एक तरफ पूरा देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। तो वहीं दूसरी ओर मजहबी भीड़ लगातार जमातियों को बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम के साथ पुलिस प्रशासन को भी अपना निशाना बना रही है। निजामुद्दीन की घटना के बाद एक के बाद एक देश के विभिन्न हिस्सों से डॉक्टरों के काम में बाधा डालने और पुलिस प्रशासन पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। यह खबरें चिंताजनक तो हैं ही साथ ही सभ्य समाज को शर्मसार कर देने वाली भी हैं।
जाहलियत की हद है, देखिए जांच करने गई डॉक्टरों की टीम पर कैसे पथराव कर रही है मुसलमानों की भीड़ pic.twitter.com/fpsX4ItLHa
— Panchjanya (@epanchjanya) April 3, 2020
गुरुवार को एक खबर झारखंड से आई, जहाँ रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में मलेशिया की एक महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। जिस घर से महिला मिली, उसके आसपास के घरों में रहने वालों के स्वास्थ्य की जाँच के लिए गुरुवार को जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम को वहाँ भेजा। टीम जैसै ही लोगों की जाँच करने पहुँची तो स्थानीय लोगों ने इनका विरोध किया। इतना ही नहीं लोगों के विरोध के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम को वहाँ बैरंग लौटना पड़ा।
कुछ ऐसी ही एक खबर कर्नाटक से आई, जहाँ बेंगलुरु में कोरोना वायरस से जुड़ा डेटा कलेक्ट करने गई एक आशा कार्यकर्ता पर लोगों ने हमला कर दिया। कार्यकर्ता कृष्णा वेनी का आरोप है कि एक मस्जिद से लोगों को भड़काया गया और इसके बाद उन पर हमला किया गया। दरअसल, आशा कार्यकर्ता कोरोना के मरीजों की हिस्ट्री पता करते हुए एक लिस्ट बना रही थी।
वहीं राजस्थान के टोंग कोतवाली इलाके में सर्वे करने पहुँची स्वास्थ्य विभाग की 6 सदस्यीय टीम पर लोगों ने हमला कर दिया। इस दौरान लोगों ने टीम का विरोध करने के नाम पर पहले तो गालीगलौच की और फिर सभी को जमकर पीटा। इतना ही नहीं डॉक्टरों के हाथों में लगे कागजों को भी फाड़कर नाली में फेंक दिया। हालाँकि, इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं छत्तीसगढ़ के रायपुर में लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजेशन कर रहे नगर निगम के कर्मिचारियों का पहले तो कुछ लोगों ने विरोध किया और फिर उनसे कुछ लोगों ने बदसलूकी करते हुए उनके साथ मारपीट की। इस दौरान कर्मचारियों को वहाँ से अपना जान बचाकर भागना पड़ा।
बिहार के मुजफ्फरपुर में 11 साल की बच्ची की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों की जाँच करने गई थी। लेकिन, भीड़ ने टीमों पर हमला कर दिया। दो पुलिस जवानों को पीट-पीटकर घायल कर दिया। घटना बुधवार की है। जब स्वास्थ्य विभाग ने जागरूक करने की कोशिश की तो कहने लगे मौत कोरोना की वजह से नहीं हुई। ऐहतियात बरतने को कहा तो पथराव कर दिया।
वहीं बुधवार को मध्य प्रदेश इंदौर शहर के टाटपट्टी बाखल क्षेत्र में मिले एक कोरोना मरीज के बाद वहाँ स्थानीय लोगों की जाँच करने गई मेडीकल टीम पर लोगों ने हमला कर दिया। इतना ही नहीं सूचना मिलने पर पहुँची पुलिस पर भी लोगों ने पत्थर बरसाए थे। डॉक्टरों की टीम में दो महिला डॉक्टर भी शामिल थीं। इसके बाद पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद गुलरेज, सोयब उर्फ शोभी और मज्जू उर्फ मजीद के खिलाफ में रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। साथ ही चारों आरोपितों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत इंदौर से बाहर केंद्रीय जेल रीवा में रखने के आदेश जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि निजामुद्दीन स्थित मरकज की इमारत से जमातियों को जब निकालकर अस्पताल ले जाया जा रहा था उस दौरान वह लोग लगातार रास्ते में थूकते हुए जा रहे थे। वहीं गाजियाबाद के आइसोलेशन वार्ड में रखे गए संभावित कोरोनावायरस तबलीगी जमाती मरीजों के खिलाफ बीते दिन सीएमओ गाजियाबाद ने कोतवाली घंटाघर में तहरीर दी थी। उन्होंने बताया कि आइसोलेशन में रखे गए तबलीगी जमाती बिना कपड़ों, पैंट के नंगे घूम रहे हैं। यही नहीं, आइसोलेशन में रखे गए जमाती अश्लील वीडियो चलाने के साथ ही नर्सों को गंदे-गंदे इशारे भी कर रहे हैं।
इन घटनाओं को देखते हुए सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से पेश आने के लिए पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए हैं। वहीं योगी सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ में अब रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
Violent attacks being committed against doctors¶medical staff providing healthcare by risking their lives is condemned&anyone resorting to violence against them will be liable to strict legal action. All DGPs to take immediate action against culprits: MoS Home G Kishan Reddy pic.twitter.com/eK3KsDr7Al
— ANI (@ANI) April 2, 2020