राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मजहब विशेष की महिलाओं के एक समूह द्वारा साम्प्रदायिक घृणा फैलाने का वीडियो सामने आया था। इसमें हिंसा और देशद्रोह की बातें की जा रही थी। इस मामले में हैदराबाद पुलिस ने देशद्रोह का मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन मजहब विशेष की इन आरोपित महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इन महिलाओं के समर्थन में भी समुदाय विशेष के लोग आवाज उठा रहे हैं।
तेलंगाना के गृह मंत्री महमूद अली ने मामला दर्ज किए जाने को लेकर जॉंच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि न केवल हैदराबाद, बल्कि दिल्ली के मजहब विशेष वाले भी इनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से आहत हैं। इसे देखते हुए मामले की जॉंच के आदेश दिए गए हैं। मंत्री ने कहा है कि सरकार और पुलिस राज्य में शांति बहाली के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन, जब देश भर के उलेमा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हैं तो ये महिलाएँ कैसे विरोध कर सकती हैं?
मजलिस बचाओ तहरीक (MBT) के अमजदुल्ला ख़ान ने भी इन महिलाओं का बचाव किया है। उनका कहना है कि यह साफ नहीं है कि किस आधार पर पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ आरोप लगाए हैं। वे ईदगाह में नमाज अता करने के लिए थी। जो कुछ भी हुआ वह चार दीवारी के भीतर हुआ। आरोप लगाकर पुलिस ने एक विवाद पैदा किया और इसे सुर्खियों में ला दिया। खान के मुताबिक जो वीडियो सामने आया है वह भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने पूछा कि आखिर 30 से 50 महिलाएँ कैसे किसी मुल्क को चुनौती दे सकती हैं?
गौरतलब है कि इस मामले में हैदराबाद की सईदाबाद पुलिस ने शुक्रवार (15 नवंबर) को मौलाना अब्दुल अलीम इस्लाही की बेटियों- शबीस्ता, ज़िले हुमा के अलावा मजहबी समूह की अन्य महिलाओं के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।
इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ, इसमें देखा सकता है कि किस तरह से महिलाओं के समूह ने अयोध्या के फ़ैसले के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करने के लिए सामूहिक रूप से कई नारे लगाए। सामने आए इस वीडियो में, महिलाओं ने एकजुट होकर नारे लगाते हुए कहा, “तोड़ेंगे-तोड़ेगे, राम मंदिर तोड़ेंगे, लाठी-गोली खाएँगे, बाबरी मस्जिद बनाएँगे, हमारी आरज़ू शहादत-शहादत।”
इसके अलावा, नारा-ए-तक़बीर और अल्लाहु-अकबर के नारों के साथ, महिलाओं ने अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को तोड़ने और बाबरी मस्जिद को हर हाल में लेकर रहने की बात भी कही।
ख़बर के अनुसार, मजहबी समूह के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153-ए एंड बी (दो समुदायों के बीच दुश्मनी और नफ़रत को बढ़ावा देना) और 295-ए (जानबूझकर और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के लिए दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला भी दर्ज किया गया है। सेक्टर सब-इंस्पेक्टर डीडी सिंह ने स्टेशन हाउस ऑफ़िसर के पास शिक़ायत दर्ज कराई थी, जिस पर पुलिस ने FIR दर्ज की थी।
इस मामले पर लीपापोती की कोशिश मीडिया का एक धड़ा भी कर रहा है। सियासत टीवी चैनल ने इस मामले पर जो ख़बर चलाई थी उसमें कहीं इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि महिलाओं ने दो सम्प्रदायों के बीच धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया है। देश में अराजकता फैलाने के उद्देश्य से भरे इस कृत्य की रिपोर्टिंग बिलकुल सीधे और सपाट तरीक़े से की गई, जैसे उसे इस तरह की भड़काऊ विषय-वस्तु पर कोई आपत्ति ही न हो।