राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (दिल्ली एम्स) का सर्वर बुधवार (23 नवंबर, 2022) को हैक किया गया था। अब हैकर्स ने दिल्ली एम्स प्रबंधन से क्रिप्टोकरेंसी के रूप में 200 करोड़ रुपए की माँग की है। यह माँग सामने आने के बाद जाँच एजेंसियाँ अलर्ट मोड पर हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) का सर्वर हैक होने के बाद 3-4 करोड़ मरीजों का डेटा प्रभावित हो सकता है। सर्वर हैक होने के बाद से मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ पूरा काम मैन्युअल तरीके से हो रहा है। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (ICERT), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय की टीम एम्स के सर्वर में हुए रैंसमवेयर अटैक की जाँच कर रहे हैं। बता दें कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने शुक्रवार (25 नवंबर, 2022) को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया है।
अधिकारियों का कहना है कि मामले की जाँच कर रही जाँच एजेंसियों के कहने पर अस्पतालों से जुड़े सभी कंप्यूटर पर इंटरनेट बंद कर दिया गया है। एम्स के सर्वर में कई वीआईपी मरीजों के डेटा भी मौजूद हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री, मंत्री, समेत कई बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।
एम्स के सर्वर को हैकर्स की पहुँच से बाहर करने में जुटे राष्ट्रीय इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) के एक्सपर्ट्स ने फिलहाल ई-हॉस्पिटल डेटाबेस और एप्लिकेशन सर्वर को सफलतापूर्वक ठीक कर लिया है। ई-हॉस्पिटल सर्विसेज को फिर से शुरू करने के चार सर्वर बनाए गए थे। इन सर्वरों को स्कैन करके डेटाबेस और एप्लिकेशन के लिए तैयार किया गया है। एनआईसी की टीम एम्स के अन्य हॉस्पिटल सर्वर को भी ठीक करने में जुटी है। इसके लिए, सभी सर्वर स्कैन किए जा रहे हैं। ये सर्वर एम्स हॉस्पिटल में सेवाओं की बहाली के लिए बेहद आवश्यक हैं।
दिल्ली एम्स के सर्वर को ठीक करने में जुटे अधिकारियों का कहना है कि एम्स के नेटवर्क से वायरस को हटाने का काम चल रहा है। सर्वर और कंप्यूटर के लिए एंटी-वायरस इंस्टॉल किए गए हैं। यह एंटी-वायरस कुल 5000 कम्प्यूटर में से करीब 1200 कंप्यूटर पर इंस्टॉल किया जा चुका है।
बताया गया है कि नेटवर्क को ठीक करने का काम 5 और दिनों तक जारी रहने की संभावना है। इसके बाद, ई-अस्पताल सेवाओं को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है। आपातकालीन, बाह्य रोगी, भर्ती रोगी, प्रयोगशाला जैसी सेवाओं सहित रोगी देखभाल सेवाओं का काम हाथ से किया जा रहा है।