गुजरात के दो शहरों अहमदाबाद और सूरत के बीच की दूरी करीब 230 किलोमीटर है। हीरे और कपड़े के कारोबार के लिए प्रसिद्ध सूरत राज्य के उन शहरों में है जहाँ दूसरे प्रांतों से आए लोग भी बहुतायत हैं। इसी सूरत के बाहरी इलाके में स्थित ‘सचिन औद्योगिक क्षेत्र’ में 15 साल से पूजा (बदला हुआ नाम) का भी परिवार रहता है। साल था 2015। 17 साल की पूजा अक्सर उस गारमेंट फैक्ट्री में जाती थी जहाँ उसकी माँ और बहन काम करती थी। यहीं वह दिलशाद से मिली।
पूजा बताती है कि फैक्ट्ररी में काम के दौरान दिलशाद उसके बगल में आकर बैठ जाता और पहचान बढ़ाने की कोशिश करता। एक दिन चाय ब्रेक के दौरान दिलशाद ने उसका फोन लेकर अपने नंबर पर डायल किया, जिससे पूजा का फोन नंबर उसे मिल गया। कुछ दिनों बाद, उस साल की शिवरात्रि से दो दिन पहले उसने कॉल किया। पूजा बताती है, “मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया। मैंने फोन उठाया तो कॉल करने वाले ने अपना नाम दिलशाद बताया।”
नाबालिग पूजा को दिलशाद ने कहा कि वह उससे प्यार करता है और मिलना चाहता है। पूजा ने यह कहते हुए उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि पिता घर पर हैं और वह मिलने नहीं आ सकती। उसने यह भी कहा कि वह उसे पसंद नहीं करती है। इसके बावजूद दिलशाद उसे फोन करता रहा। जब उसने नंबर ब्लॉक कर दिया तो वह दूसरे नंबर से कॉल करने लगा। बार-बार फोन आने से पूजा बहुत परेशान रहती थी। उसने बताया कि जब एक दिन पापा ने पूछा कि किसका फोन आता है तो वह और भी डर गई।
पूजा बताती है कि एक दिन दिलशाद ने उसे दूसरे नंबर से फोन कर मिलने को कहा। कहा कि यदि वह एक बार उससे मिल लेती है तो वह फिर कभी फोन और मैसेज नहीं करेगा। उस दिन घर पर पूजा अकेली थी। वह दिलशाद से मिलने गई, जहाँ उसके साथ कई लोग थे, जिन्होंने उसे अगवा कर लिया।
अगवा कर बिहार के कटिहार के एक गाँव में पूजा को ले गए
पूजा ने अपनी आपबीती साझा करते हुए ऑपइंडिया को बताया, “सोचा था मिलकर उसे कहूँगी कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती। लेकिन जब मैं मिलने पहुॅंची तो मुझे बहुत बड़ा झटका मिला। वहाँ 2-3 लोग थे जो मुझे उठाकर ले गए। पहले सचिन के पास साईनाथ नामक स्थान पर ले जाया गया। यहाँ पर कुछ दिन तक रखा।” इस दौरान घर में पूजा के ना मिलने पर उसके माता-पिता और बहन को शक हुआ। उन्होंने दिलशाद से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन उसने कभी भी पूजा को उसके परिवार से बात नहीं करने दी। वे उसे साईनाथ से सीधा मुंबई ले गए। पूजा ने बताया कि मुंबई में दिलशाद के परिवार का एक सदस्य और एक दोस्त रहता था। यहाँ उसे एक दिन रखा गया। इसके बाद बिहार ले जाया गया। इस दौरान वह बहुत रोई, लेकिन उन लोगों को उस पर बिल्कुल भी दया नहीं आई।
“मैं तुमसे निकाह करना चाहता हूँ”
पूजा के अनुसार बिहार में दिलशाद ने उससे कहा कि वह निकाह करना चाहता है। उसने अपने परिजनों और ग्रामीणों से कहा कि निकाह करने के लिए वह उसे लेकर आया है। पूजा निकाह को तैयार नहीं थी। बावजूद लोगों ने दिलशाद का साथ दिया। शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 10 हजार रुपए दिए गए। निकाह के लिए एक मौलाना बुलाया गया। पूजा केा डराया, धमकाया गया। दिलशाद के साथ सूरत की कंपनी में काम करने वाला उसके एक ग्रामीण ने भी पूजा को धमकाया। कहा निकाह नहीं करने पर वे उसके परिवार को जान से मार देंगे। डर से पूजा को निकाह करना पड़ा।
पूजा ने बताया, “मेरे परिवार के सदस्य फोन करते रहे लेकिन वे मुझे धमकाते रहे। जो लोग निकाह में शामिल होने के लिए आए थे वे सभी जानते थे कि मैं इससे खुश नहीं हूँ। यह बात शादी का रजिस्ट्रेशन करने वाले भी जानते थे, लेकिन उन सभी ने निकाह के लिए पैसे लिए थे।”
पूजा ने खुलासा किया कि निकाह के बाद उसका नाम बदल दिया गया। उसके बाल काट दिए गए। बुर्का पहनने का दबाव डाला गया। बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई। दिलशाद उसे मारता भी था। वह कहती है, “उसके पास बार-बार मेरी मम्मी का फोन आ रहा था। मैंने सोचा कि अगर मैं इन लोगों के हिसाब से रहूँ और जैसा ये मुझसे करने को कहते हैं वैसा करूँ, तो वे मुझे अपने परिवार से बात करने दे सकते हैं। फिर एक दिन मेरे पापा का फोन आया, लेकिन उसने मुझे बात नहीं करने दी। मैंने दिलशाद से कहा कि अब तो ठीक से रह रही हूँ मुझे करने दो उन लोगों से बात। फिर जाकर उसने मुझे मेरे परिवार वालों से बात करने दी। पापा ने मुझे बताया कि मम्मी बहुत बीमार हैं।”
पूजा ने बताया कि रात में सोने के वक्त दिलशाद की अम्मी उसके बिस्तर के पास कुछ छिड़कती थी। वह कहती है, “मैंने उनसे पूछा कि आप ये क्या करती हैं, तो उन्होंने कहा कि ये हमारे परिवार के लिए है। मैं 15 से 20 दिनों तक दिलशाद के यहाँ रही। मैंने उसे मौलवी से बात करते हुए भी सुना था, जो निकाह कराने के लिए आया था। उन्हें हिंदू लड़की से निकाह करने पर पैसे मिलते हैं।”
घर वापसी
एक दिन दिलशाद ने पूजा को उसके पिता से बात करने दी। फोन पर पूजा के पिता ने बताया कि उसकी माँ गंभीर रूप से बीमार है। पूजा ने बताया कि मेरे पिता को नहीं पता था कि मैं कहाँ हूँ। पूजा ने तब दिलशाद से अनुरोध किया कि वह उसे जाने दे और एक बार उसे माँ से मिलने दे। लेकिन दिलशाद ने साफ मना कर दिया। जान से मारने की धमकी दी। साथ ही कहा कि अगर उसके घर वाले पुलिस के साथ उसे बचाने के लिए गाँव आए तो वो उन लोगों को भी जान से मार देगा।
पूजा ने खुलासा किया कि उसे बचाने के लिए उसके भाई ने अपने ट्यूशन वाले सर अमित माथुर की मदद ली। एक दिन दिलशाद नहाने गया था और अपना फोन भूल गया था। पूजा ने मौका पाकर उसका फोन उठाया और अपने पिता को जगह के बारे में बताया। लेकिन दिलशाद को यह पता चल गया कि उसके पिता आने वाले हैं। इस बात को लेकर उसने पूजा को बहुत पीटा। फिर दिलशाद के सामने उसने अपने पापा को फोन कर आने से मना किया। वह कहती है, “मैंने उन्हें (पिता) समझाने की कोशिश की कि मैं वापस आ जाऊँगी। मैं दिलशाद के यहाँ अच्छे से रही ताकि उन्हें अपने विश्वास में ले सकूँ। मुझे यह करना पड़ा और कुछ दिनों के लिए मैं वहीं रुक गई। जब मेरे पाप मुझसे मिलने आए, तो दिलशाद ने पहले कुछ लोगों को यह देखने के लिए भेजा कि वह अकेले हैं या उनके साथ पुलिस है और उसके बाद ही मुझे उनसे मिलने दिया गया।”
उसने बताया, “मेरे पापा मुझे देखकर बहुत रोए।” पूजा को दिलशाद और उसकी अम्मी ने ‘विवाह प्रमाण-पत्र’ की कॉपी देने से इनकार कर दिया। लेकिन वह चोरी छिपे एक कॉपी अपने पिता के साथ लेकर आने में कामयाब रही।
पूजा को मंदिर ले जाया गया
पूजा ने जब अपनी माँ को अस्पताल में देखा तो वह आईसीयू में थी। वह कहती है, “परिवार के सदस्यों ने बताया कि मैं रात में नींद से उठकर नमाज पढ़ने लगती हूँ, जबकि मुझे इसके बारे में पता भी नहीं था।” उसने बताया, “एक दिन मैं बहुत बुरा महसूस कर रही थी। मैं यहाँ रहना नहीं चाहती थी। पिता ने उससे रुकने को कहा, लेकिन उसे अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि पड़ोस के लोग उसके साथ हुई घटना के बारे में जानते थे और उस पर समाज का बहुत दबाव था।” अपने आँसू पोछते हुए पूजा ने बताया कि इस स्थिति में एक दिन उसने दिलशाद के पास कटिहार लौटने का फैसला किया।
इसके बाद उसकी बहन ने गिरिश अहीर भाई से संपर्क किया जिन्होंने पूजा को घर लाने में मदद की थी। गिरीश अहीर और उनकी टीम ने पूजा को रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में देखा और उसे ट्रेन से उतारा। बाद में वो उसे दीपिका भावसार से मिलाने ले गए, जो पूजा जैसी महिलाओं के लिए मसीहा मानी जाती हैं। पूजा ने कहा कि भावसार ने उन्हें हिंदू ग्रंथों और नियमित प्रार्थनाओं के बारे में बताया और पढ़ाया। इससे मैं पहले से खुद को बेहतर महसूस करने लगी। गिरीश अहीर सूरत महानगर के हिंदू जागरण मंच के सचिव हैं।
पूजा कहती है, “अगर उसे बचाने वाले नहीं होते, तो उसका आत्मविश्वास अब तक दम तोड़ चुका होता। मैं अभी तक जीवित नहीं होती।” उसने बताया कि इन लोगों ने दिलशाद और उसके परिवार वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने में उसे मदद की। एक पंडित ने पूजा को बताया कि दरगाह ले जाकर उस पर काला जादू किया गया था, जिसके कारण वह नींद से उठकर नमाज पढ़ना शुरू कर देती थी।
ऑपइंडिया से बात करते हुए, गिरीश अहीर ने कहा कि पूजा का मामला सबसे सफल मामलों में से एक रहा है। अब इस बात को 6 साल से अधिक हो गए हैं और लड़की भी बालिग हो गई है। उसका परिवार अब उसकी शादी करना चाहते हैं। अहीर ने वर्ष 2016 में एक अन्य मामले के बारे में बताया जब शीतल (बदला हुआ नाम) को न्याय दिलाने में मदद की थी। उस समय नौवीं कक्षा की छात्रा रही शाीतल को भी एक मुस्लिम युवक लेकर भाग गसा था। इस मामले में आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। बाद में शीतल की शादी हिंदू रीति-रिवाजों के साथ एक हिंदू लड़के से की गई।
गुजरात में ‘लव जिहाद’ का पहला मामला सूरत से
गुजरात में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत ‘लव जिहाद’ का पहला मामला पिछले साल अगस्त में सूरत के डिंडोली इलाके में दर्ज किया गया था। एक 50 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति पर फर्जी पहचान बताकर एक युवा हिंदू लड़की को अपने जाल में फँसाने और उसे गर्भवती करने का आरोप लगाया गया था। 50 साल के शेख मोहम्मद अख्तर ने 22 साल की एक हिंदू लड़की से नाम बदलकर पहले दोस्ती की और फिर उससे निकाह कर लिया। बाद में उसे इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार बुर्का पहनने और नमाज पढ़ने के लिए दबाव बनाने लगा। जब लड़की ने ऐसा नहीं किया तो उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
नोट: मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई निरवा मेहता की इस रिपोर्ट को आप यहाँ क्लिक कर पढ़ कसते हैं। गोपनीयता की वजह से इस रिपोर्ट में कुछ लोगों के नाम बदल दिए गए हैं।