दिल्ली के चॉंदनी चौक इलाके के हौज काजी में 30 जून को मंदिर में तोड़-फोड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। कट्टरपंथियों की हिंसक भीड़ ने यहाँ के एक दुर्गा मंदिर में घुसकर न केवल मूर्तियों को तोड़ा, बल्कि स्थानीय हिन्दुओं के मुताबिक मंदिर में पेशाब भी किया। 9 जुलाई यानी मंगलवार को इस मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए विहिप ने अनुष्ठान और स्थानीय लोगों के लिए भंडारा रखा था।
प्राण-प्रतिष्ठा के इस कार्यक्रम से आई एक तस्वीर जिसमें कुछ मुस्लिम हिन्दुओं को खाना परोसते नजर आ रहे थे, को मीडिया ने हाथोंहाथ लिया। इस तस्वीर के बहाने लुटियंस मीडिया ने मुस्लिमों के सद्भाव को दिखाने और हिन्दुओं के दर्द को दबाने की कोशिश की। लेकिन, इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े हिन्दू एक्टिविस्टों का कहना है कि अनुष्ठान में हौज काजी के कट्टरपंथियों ने कोई सहयोग नहीं किया और उनका साम्प्रदायिक सद्भाव केवल तस्वीरें खींचवाने तक ही सीमित था।
अनुष्ठान की कई तस्वीरें सामने आई थी। इसमें से वायरल हुई तस्वीर में दो-तीन मुस्लिम हिन्दुओं को खाना बाँट रहे थे। मीडिया इस तस्वीर पर मंत्रमुग्ध हो गया। सीएनएन न्यूज 18 ने कहा कि अनुष्ठान के दौरान भोजन परोस हौज काजी के मुस्लिमों ने साम्प्रदायिक सद्भाव प्रदर्शित किया। हिन्दुस्तान टाइम्स ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि मुस्लिमों ने मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा में भी योगदान दिया।
लेकिन, हौज काजी में अनुष्ठान के दौरान मौजूद हिन्दू एक्टिविस्ट से जब ऑपइंडिया ने बात की तो एक अलग ही तस्वीर सामने आई। दुर्गा मंदिर में हुए अनुष्ठान में शामिल अविरल शर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम विहिप ने आयोजित किया था और इसके लिए मंदिर में तोड़-फोड़ से आहत पूरी दिल्ली के हिन्दुओं ने दान दिया था। लेकिन, हौज काजी के कट्टरपंथियों ने फूटी कौड़ी नहीं दी। शर्मा के मुताबिक प्राण-प्रतिष्ठा में कट्टरपंथियों द्वारा सहयोग किए जाने की खबरें झूठी हैं।
वायरल हुई तस्वीर को लेकर उन्होंने बताया कि फतेहपुरी मस्जिद के इमाम एक टेबल पर पानी बाँट रहे थे। इलाके के ज्यादातर हिन्दुओं ने इसे तवज्जो नहीं दी। यहाँ तक कि जिस टेबल पर खाना बाँटते हुए मुस्लिमों की तस्वीर सामने आई है, वह टेबल भी दुर्गा मंदिर के सामने विहिप की ओर से ही लगाया गया था।
अनुष्ठान में मौजूद एक अन्य एक्टिविस्ट आयुष गुप्ता ने भी अविरल की बातों का समर्थन करते हुए बताया कि अनुष्ठान में इलाके के कट्टरपंथियों ने कोई सहयोग नहीं किया। एक अन्य एक्टिविस्ट विशाल शर्मा ने बताया,“प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान वे मौजूद भी नहीं थे। तस्वीर केवल मीडिया में अपना पक्ष उभारने और हिन्दुओं के दर्द को दबाने की कोशिश है।” अविरल के अनुसार अमन समिति के सदस्य केवल तस्वीर खींचवाने पहुँचे थे और फोटो सेशन पूरा होते ही वहाँ से निकल गए।