गुरुग्राम में सड़कों पर नमाज़ का विरोध करने वाले हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने आतंकवादी कहा है। बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने सड़कों पर नमाज़ रोकने का आदेश देने वाली हरियाणा सरकार के निर्णय को बीच नाजायज करार दे डाला है। मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी के मुताबिक यह फैसला कबूल नहीं है। यह बयान बोर्ड ने 12 दिसंबर (रविवार) को जारी प्रेसनोट में दिया है।
मुसलमानों को जुमा की नमाज़ से रोकना हरियाणा सरकार का नाजायज़ और अस्वीकार्य कृत्य
— Khalid Saifullah Rahmani (@hmksrahmani) December 12, 2021
मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वक्तव्य pic.twitter.com/4EDr2KxFi5
अपने बयान में मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने गुरुग्राम को गुड़गांव कह कर सम्बोधित किया है। आगे कहा है कि गुरुग्राम में मुस्लिम समाज के लोग बड़ी तादाद में नौकरी करते हैं। इसी के साथ जगह की कमी का दोष भी सरकार पर डालते हुए लिखा गया है कि सरकार ने अपनी तरफ से नमाज़ियों के लिए मस्जिद नहीं बनवाई। ऐसे में मुसलमान खुले स्थानों में नमाज़ अदा करने पर मजबूर हैं।
प्रेसनोट में नमाज़ी मुस्लिमों को तकलीफ सहने वाला लिखा गया है। बताया गया है कि खुले में नमाज़ पढ़ने वाला नमाज़ी धूप और बारिश सहता है। ऐसे में सरकार का खुले में नमाज़ न पढ़ने देने का फैसला मुस्लिमों पर जुल्म है। पत्र में वक़्फ़ की अनेक जमीनों को कब्ज़े वालों द्वारा न लौटाने की बात कही गई है। इसी के साथ जुमे की नमाज़ की अदायगी का समय 1 घंटे बता कर इसे बहुत कम आँका गया है।
पत्र में आगे खट्टर सरकार के फैसले की निंदा करते हुए मुस्लिमों की नमाज़ पढ़ने की समस्या को सरकार द्वारा दूर करने को कहा गया है। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), विश्व हिंदू परिषद् (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को आतंकवादी शब्द से सम्बोधित किया गया है। उनके लिए कानूनी रूप से सज़ा की माँग की गई है।
इस प्रेसनोट के जारीकर्ता डॉ. मुहम्मद वक़ारुद्दीन लतीफ़ी हैं जिन्होंने अपना पद कार्यालय सचिव के रूप में लिखा है।