प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIMA) के लगभग 45 प्रोफेसरों द्वारा लोगो में बदलाव का विरोध करते हुए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को लिखे जाने के एक दिन बाद अब IIMA ने अपने लोगो को फिर से डिजाइन करने के विवाद पर सफाई दी है।
आईआईएम ने एक बयान में कहा कि मैनेजमेंट इंस्टूट्यूट ने अपनी वेबसाइट में सुधार करने के लिए लोगो को फिर से रिफ्रेश करने की जरूरत महसूस की है। इसलिए इसने फाइनल डिजाइन सिफारिशों के साथ आने के दौरान ‘मूल्यांकन, अन्वेषण, वर्डमार्क बनाने, ब्रांडमार्क बनाने’ के पहलुओं को ध्यान में रखा।
IIM Ahmedabad (IIM-A) issues a statement on its logo re-design pic.twitter.com/IU2l9dtpkU
— ANI (@ANI) April 1, 2022
आईआईएम-ए ने कहा कि नया लोगो पिछले लोगो की विरासत को पहले की ही तरह रखेगा। इसके साथ ही इसके मूल रूप में ‘विद्याविनियोगदिविकासः’ की लाइन को बनाए रखेगा। आईआईएम की कहना है कि वो इसके मूल लोगो में केवल मामूली सा बदलाव कर रहा है। ये बदलाव इसके कलर और फॉन्ट में है।
अपने बयान में आईआईएम ने कहा, “प्रस्तावित लोगो ओरिजिनल लोगो की विरासत को जारी रखता है, इसकी संस्कृत में (विद्याविनियोगदिविकासः) स्टेटस लाइन को भी ओरिजिनल ही रखा गया है। कलर और फॉन्ट का आधुनिकीकरण किया गया है, जाली से प्रेरित ब्रांड चिह्न को और अधिक अनुकूल बनाया गया है। डिजिटल मीडिया में कम्युनिकेशन और ब्रांड के नाम को और अधिक विशेष बनाया गया है।”
प्रबंधन संस्थान ने ये भी कहा कि प्रस्तावित नया लोगो इसी साल जून में होने वाले वार्षिक छुट्टी के बाद जारी होगा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि हमने 31 मार्च 2022 को बताया था कि IIMA द्वारा सिदी सैय्यद मस्जिद की जाली और संस्कृत के पद्य ‘विद्याविनियोगदिविकासः’ (ज्ञान के प्रसार से विकास) से प्रेरित ‘ट्री ऑफ लाइफ’ के लोगो बदलने के विरोध में करीब 45 प्रोफेसरों ने इसको लेकर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को पत्र लिखा था।
संस्थान के मेंबर ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि उन्हें लोगों बदलने की प्रक्रिया में शामिल ही नहीं किया गया। फैकल्टी को इस बात की चिंता सता रही थी कि संस्थान का नया लोगो आईआईएम की विरासत और उसके उद्देश्य की पहचान से मेल नहीं खाता है। संस्थान के प्रोफेसरों का कहना था कि आईआईएम का मूल लोगो जाली और संस्कृत की लाइन उसे और उसके भारतीय लोकाचार को परिभाषित करती है।
ऑपइंडिया को आईआईएम के करीबी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित लोगो में इसके मौजूदा फीचर्स के अलावा मूल लोगो की विशेषताएँ पहले जैसी ही बनी रहेंगी, जैसा कि संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित अपने हालिया बयान में कहा है।