गुजरात में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ बने कानून की कुछ धाराओं पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस कानून में इसी साल संशोधन किया गया था और धोखाधड़ी से शादी करने और इसके लिए धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कड़ी धाराएँ लगाई गई थीं। गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार (19 अगस्त, 2021) को अपने अंतरिम आदेश में धोखा देकर अंतरधार्मिक विवाह करने वालों के खिलाफ बने इस कानून की कुछ धाराओं को रोक दिया।
गुजरात हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 की कुछ धाराओं पर रोक लगाई। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ इस खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे थे। 15 जून, 2021 को नए संशोधन के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी की गई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई ख़त्म होने तक 3,4, 4a से लेकर 4c, 5, 6, और 6a धाराओं को लागू होने से रोक दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी शादी कराने वालों को प्रताड़ना से बचाने के लिए ये आदेश जारी किया गया है।
गुजरात सरकार ने उच्च-न्यायालय को बताया था कि ये कानून सिर्फ शादी के लिए धर्मांतरण से संबंधित है और दूसरे धर्मों में विवाह करने से नहीं रोकता है। ‘जमीयत उलेमा-हिंद’ ने इस कानून से आपत्ति जताते हुए इसके खिलाफ गुजरात उच्च-न्यायालय में याचिका दायर की थी। गुजरात सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि राज्य में अंतरधार्मिक विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं है। साथ ही कहा कि शादी को जबरन धर्मांतरण का जरिया नहीं बनाया जा सकता।
Section 3, 4, 4A to 4C, 5, 6, and 6A shall not operate merely because marriage is solemnized by a person of one religion with another religion without force or allurement or fraudulent means.
— Live Law (@LiveLawIndia) August 19, 2021
गुजरात सरकार ने अपने एडवोकेट जनरल के जरिए हाईकोर्ट में अपनी बात रखी थी। सरकार ने पूछा था कि इस कानून से आम लोगों को क्यों डरने की ज़रूरत है? सरकार के अनुसार, अगर धर्मांतरण स्वेच्छा से और वैध तरीके से हो रहा है तो डरने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। इस कानून के तहत धोखाधड़ी, लालच, और बल का इस्तेमाल कर के महज शादी के लिए किसी का धर्मांतरण कराने पर कार्रवाई की बात है।