सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 जुलाई 2022) को अररिया जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय की निलंबन वाली याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। जज राय ने पॉक्सो एक्ट में चार दिन में ही सुनवाई पूरी कर आरोपित को मौत की सजा सुनाई थी।
इसके अलावा, ADJ शशिकांत राय ने जिला न्यायालयों में प्रोमोशन की नई प्रणाली पर सवाल उठाया था। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने उन्हें निलंबित कर दिया था। इस निलंबन को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
SC issues notice to Bihar govt on judge's plea against suspension
— ANI Digital (@ani_digital) July 29, 2022
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जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) और जस्टिस एस रवीन्द्र भट (Justice S Ravindra Bhat) की सुप्रीम कोर्ट वाली खंडपीठ ने अपने निर्देश में बिहार की नीतीश कुमार सरकार को अपना जवाब दो सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इस मामले को सुनवाई के लिए उन्होंने सूचीबद्ध कर लिया है।
न्यायाधीश शशिकांत राय की याचिका में कहा गया है कि उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया। इसको लेकर उन्होंने जिला न्यायपालिका में पदोन्नति के लिए नई मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल उठाया था।
राय की तरफ से शीर्ष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास ने कहा, “माननीय उच्च न्यायालय केवल निर्णयों के मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए याचिकाकर्ता को सीधे कारण बताओ नोटिस जारी किया और बाद में बिना कोई कारण बताए उन्हें निलंबित कर दिया, जिससे न्यायिक अधिकारियों का मार्गदर्शन और सुरक्षा करने के अपने संवैधानिक दायित्व में विफल रहे।“
राय ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ एक ‘संस्थागत पूर्वाग्रह’ है, क्योंकि उन्होंने छह साल की एक बच्ची से बलात्कार से जुड़े POCSO (बच्चों को यौन अपराध से संरक्षण कानून) के एक मामले में सुनवाई एक ही दिन में ही पूरी कर ली थी।
राय ने कहा कि उन्होंने एक अन्य मामले में एक आरोपित को चार दिन की सुनवाई में के बाद दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। उन्होंने कहा किया कि उनके ये फैसले व्यापक रूप से सुर्खियों में छाए रहे। इसके लिए उन्हें सरकार तथा जनता से सराहना भी मिली।
अररिया के सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय ने 6 साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले की सुनवाई एक दिन में पूरी कर ली थी। वहीं, एक अन्य मामले में उन्होंने छह दिन की सुनवाई में आरोपित को मौत की सजा सुनाई थी। जज राय के इस त्वरित निर्णय पर पटना हाईकोर्ट ने निलंबन का यह निर्णय लिया था।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, आपने सुनवाई की और आरोपित को एक दिन में ही उम्रकैद की सजा सुना दी। इस तरह नहीं होना चाहिए। मामलों को लंबित होना एक मुद्दा है और मुद्दों के प्रति दृष्टिकोण एक अलग मुद्दा है।”
पीठ ने कहा, “शीर्ष अदालत के अनेक फैसले हैं जिनमें उसने कहा है कि सजा उसी दिन (सुनवाई पूरी करके) नहीं सुनाई जानी चाहिए। हमारे हिसाब से यह न्याय का उपहास होगा कि आप उस व्यक्ति को पर्याप्त नोटिस, पर्याप्त अवसर तक नहीं दे रहे जिसे अंतत: मौत की सजा मिलने वाली है।”