सीएए के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML ) सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई है। मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून पर तत्काल रोक लगाने की माँग की है। आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट ऐप्लिकेशन देकर कहा है कि यह कानून असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। यह मुस्लिमों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों के खिलाफ किसी तरह का एक्शन न लिया जाए।
बता दें कि जब ये कानून बनाया गया था, तब भी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ही सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी। इस कानून को 11 दिसंबर 2019 को संसद ने पास किया था और अगले दिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी और उसी दिन इंडियन यूनियम मुस्लिम लीग सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने नए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियम 2024 पर रोक लगाने की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है। याचिका में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के विवादित प्रावधानों के निरंतर संचालन पर रोक लगाने की माँग की गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कहा है कि इस विषय पर पहले ही याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इस आदेश को अभी लागू करने से रोका जाए।
याचिका के मुताबिक, सीएए के तहत फास्ट ट्रैक तरीके से ये पहचान किया जाए गा कि कौन से लोगों को ‘अवैध प्रवासी’ नहीं घोषित किया जाए, चूँकि इस कानून में साफ शब्दों में धार्मिक आधार पर विभाजन की बात है, जिससे धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करता है। ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत सही नहीं है। ऐसे में ये कानून असंवैधानिक है।
याचिका में ये भी माँग की गई है कि “चूँकि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा की जड़ पर हमला करता है, जो संविधान की मूल संरचना है। इसलिए इसमें बदलाव किया जाए इसे धर्म तटस्थ बनाया जाए, ताकि सभी प्रवासियों को उनकी धार्मिक स्थिति को देखे बगैर एक बराबर मूल्यों के आधार पर नागरिकता प्रदान की जाए।”
#Breaking Indian Union Muslim League files plea before Supreme Court to STAY the new CAA Rules 2024#CAA #SupremeCourt pic.twitter.com/87ytxGedMj
— Bar & Bench (@barandbench) March 12, 2024
गौरतलब है कि भारत सरकार ने सोमवार (11 मार्च, 2024) को CAA (नागरिकता संशोधन कानून) को देश भर में लागू करते हुए इसके नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित हुए अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी) को भारत की स्थायी नागरिकता मिलेगी। जो 31 दिसंबर, 2014 तक विस्थापित होकर भारत आ गए थे, ये कानून उनके लिए है।
2019 के इस कानून को लागू करते हुए एक ऑनलाइन पोर्टल भी जारी किया गया है, जिसका इस्तेमाल कर के आवेदन दाखिल किया जा सकेगा। लोकसभा चुनाव के लिए अचार संहिता लागू होने से पहले ये कदम उठाया गया है। जिन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता चाहिए, उन्हें ‘https://indiancitizenshiponline.nic.in/‘ वेबसाइट पर जाना होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय स्पष्ट कर चुका है कि इसके लिए सारे आईदान पूर्णरूपेण ऑनलाइन माध्यम से ही स्वीकृत किए जाएँगे। इस लेख के माध्यम से जानें कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किस तरह से किया जा सकता है।