Sunday, April 28, 2024
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मोदी सरकार में रुपया भी हुआ ग्लोबल, UAE को पहली बार कच्चे तेल के बदले भारतीय मुद्रा में किया भुगतान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में भारत अपनी मुद्रा रुपए की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है। इसके तहत भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से खरीदे गए कच्चे तेल (Crude Oil) का भुगतान वैश्विक मुद्रा के रूप में स्वीकृत अमेरिकी डॉलर के बजाय रुपए में किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में भारत अपनी मुद्रा रुपए की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है। इसके तहत भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से खरीदे गए कच्चे तेल (Crude Oil) का भुगतान वैश्विक मुद्रा के रूप में स्वीकृत अमेरिकी डॉलर के बजाय रुपए में किया है। कच्चे तेल के लिए UAE को भारत द्वारा रुपए में किया गया यह पहला भुगतान है।

भारत दुनिया तीसरा का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। इस तरह वैश्विक स्तर पर स्थानीय मुद्रा को बढ़ावा देकर भारत ने एक रणनीतिक कदम उठाया है। भारत का यह कदम तेल आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने, लेनदेन की लागत में कटौती करने और रुपए को व्यापार निपटान मुद्रा के रूप में स्थापित करने के भारत द्वारा किए जा रहे व्यापक प्रयासों का यह हिस्सा है।

बताते दें कि 11 जुलाई 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आयातकों को रुपए में भुगतान करने और निर्यातकों को स्थानीय मुद्रा में भुगतान करने की अनुमति दी थी। हालाँकि, अधिकारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीयकरण एक सतत प्रक्रिया है और वर्तमान में इसका कोई विशेष लक्ष्य नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पिछले तीन वर्षों में सीमा पार भुगतान में रुपए के उपयोग को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में एक दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय बैंकों को रुपए में व्यापार करने की अनुमति दी है। RBI ने अब तक 22 देशों के साथ रुपए में व्यापार की सहमति बना चुका है।

दरअसल, जुलाई में भारत ने रुपए में निपटान के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) को अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) से दस लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय रुपए में भुगतान करना पड़ा। इसके अतिरिक्त, कुछ रूसी तेल आयात का निपटान भी रुपए में किया गया है।

अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत उसका 85 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है। इसको देखते हुए भारत ने एक रणनीति अपनाई है, जिसमें सबसे अधिक लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ताओं से सोर्सिंग, आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने पर जोर दिया गया है। रूसी तेल आयात में वृद्धि के दौरान देश को इस रणनीति से अरबों डॉलर की बचत हुई।

हालाँकि, कुछ देशों के साथ ही गैर-तेल व्यापार समझौतों में व्यापार का निपटान रुपए में करने में सफलता मिली है, लेकिन तेल निर्यातक देश रुपए में लेनदेन से संकोच करते रहे हैं। अब रूस के बाद संयुक्त अरब अमीरात द्वारा इस दिशा में आगे बढ़ने के बाद स्थानीय मुद्रा को वैश्विक स्तर पर स्वीकार करने में सफलता मिलेगी।

उधर, संसद की स्थायी समिति को संबोधित करते हुए तेल मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि नियामक दिशानिर्देशों का पालन करने वाले आपूर्तिकर्ताओं को कच्चे तेल का भुगतान भारतीय रुपए में किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय रुपए का उपयोग करके भुगतान करने में बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय रुचि नहीं है, क्योंकि आपूर्तिकर्ता धन के प्रत्यावर्तन और उच्च लेनदेन लागत से सावधान हैं।

वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में भारत ने 232.7 मिलियन (2.32 करोड़) टन कच्चे तेल के आयात पर 157.5 बिलियन डॉलर (लगभग 13 लाख करोड़ रुपए) खर्च किए। भारत को कच्चा तेल निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में इराक, सऊदी अरब, रूस और संयुक्त अरब अमीरात हैं। इनका पश्चिम एशिया की कुल आपूर्ति में 58 प्रतिशत का योगदान है। ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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