उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में हिन्दू बच्चों को जबरदस्ती इस्लामिक प्रार्थना करवाने का मामला उजागर हुआ है। हैरानी की बात ये है कि इसका इल्जाम ग्यासपुर प्राथमिक विद्यालय द्वितीय के प्रिंसिपल पर ही लगा है। प्रिंसिपल का नाम फुरकान अली है। बताया जा रहा है कुछ दिन पहले इस स्कूल में मदरसे की प्रार्थना करवाते हुए एक वीडियो वायरल हुई थी। जिसके बाद विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत तहसील के एसडीएम से की। हिन्दू संगठनों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया। अब एसडीएम ने खंड शिक्षाअधिकारी उपेंद्र विश्वकर्मा को पूरे मामले की जाँच सौंपी हैं।
हालाँकि, फुरकान अली के अनुसार उनके ऊपर लगे सभी आरोप फर्जी हैं। उनका मत है कि उनके स्कूल में सरस्वती वंदना भी करवाई जाती है, मगर स्कूल में 90 फीसद बच्चे मुस्लिम होने की वजह से उनके आग्रह पर इस्लाम की प्रार्थना करवाई जाती है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार फुरकान अली ने अपने निलंबन पर कहा, “विद्यालय में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं। इसी लिहाज से यह दुआ वर्ष 2011 से करवा रहा हूँ। परिषदीय विद्यालय की पुस्तक में भी यह दुआ छपी हुई है। मेरी बात न सुनकर एकतरफा कार्रवाई की गई है।”
उल्लेखनीय है कि फुरकान अली के उक्त बयान के बाद विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेर में आ गई है। सवाल उठ रहे हैं कि जब आए दिन अधिकारी स्कूल का निरीक्षण करते थे, तो फिर ये मामला उजागर क्यों नहीं हुआ?
यहाँ बता दें कि साल 2011 से स्कूल में कराई जाने वाली मदरसे की प्रार्थना को करने में जब कुछ बच्चों को परेशानी हुई, तब उन्होंने अपने माता-पिता से इसकी शिकायत की। इसके बाद जब अभिभावकों ने स्कूल पहुँचकर इस पर आपत्ति जताई तो अधिकारियों ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। इसके अलावा पूरे मामले में सबसे अचंभित करने वाली बात ये भी है कि स्कूल के नजदीक ही खंड शिक्षा अधिकारी का कार्यालय है, जहाँ वे अपने विभागीय कार्य करते हैं। फिर भी उन्हें मदरसे की प्रार्थना के संबंध में कुछ नहीं पता था।
अब जब इस पूरे मामले में प्रमाण सहित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, तो अधिकारी मामले को दबाना चाहते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी 10 दिन पूर्व ही हिन्दू वाहिनी के कार्यकर्ता तहसील के एसडीएम के पास मामले को लेकर पहुँचे और पूरे प्रकरण से उन्हें अवगत करवाया। अब इसी शिकायत के आधार पर फुरकान अली का निलंबन हुआ है।