सुप्रीम कोर्ट चार पूर्व न्यायधीश और हाई कोर्ट के 17 पूर्व न्यायधीशों सहित कुल 21 पूर्व न्यायाधीशों ने देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इसमें पूर्व न्यायाधीशों ने कुछ ‘गुटों’ द्वारा न्यायपालिका को कमजोर करने और न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का आरोप लगाते हुए चिंता जताई है। इससे पहले 28 मार्च 2024 को देश के 600 से अधिक वकीलों ने CJI को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर उठते सवाल को देखते हुए वो चिंता जताई थी।
CJI को लिखे पत्र में 21 पूर्व न्यायाधीशों ने लिखा, “हम कुछ गुटों द्वारा दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान के माध्यम से जानबूझकर न्यायपालिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसको लेकर हम अपनी साझा चिंता व्यक्त कर रहे हैं। हमारे संज्ञान में आया है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित ये तत्व प्रयास कर रहे हैं हमारी न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास कम हो।”
पूर्व जजों ने आगे लिखा, “हम गलत सूचना फैलाने की रणनीति और न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावनाओं को भड़काने को लेकर चिंतित हैं। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए भी हानिकारक है। उन न्यायिक निर्णयों की चयनात्मक रूप से प्रशंसा करने की प्रथा है जो किसी के विचारों से मेल खाते हैं, जबकि उन लोगों की तीखी आलोचना किया जाता है जो न्यायिक समीक्षा और कानून के शासन के सार को कमजोर नहीं करते हैं।”
21 Retired Judges write to Chief Justice of India (CJI) Dy Chandrachud
— ANI (@ANI) April 15, 2024
"We write to express our shared concern regarding the escalating attempts by certain factions to undermine the judiciary through calculated pressure, misinformation, and public disparagement. It has come to… pic.twitter.com/bPZ0deczI2
पूर्व जजों ने पत्र में आगे लिखा कि इस तरह की गतिविधियों से न सिर्फ न्यायपालिका की शुचिता का असम्मान होता है, बल्कि जजों की निष्पक्षता के सिद्धांतों के सामने चुनौतियाँ भी खड़ी हो जाती हैं। इन समूहों द्वारा अपनाई जा रही योजना काफी परेशान करने वाली भी है, जो न्यायपालिका की छवि धूमिल करने के लिए आधारहीन सिद्धांत गढ़ती है और अदालती फैसलों को प्रभावित करने का प्रयास करती है।
पत्र में आगे कहा गया, “हम न्यायपालिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और इसकी गरिमा एवं निष्पक्षता बचाए रखने के लिए हर तरह की मदद करने के लिए तैयार हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस चुनौतीपूर्ण समय में आपका मार्गदर्शन और नेतृत्व न्याय एवं समानता के स्तंभ के तौर पर न्यायपालिका की सुरक्षा करेगा।”
600+ वकीलों की CJI को चिट्ठी
इससे पहले 28 मार्च 2024 को हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला, स्वरुपमा चतुर्वेदी जैसे बड़े नामों सहित 600+ वकीलों ने CJI को चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा गया था कि देश का एक ख़ास वर्ग अदालत पर दबाव डालना चाहता है और इसकी स्वायत्तता कम करने की कोशिश में है। चिट्ठी में कहा गया था कि राजनीतिक लोगों से जुड़े मामले और भ्रष्टाचार से संबंधित केसों में ये अधिक हो रहा है।
वकीलों ने कहा था कि इस खास ग्रुप कई तरीकों से न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश करता है, जिनमें न्यायपालिका के तथाकथित सुनहरे युग के बारे में गलत नैरेटिव पेश करने से लेकर अदालतों की मौजूदा कार्यवाहियों पर सवाल उठाना और अदालतों में जनता के विश्वास को कम करना शामिल हैं। वकीलों ने कहा था कि ये खास समूह चुनावों के दौरान अधिक सक्रिय हो जाता है।
CJI को लिखे पत्र में आगे कहा गया था कि ये ग्रुप अपने पॉलिटिकल एजेंडे के आधार पर अदालती फैसलों की सराहना या फिर आलोचना करता है। असल में ये ग्रुप ‘माई वे या हाईवे’ वाली थ्योरी में विश्वास करता है। साथ ही बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी इन्हीं की गढ़ी हुई है। वकीलों ने आरोप लगाया है कि ये अजीब है कि नेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं। ऐसे में अगर अदालत का फैसला उनके मनमाफिक नहीं आता तो वे कोर्ट के भीतर ही या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करना शुरू कर देते हैं।
इस पत्र में कहा गया था कि कुछ तत्व जजों को प्रभावित करने या फिर कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष में फैसला देने के लिए जजों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा सोशल मीडिया पर झूठ फैलाकर किया जा रहा है। इनके ये प्रयास निजी या राजनीतिक कारणों से अदालतों को प्रभावित करने का प्रयास है, जिन्हें किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं किया जा सकता। पत्र में कहा गया था कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला था।
PM मोदी ने विपक्ष पर साधा था निशाना
इन वकीलों के पत्र सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, “दूसरों को डराना-धमकाना और दबाना कॉन्ग्रेस की पुरानी संस्कृति रही है। 5 दशक पहले ही उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ की बात की थी। वो बेशर्मी से दूसरों से तो प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन खुद राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा था, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतवासी उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।” दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इशारा न्यायपालिका में अपनी चलाने की कोशिश में लगे रहने वाले कॉन्ग्रेस समर्थित वकीलों के गिरोह की तरफ था।