Thursday, May 2, 2024
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दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों में शाहरुख पठान पर आरोप तय, हथियारबंद हमलावर का सामना करने वाले कॉन्स्टेबल दहिया की अदालत ने की तारीफ

फरवरी 2020 में CAA कानून की विरोध के आड़ में दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगे किए गए थे। इसमें दंगाइयों द्वारा हिन्दुओं के घरों, दुकानों को भी निशाना बनाने के साथ-साथ कई हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी।

दिल्ली में 2020 के हिंदू विरोधी दंगों (Delhi Riots) के आरोपित शाहरुख पठान पर अतिरिक्त सेशन जज अमिताभ रावत की अदालत में आरोप तय कर दिए गए हैं। आरोपित शाहरुख़ ने दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल दीपक दहिया पर गोली चलाई थी। यह हिन्दू विरोधी दंगा उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुआ था। शाहरुख के अलावा अदालत ने कलीम अहमद, इश्तियाक मलिक उर्फ़ गुड्डू, शमीम और अब्दुल शहजाद पर भी आरोप तय किए हैं। एक अन्य आरोपित बाबू वसीम पर अलग से मुकदमा चलेगा, क्योंकि फिलहाल वह फरार है। अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया है।

इसे गैर-कानूनी कृत्य करने वाले व्यक्तियों या समूहों का एक सामान्य मामला से कहीं गंभीर बताते हुए अदालत ने कहा, “ये दंगे कुछ इस प्रकृति के हैं, जिसे 1984 के सिख दंगों के बाद नहीं देखा गया।” अदालत ने दिल्ली पुलिस के जवान दीपक दहिया के साहस और ड्यूटी के प्रति समर्पण की तारीफ करते हुए कहा कि दीपक ने खतरनाक हालत में भी आरोपित पठान का बहादुरी से सामना किया। न्यायालय ने कहा कि दीपक दहिया उस स्थिति के बाद भी अपनी जगह से नहीं हटे। इसी के साथ उन्होंने एक बंदूक वाले आरोपित का सामना तब किया जब उनके हाथ में केवल डंडा था।

आरोपित शाहरुख पठान के वकील ने अपने तर्क में कहा कि शाहरुख़ पर हत्या के प्रयास की धारा 307 लगने योग्य नहीं है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि ‘एक गोली चलाने के बाद भी शाहरुख़ पठान के पास कांस्टेबल दहिया को मार देने का दूसरा मौका था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इस से साबित होता है कि पठान का इरादा सिपाही को नुकसान पहुँचाने का नहीं था।’

अदालत ने शाहरुख़ पठान के वकील की इन दलीलों को नहीं माना। अदालत ने कहा कि आरोपित द्वारा पुलिस पर गोली चलाना ही 307 IPC के लिए पर्याप्त है। अदालत ये मानने को तैयार नहीं हुई कि सिपाही की हत्या न करना आरोपित की उदारता थी। अदालत ने आरोपित द्वारा दोबारा गोली न चलाना सिपाही दहिया की बहादुरी से टाली गई स्थिति माना।

आख़िरकार आरोपित शाहरुख़ पठान पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27, IPC की धारा 307, 147, 148, 149, 186, 188 और 353 के तहत आरोप तय किए। शाहरुख़ पठान के साथ अपराध में साझीदार रहे शमीम और अब्दुल शहज़ाद को IPC की धारा 307 और आर्म्स एक्ट में आरोपित किया गया। कलीम अहमद पर आरोपित शाहरुख़ को शरण देने के आरोप में IPC की धारा 216 के तहत आरोप तय हुए।

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में CAA कानून की विरोध के आड़ में दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगे किए गए थे। इसमें दंगाइयों द्वारा हिन्दुओं के घरों, दुकानों को भी निशाना बनाने के साथ-साथ कई हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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