हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा एक जमीन के सौदे पर सवाल उठाया जा रहा है और यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस सौदे में घोटाला किया गया है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि एक ही दिन में उस जमीन का कई गुणा कीमत पर सौदा किया गया। हालाँकि ऑपइंडिया ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में यह बताया है कि मंदिर ट्रस्ट पर लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं और यह सौदा कानून के दायरे में ही हुआ है।
विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महा सचिव चंपत राय ने इस पूरे मामले को एक दुष्प्रचार बताते हुए इस जमीन के सौदे से संबंधित कुछ जानकारियाँ ट्विटर के माध्यम से साझा की हैं।
उन्होंने कहा कि श्री राम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र, श्री राम जन्म-भूमि मन्दिर को वास्तु शास्त्र के अनुसार भव्य स्वरूप प्रदान कराने, शेष परिसर को सभी प्रकार से सुरक्षित तथा दर्शनार्थियों के लिए सुविधापूर्ण बनाने के लिए कार्य कर रहा है इसके लिए मन्दिर के पूर्व व पश्चिम भाग में निर्माणाधीन परकोटा व रिटेनिंग वॉल की सीमा में आने वाले महत्वपूर्ण मन्दिरों/स्थानों को परस्पर सहमति से क्रय किया जा रहा है। न्यास का निर्णय है कि इस प्रक्रिया मे विस्थापित होने वाले प्रत्येक संस्थान/व्यक्ति को पुनर्वासित किया जायेगा।
इस निमित्त मन्दिर के पूर्व व पश्चिम भाग में निर्माणाधीन परकोटा व रिटेनिंग वाल की सीमा में आने वाले महत्वपूर्ण मन्दिरों/स्थानों को परस्पर सहमति से क्रय किया जा रहा है। न्यास का निर्णय है कि इस प्रक्रिया मे विस्थापित होने वाले प्रत्येक संस्थान/व्यक्ति को पुनर्वासित किया जायेगा। 2/n
— Champat Rai (@ChampatRaiVHP) June 14, 2021
चंपत राय ने बताया कि पुनर्वास हेतु भूमि का चयन सम्बन्धित संस्थानों/व्यक्तियों की सहमति से किया जा रहा है। बाग बिजेसी, अयोध्या स्थित 1.20 हेक्टेयर भूमि इसी प्रक्रिया के अन्तर्गत महत्वपूर्ण मन्दिरों जैसे कौशल्या सदन आदि की सहमति से पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रय की गई है। यह वही भूमि है जिस पर विवाद है। इसके विषय में उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि उपर्युक्त वर्णित भूमि अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित एक प्रमुख स्थान (प्राइम लोकेशन) है। इस भूमि के सम्बन्ध में वर्ष 2011 से वर्तमान विक्रेताओं के पक्ष में भिन्न-भिन्न समय (2011, 2017 व 2019) में अनुबन्ध सम्पादित हुआ।
ध्यान देने योग्य है कि उपर्युक्त वर्णित भूमि अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित एक प्रमुख स्थान (प्राइम लोकेशन) है। इस भूमि के सम्बन्ध में वर्ष 2011 से वर्तमान विक्रेताओं के पक्ष में भिन्न-भिन्न समय (2011, 2017 व 2019) में अनुबन्ध सम्पादित हुआ। 4/n
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उन्होंने बताया कि खोजबीन करने पर भूखण्ड ट्रस्ट के उपयोग हेतु अनुकूल पाए जाने पर सम्बन्धित व्यक्तियों से सम्पर्क किया गया। भूमि का जो मूल्य माँगा गया, उसकी तुलना वर्तमान बाजार मूल्य से की। अन्तिम देय राशि लगभग 1,423/-रूपए प्रति वर्गफीट तय हुई जो निकट के क्षेत्र के वर्तमान बाजार मूल्य से बहुत कम है। उन्होंने यह भी बताया कि मूल्य पर सहमति हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित व्यक्तियों को अपने पूर्व के अनुबन्धों को पूर्ण करना आवश्यक था, तभी सम्बन्धित भूमि तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो सकती थी और तीर्थ क्षेत्र के साथ अनुबन्ध करने वाले व्यक्तियों के पक्ष में भूमि का बैनामा होते ही तीर्थ क्षेत्र ने अपने पक्ष में पूर्ण तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ अनुबन्ध हस्ताक्षरित किया व पंजीकृत कराया।
मूल्य पर सहमति हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित व्यक्तियों को अपने पूर्व के अनुबन्धों को पूर्ण करना आवश्यक था, तभी सम्बन्धित भूमि तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो सकती थी। 6/n
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आरोप की भाषा में वक्तव्य देने वाले व्यक्तियों ने आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं की, इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें। n/n
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पारदर्शिता के विषय में चंपत राय ने कहा कि तीर्थ क्षेत्र का प्रथम दिवस से ही निर्णय रहा है कि सभी भुगतान बैंक से सीधे खाते में ही किए जाएँगे, सम्बन्धित भूमि की क्रय प्रक्रिया में भी इसी निर्णय का पालन हुआ है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार द्वारा लगाए गये सभी कर आदि का भुगतान हो जाए। इस भूमि के सौदे में लगाए जा रहे आरोपों पर उन्होंने कहा कि आरोप की भाषा में वक्तव्य देने वाले व्यक्तियों ने आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं की, इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन किया है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें।