“तुझे कोठे की रंडी बनाएँगे, तेरे सामने तेरी बेटी की…, अल्लाह हू अकबर बोलते हुए घर में घुस गए, मुसलमान बनाकर छोड़ेंगे, काटकर नाले में फेंक देंगे…”
इस तरह के कई दावे एक बुजुर्ग महिला और उसकी बेटी के करते वीडियो आपने देखे होंगे। यह बुजुर्ग महिला निवासपाल चौधरी की पत्नी हैं। वीडियो में दिख रही युवती आरती चौधरी, उनकी बेटी है। चौधरी परिवार के साथ दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश से सटे गढ़ी गाँव में रहते हैं। इस मामले में जिन पर मुख्य रूप से आरोप हैं, वे शमशाद और उनके बेटे हैं।
मामले की तफ्तीश के क्रम में रविवार को (11 जुलाई 2021) को हम गढ़ी गाँव पहुँचे। इस गाँव की एक इमारत के पहले फ्लोर के एक फ्लैट में निवासपाल चौधरी का परिवार रहता है। नीचे शमशाद की कपड़ों की दुकान है। आरती ने ऑपइंडिया को बताया कि वह खुद लॉ ग्रेजुएट है। उसका एक छोटा भाई है जो मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं है। बुजुर्ग माँ-बाप हैं। पिता को दो बार हर्ट अटैक हो चुका है और वे ज्यादा बोलने में सक्षम नहीं हैं।
आरती का दावा- कपड़ा कारोबार की आड़ में धर्मांतरण
बकौल आरती उसने जुलाई 2020 में पहली बार अमर कॉलोनी थाने में शमशाद और उसके बेटों के खिलाफ छेड़छाड़, जान से मारने की धमकी और अभद्र भाषा के इस्तेमाल को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। आरती का दावा है कि शमशाद और उसके बेटे कपड़े के कारोबार की आड़ में ब्लू फिल्म बनाने और धर्मांतरण का काम करते थे। इसको लेकर आवाज उठाने पर उसके साथ इस घटना को अंजाम दिया गया। इसके बाद उसने पुलिस से शिकायत की पर मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरती ने इस संबंध में डीसीपी, दिल्ली महिला आयोग को भी लिखा था। इससे संबंधित सारे दस्तावेज ऑपइंडिया के पास उपलब्ध हैं।
आरती ने बताया कि जुलाई 2020 में शिकायत करने के बाद शमशाद और उसके बेटे उस पर शिकायत हटाने का दबाव बनाने लगे। उन्हें लगातार धमकाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि 30 जून 2021 को 60-70 लोगों के साथ शमशाद और उसके बेटे उनके घर में घुस गए। यह भी दावा है कि ये लोग शाहीनबाग/ओखला से आए थे, जहाँ शमशाद का निवास है। इस संबंध में भी उसने पुलिस से शिकायत कर रखी है।
जब हम पहुँचे तो क्या हुआ
जब इस बिल्डिंग में मैंने प्रवेश किया तो एक व्यक्ति ने मुझे रोकने की कोशिश की। उसका दावा था कि वह इस गाँव का रहने वाला और कोई कैसे घुस सकता है। मैंने उसे परिचय दिया और बताया कि पीड़ित परिवार से उनका पक्ष जानने जा रहा हूँ। उसने मुझे रोकने की कोशिश की। दिलचस्प यह है कि यह व्यक्ति शमशाद की दुकान में ही बैठा था। हालाँकि उस वक्त शमशाद और उनके बेटे दुकान पर मौजूद नहीं थे। कुछ देर बातचीत के बाद वह व्यक्ति भी मेरे साथ आरती चौधरी के घर गया। आरती चौधरी जिस फ्लैट में रहती हैं वहाँ तब कुछ हिंदुवादी संगठन के लोग भी मौजूद थे। इनको देख वह व्यक्ति और भड़क गया और उन पर भी दबाव बनाने की कोशिश की। वह बार-बार आरती चौधरी पर गाँव को बदनाम करने और माहौल खराब करने का आरोप लगा रहा था।
जब उससे उसका परिचय जानने की कोशिश की तो उसने नाम नहीं बताया, बस ये कहता रहा कि वह इसी गाँव का है और बचपन से शमशाद और उनके बच्चों को जानता है। आरती चौधरी के आरोप झूठे हैं। उसका वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसने रोक दिया और फिर वह उस फ्लैट से निकल गया। आरती चौधरी का दावा था कि यह आदमी अक्सर शमशाद की दुकान में बैठा रहता है। साथ ही यह भी कहा कि कुछ हिंदू जिनके व्यवसायिक हित शमशाद से जुड़े हैं वे भी उन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
शमशाद बता रहे संपत्ति विवाद
आरती चौधरी के घर से निकलने के बाद हमने शमशाद और उनके बेटे नदीम, जिस पर सबसे ज्यादा आरोप हैं, की खोज की। थोड़ी देर बाद शमशाद खुद दुकान पर आए। उन्होंने ऑपइंडिया से बातचीत में दावा किया कि ये पूरी बिल्डिंग उनकी और उनके पाटर्नर की। उनके पास कागजात हैं। काफी समय से आरती चौधरी किराया नहीं दे रही है और पूरे विवाद की शुरुआत इसी से हुई। इसके बाद उनके और उनके बेटों के खिलाफ उसने झूठी शिकायत कर दी। शमशाद ने भी पुलिस से शिकायत कर रखी है, जिसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास है। इसमें उन्होंने मारपीट, अश्लील हरकत करने और आपसी विवाद को हिंदू-मुस्लिम रंग देने का आरोप आरती चौधरी पर लगा रखा है।
शमशाद का कहना है कि 30 जून को विवाद होने के बाद उन्होंने सीसीटीवी कैमरे लगाए, जिसे आरती चौधरी के परिवार ने हटा दिया। इस संबंध में आरती चौधरी का कहना है कि उन लोगों पर नजर रखने के लिए कैमरे लगाए गए थे। फ्लैट को लेकर उनका दावा है कि ये उनका है। उन्होंने इसके बदले में पैसे दिए थे। जब पता चला कि यह गैर कानूनी है तो उन्होंने अपने पैसे वापस माँगे जो उन्हें नहीं दिया गया। वे दावा करती हैं कि संपत्ति के विवाद का इस पूरे प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। अपने गलत कार्यों को छिपाने के लिए शमशाद इसे प्रॉपर्टी विवाद से जोड़ रहे हैं।
पुलिस का क्या कहना है
आरती चौधरी का आरोप है कि बार-बार शिकायत के बावजूद शमशाद और उनके बेटों पर कार्रवाई नहीं हो रही और उनका पूरा परिवार डर के साए में जी रहा है। शमशाद का दावा है कि पुलिस ने जाँच की और कोई मामला ही नहीं निकला है। वे यह भी कहते हैं कि सीसीटीवी कैमरे भी उन्होंने पुलिस के कहने पर ही लगवाए थे। इस संबंध में अमर कॉलोनी थाने के एडिशनल एसएचओ संदीप कुमार से जब ऑपइंडिया ने बात की तो उन्होंने कहा कि 30 जून की हुई घटना को लेकर पुलिस कार्रवाई कर रही है। लेकिन पुलिस ने फिलहाल इसका विवरण साझा करने से इनकार किया है।। यह पूछे जाने पर कि पहली शिकायत आरती चौधरी ने जुलाई 2020 में ही की थी और उस मामले की जाँच कहाँ तक पहुँची है, उन्होंने बताया कि उस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में ज्वाइन किया है।
हमने अपनी पड़ताल में पाया कि इस मामले से संबंधित सभी पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन दो बातें स्पष्ट हैं। पहला, आरती चौधरी के आरोप बेहद गंभीर हैं। दूसरा, यह विवाद लंबे समय से चल रहा है। लिहाजा जरूरी है कि मामले की निष्पक्ष जाँच कर दोषियों पर कार्रवाई जल्द से जल्द हो।