Wednesday, November 13, 2024
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…2008 में भी इसी IPS अफसर ने किया था 3 का इनकाउंटर, फेंका गया था कॉलेज की 2 लड़कियों पर एसिड

वीसी सज्जनार 2008 में वारंगल के एसपी थे, जहाँ एसिड फेंकने वाली यह घटना हुई थी। हैदराबाद की खबर के जैसे ही एसिड फेंकने वाले तीनों आरोपितों का तब इनकाउंटर किया गया था। शायद तब भी मानवाधिकार की आवाज उठी होगी। उठ तो आज भी रही है लेकिन...

भारतीय मीडिया में आज सुबह से जो खबर चल रही है, वो है हैदराबाद रेप-मर्डर की। रेप-मर्डर के घटना की नहीं बल्कि रेप-मर्डर करने वाले आरोपितों के इनकाउंटर की। हुआ यह कि पुलिस पूरे क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिए चारों आरोपितों को एनएच-44 पर लेकर गई थी। लेकिन, वहाँ पर चारों पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने चेतावनी देते हुए उन्हें रोका लेकिन वो भागते रहे। अंततः पुलिस ने उन पर गोली चला दी और मौका-ए-वारदात पर ही उन्हें वहीं ढेर कर दिया।

पशु चिकित्सक प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) के साथ गैंगरेप और उन्हें जिंदा जला देने के इस जघन्य अपराध की जाँच जो IPS अधिकारी कर रहे थे, उनका नाम है – वीसी सज्जनार (VC Sajjanar)। पुलिस इनकाउंटर में मारे गए आरोपितों के पक्ष-विपक्ष में अभी तमाम दलीलें आनी शुरू हो गई हैं। इस बीच हम आपको बता रहे हैं इस IPS अफसर से जुड़ा एक रोचक किस्सा।

वो साल 2008 था। तब वीसी सज्जनार वारंगल के एसपी थे। वहीं के काकातिया इंस्टिट्यूट में दो लड़कियाँ इंजिनियरिंग की पढ़ाई करती थीं – स्वपनिका और प्रनिथा। इनमें से स्वपनिका को श्रीनिवास नाम के एक लड़के ने प्रोपोज किया था। लेकिन स्वपनिका ने उसके प्रेम अनुरोध को ठुकरा दिया था, जो उसका अधिकार था। लेकिन श्रीनिवास चूँकि ‘मर्द’ था, इसलिए उसने इसे अपना अपमान समझा। बस फिर क्या! अपने दो दोस्तों पी हरिकृष्णा और बी संजय के साथ मिलकर उसने स्वपनिका के साथ-साथ प्रनिथा पर भी एसिड फेंक दिया।

वारंगल के एसपी वीसी सज्जनार ने आज सुबह की हैदराबाद की खबर के जैसे ही एसिड फेंकने वाले तीनों आरोपितों का तब इनकाउंटर किया था। शायद तब भी मानवाधिकार की आवाज उठी होगी। उठ तो आज भी रही है। इन्हीं आवाजों के बीच एक आवाज और भी उठी है – ‘प्रीति रेड्डी’ के पिताजी की। उनका कहना है कि मेरी बेटी (प्रीति) को अब शांति मिलेगी।

और ऐसा नहीं है कि इस तरह के जघन्य अपराध के बाद ऐसी त्वरित सजा की माँग सिर्फ पीड़िता के परिवार की ओर से ही उठती है। पिछले हफ्ते से ही सोशल मीडिया पर लोग वारंगल एसिड अटैक और इनकाउंटर को लेकर कहानियाँ गढ़ रहे थे, अपने-अपने ढंग की माँग कर रहे थे। इनकाउंटर कानून सही तो नहीं है लेकिन पुलिस कभी-कभी चेतावनी देने के बाद मजबूर हो जाती है गोली चलाने पर और वही गोली पैर की जगह शरीर के दूसरे हिस्सों में लग जाती है तो आरोपित की मौत हो जाती है। हैदराबाद में हुए इनकाउंटर में कितनी सच्चाई पुलिस की बातों में यह तो जाँच का विषय है, फिलहाल सोशल मीडिया पर ‘सही हुआ’ और ‘मानवाधिकार’ के बीच गरमा-गर्म बहस जारी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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