Sunday, November 17, 2024
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SC के जस्टिस सूर्यकांत और परदीवाला पर महाभियोग चलाने को लेकर कैंपेन, हर सेकेंड जुड़ रहे लोग: नूपुर शर्मा के गले डाल दी थी कन्हैया लाल की बर्बर हत्या

याचिका में कहा गया कि ऐसे मामलों में सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथी और तालिबान जैसी भारत विरेधी ताकतों को शह मिलती है और हिंदुओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए बुरा दिखाया जाता है।

भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नुपूर शर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद सामान्य जन न्यायधीशों द्वारा की गई टिप्पणी से खासे नाराज हैं। अभी तक जहाँ सोशल मीडिया पर इस वजह से केवल उनकी निंदा हो रही थी। वहीं अब उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की माँग की जा रही है। इस संबंध में सोशल मीडिया पर हस्ताक्षर अभियान भी चला हुआ है।

हिंदू आईटी सेल के विकास पांडे ने अपने ट्वीट में इसकी जानकारी देते हुए कहा, “मैंने एक याचिका बनाई है जो सांसदों को दी जाएगी। ये जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे.बी परदीवाला के खिलाफ महाभियोग कार्रवाई शुरू करवाने की ओर एक कदम है। याचिका पर हस्ताक्षर करें!”

बता दें कि www.change.org प्लेटफॉर्म पर चलाई जा रही इस याचिका को खबर लिखने तक करीब 10 हजार लोगों द्वारा साइन किया जा चुका है। इसके भीतर सांसदों को संबोधित करते हुए कहा गया, “सभी सांसदों, ये जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला के विरुद्ध महाभियोग चलवाने के लिए शुरुआत है।”

याचिका में देश के हालातों पर चिंता व्यक्त करते हुए नुपूर शर्मा का केस उठाया गया। इसमें कहा गया कि कैसे जान का खतरा होने के कारण विभिन्न राज्यों में हो रही शिकायतों को एक जगह क्लब करने के लिए नुपूर ने देश के सबसे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन जब सुनवाई की बारी आई तो न्यायधीशों ने मामला सुने बिना ही उन्हें देश में हिंसा भड़काने और उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या का अकेला जिम्मेदार ठहरा दिया।

याचिका में कहा गया कि ऐसे मामलों में सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथी और तालिबान जैसी भारत विरेधी ताकतों को शह मिलती है और हिंदुओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए बुरा दिखाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया। साथ ही बिन किसी तथ्य के इस तरह गैरकानूनी टिप्पणी की। ये देश के मूल्यों और नैतिकता के खिलाफ है। इसलिए दोनों जस्टिसों पर महाभियोग चलाने की माँग इस याचिका में की गई है।

बता दें कि इस याचिका को मिल रहा समर्थन दिखा रहा है कि कैसे लोगों में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणी से नाराजगी है। वह लोग इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्यों आखिर तालिबान तक ने सुप्रीम कोर्ट को समर्थन दे दिया है और क्यों कोर्ट आतंकियों के लिए रात में खुलने लगा है? लोगों में गुस्सा है कि इस तरह एक महिला की याचिका पर टिप्पणी कर न्यायपालिका का मजाक बनाया गया है।

महाभियोग से क्या होगा?

उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के खिलाफ कार्रवाई के लिए महाभियोग ही वह प्रक्रिया है जिसका अनुसरण करके फैसला लिया जाता है। मौजूदा जानकारी बताती है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में है। इसमें कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के किसी जस्टिस पर कदाचार और अक्षमता के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है। अनुच्छेद 124 में में जजों को उनके पद से हटाए जाने का भी प्रावधान है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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