem
— Imtiaz Jaleel (@imtiaz_jaleel) November 6, 2021
वहीं, मुंबई के कांदिवली के हंसा हेरिटेज बिल्डिंग में भी आग लगने की सूचना है। हालाँकि, इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। मुंबई के फायर ब्रिगेड विभाग के बताया कि आग पर नियंत्रण करने के लिए दमकल की 7 गाड़ियाँ मौके पर पहुँच गई हैं। खबर लिखे जाने तक आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश जारी है।
Maharashtra | Fire broke out in Hansa Heritage building, Kandivali; 7 fire brigade vehicles are present at the spot for fire fighting operations: Mumbai Fire Brigade
— ANI (@ANI) November 6, 2021
महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग लगने की लगातार घटनाओं ने वहाँ के स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानिए इस वर्ष की ऐसी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में –
28 अप्रैल 2021 को मुम्ब्रा के प्राइम क्रिटिकेयर अस्पताल में अचानक आग लग गई थी। इस घटना में 4 मरीजों की मृत्यु हो गई थी। घटना के समय वहाँ 20 मरीज भर्ती थे। कुछ ही समय में आग 2 मंजिल तक फ़ैल गई थी। इस घटना में भी आग की वजह शार्ट सर्किट बताया गया था।
इसी वर्ष 23 अप्रैल 2021 को मुंबई के पश्चिम विरार के विजय वल्लभ कोविड केयर अस्पताल में आग लग गई थी। इस अग्निकांड में लगभग 13 मरीजों की जान गई थी। मौत की वजह जहरीले धुएँ से घुटन बताई गई थी। यह आग सुबह 3 बजे के आसपास लगी थी। उस समय कई लोग सो रहे थे। आग की शुरुआत अस्पताल के एयरकंडीशन यूनिट से हुई थी। घटना के समय वार्ड में करीब 17 मरीजों का इलाज चल रहा था।
21 अप्रैल 2021 को नासिक के डॉ ज़ाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर लीक होने से लगभग 24 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। यह सिलेंडर भरने के दौरान लीक हुआ था। इसी लीकेज के चलते वेंटिलेटर पर रखे गए रोगियों को लगभग आधे घंटे तक ऑक्सीजन नहीं मिल पाई थी।
इसी वर्ष मार्च के महीने में मुंबई के भांडुप क्षेत्र में सनराइज अस्पताल में आग लगने की घटना हुई थी। आग अस्पताल के टॉप फ्लोर पर लगी थी। इस घटना में 10 मरीजों की मौत हो गई थी। ये सभी कोरोना का इलाज़ करवा रहे थे। घटना के समय वहाँ 76 मरीज इलाज करवा रहे थे।
इस साल जनवरी के शुरू में भंडारा जिला अस्पताल में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई थी। इन सभी की उम्र 1 से 2 माह के बीच थी। जन्म के समय कमजोर पैदा हुए कुल 17 बच्चों को यहाँ इलाज के लिए रखा गया था। उनमे मात्र 7 बच्चों की जान बच पाई। अधिकांश बच्चों की मौत घुटन की वजह से हुई थी।