गुजरात (Gujarat) के भरुच में सैक़ड़ों आदिवासियों को लालच देकर सामूहिक धर्मान्तरण (Bharuch Mass Religious Conversion) कराने के तीन आरोपितों के खिलाफ कोर्ट (Court) ने कड़ा एक्शन लेते हुए उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। भरुच की स्थानीय अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। दरअसल, तीनों आरोपितों इब्राहिम पुना पटेल उर्फ जीतूभाई पुनाभाई वसावा, अयूब बरकत पटेल उर्फ रमनभाई बरकतभाई वसावा और यूसुफ जीवन पटेल उर्फ महेंद्रभाई जीवन पटेल के खिलाफ धर्मान्तरण के मामले में पुलिस ने आऱोप पत्र दायर किया था, जिसके बाद आरोपितों ने जमानत याचिका दायर की थी।
आरोपितों के वकील ने स्थानीय अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट में तर्क दिया कि धर्मान्तरण कर इस्लाम कबूलने से पहले तीनों आरोपित अनुसूचित जनजाति से आते थे। इसलिए उनके खिलाफ एससी/एसटी के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। वकील वोरा ने दावा किया था कि इन सभी पर एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट लागू नहीं होता है।
इसे काउंटर करते हुए अदालत में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पीबी पांडे ने तर्क दिया कि इन तीनों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर साम्प्रदायिक तनाव का उदाहरण है, जिसे समाज में दो वर्गों के बीच विवाद उत्पन्न करने के इरादे से प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चार्जशीट का दायर होना कोई नई वजह नहीं है कि ये लोग बेल फिर एप्लाई करें।
क्या है भरुच धर्मान्तरण केस
गौरतलब है कि नवंबर 2021 में ही ऑपइंडिया ने बताया था कि भरुच जिले की आमोद तहसील के अंतर्गत आने वाले कांकरिया गाँव के रहने वाले प्रवीण वसावा की शिकायत कर फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, सलाहुद्दीन शेख समेत कई और लोगों के खिलाफ वसावा समुदाय के लोगों के सामूहिक धर्मान्तरण कराने का आरोप लगाया था। प्रवीण के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों को नौकरी, घर, शादी के लिए भावी दुल्हन और पैसे की लालच देकर सैकड़ों लोगों का इस्लामिक धर्मान्तरण कराया गया था। इसके साथ ही प्रवीण ने इस बात का भी खुलासा किया था कि किस तरह से धर्मान्तरण के रैकेट को चलाने के लिए विदेशी फंडिंग होती थी।
वसावा ने आगे कहा था, “आदिवासी गरीब लोग हैं। अगर कोई हमें थोड़ा अनाज भी देता है, तो हम मानते हैं कि वे अच्छे लोग हैं। यही कारण है कि लोग धर्म परिवर्तन का लालच देते हैं।”
भरुच धर्मान्तरण रैकेट के तार उत्तर प्रदेश से भी जुड़े थे। जहाँ सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट का खुलासा जून-जुलाई 2021 में ही हुआ था। यूपी एटीएस ने मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और सलाहुद्दीन शेख के खिलाफ कार्रवाई की थी। पता चला था कि भरुच धर्मान्तरण रैकेट में शामिल फेफड़ावाला समेत कई और लोग शेख के एनजीओ एनजीओ एएफएमआई को फंडिंग करते थे, जिससे देश में अशांति फैलाई जाती थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में ही इस एनजीओ का FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। शेख उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में है जबकि फेफड़ावाला फरार है।
15 नवंबर 2021 को भरुच के आमोद पुलिस स्टेशन पार्ट ए में दलित समुदाय से आने वाले प्रवीण वसावा की शिकायत पर गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 4, 5, 4-G और आईपीसी की धारा 120 (B), 153 (B) (C), 506 (2), 153A (1), 295 (K), 466, 467, 468, 471 और एट्रोसिटी एक्ट की धारा 3 (2) (5-A), 3 (2) (5) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 धारा 84 -C के तहत 9 आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। जिन 9 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई उनमें शब्बीर बेकरीवाला (आमोद), समाज बेकरीवाला (आमोद), अब्दुल अजीज पटेल (कांकरिया, आमोद), यूसुफ पटेल (कांकरिया, आमोद), अयूब बरकत पटेल (कांकरिया, आमोद), हसन टिसली (अछोद, आमोद) , फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, इस्माइल अछोड़वाला उर्फ डेलावाला (मौलवी) (अछोद, आमोद) और इब्राहिम पटेल (कांकरिया, आमोद) शामिल थे।
इस मामले में हमारी ग्राउंड रिपोर्ट यहाँ पढ़ें।