वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे (Gyanvapi Controversial Structure, Varanasi) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस चंद्रचूड़ की अदालत ने कहा कि किसी स्थान के धार्मिक चरित्र के निर्धारण को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने मामले को सुनवाई के लिए वाराणसी के निचली अदालत को स्थानांतरित कर दिया।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “इस मामले में बहुत जटिलता और संवेदनशीलता है, इसलिए इसे निचली अदालत द्वारा एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी द्वारा सुना जाना चाहिए।” जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यही कारण है कि ट्रायल कोर्ट को केस की सुनवाई जारी रखने देना चाहिए।
Supreme Court orders transfer of Gyanvapi mosque case to District Judge, Varanasi. Supreme Court orders that senior and experienced judicial officer of UP Judicial services will hear the case. pic.twitter.com/cE7KefXQYt
— ANI (@ANI) May 20, 2022
मुस्लिम पक्षकार को स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर वह रोक नहीं लगा सकता। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने के बजाय संतुलन बनाने की जरूरत है।
सुनवाई के दौरान उदाहरण देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “भारत में धार्मिक स्थलों का हाइब्रिड चरित्र बहुत आम है। मस्जिद और शिवलिंग को भूल जाइए, एक जगह पर क्रॉस का होना किसी जगह को ईसाई पूजा का स्थान नहीं बना देगा।”
BREAKING: Justice Chandrachud exemplifies — “Hybrid character of religious places very common in India. Forget mosque and Shivlinga, the existence of a Cross in a place will not make a place a christian place of worship…#Gyanvapi #GyanvapiEvidence
— LawBeat (@LawBeatInd) May 20, 2022
इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि जिस क्षेत्र में हिंदू पक्ष कह रहे हैं कि शिवलिंग मिला है, वहाँ एक तालाब है। अहमदी ने कहा, “हम कहते हैं कि यह एक फव्वारा है। उस क्षेत्र में नल हैं। उस क्षेत्र को वज़ू के लिए खोला जा सकता है।”
अहमदी की इस माँग पर सॉलिसिटर जनरल ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाएगी। अदालत की बेंच ने भी अहमदी की इस माँग को मानने से इनकार कर दिया।
Bench says it does not have a picture and Ahmedi’s prayer is difficult to be entertained.
— LawBeat (@LawBeatInd) May 20, 2022
SG says that there is an inquiry report, while Ahmedi says he has an objection to the report itself. #Gyanvapi
मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने अब तक जो किया है, उससे माहौल खराब हो सकता है। उन्होंने कोर्ट से यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि पिछले 500 सालों से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए। हालाँकि, यह माँग स्वीकार नहीं हुई।