हरियाणा के मेवात के नूहं में हिंदुओं की ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा पर मुस्लिम भीड़ के हमले के एक सप्ताह बाद ही, घटना की वास्तविकता को बदलने की कोशिश की जा रही है। लोगों को भ्रमित करने के लिए झूठ का जाल बुना जा रहा है। इसकी शुरुआत की गई है अक्सर विवादों में रहने वाले विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों के एक समूह द्वारा।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रदर्शनकारी मुस्लिम छात्रों के अनुसार, नूहं में हिंदू भक्तों पर हमला करने वाले सशस्त्र हमलावर ‘पीड़ित’ थे, जबकि मुस्लिम कट्टरपंथी दंगाइयों के हाथों पीड़ित होने वाले हिन्दू ‘हमलावर’। हालाँकि, इसमें कुछ नया नहीं है, यह वही वामपंथी तरीका है जिसमें अक्सर मुस्लिम दंगाइयों को मासूम दिखाने की कोशिश की जाती रही है। ठीक उसी तरह नूहं में पीड़ित हिंदुओं को ही हमलावर के तौर पर प्रचारित करने की कोशिश जामिया मिल्लिया के छात्रों के इस समूह ने की है।
स्वराज्य पत्रिका की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रदर्शन का एक वीडियो साझा किया है। इसमें छात्रों के एक समूह को नूहं में हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए इसे ‘मुस्लिम विरोधी’ नरसंहार बताते देखा जा सकता है। इन छात्रों का कहना ने बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर हथियारों के साथ वहाँ जाने का आरोप लगाया गया है, जबकि स्थानीय लोगों का यह स्पष्ट कहना है कि वे पूरी तरह से ‘निहत्थे’ थे।
Visuals from Jamia university today: Left students’ union backed protest completely turning the reality of Nuh on its head, calling it “anti-Muslim pogrom”. Says Bajrang Dal people went to Nuh with weapons while locals were totally unarmed!
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) August 7, 2023
This whitewashing is happening even as… pic.twitter.com/Mg4CKzCUlk
यह लीपापोती तब की जा रही है जब जलाभिषेक यात्रा में भाग लेने वाले और क्षेत्र के नल्हड़ शिव मंदिर में हिंदू श्रद्धालुओं पर हमले की खबरों की भरमार है। पीड़ितों में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे।
जलाभिषेक यात्रा पर मुस्लिम भीड़ का हमला, राम मंदिर में बनाया बंधक
कई वामपंथी मीडिया संस्थानों और मुस्लिम समूहों द्वारा नूहं दंगों के आरोपितों के अपराध को छिपाने और लीपापोती की कोशिश तब हो रही है जब हिन्दुओं पर हमले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। जिसमें अल्लाह-हू-अकबर” के नारे लगाने, मुस्लिम भीड़ द्वारा की जा रही पत्थरबाजी, गोलीबारी और हमलों को देखा जा सकता है। यहाँ तक कि इस दंगे में दो होम गार्डों की जान चली गई और लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मी भीं घायल हो गए। मुस्लिम दंगाई भीड़ ने हिन्दुओं की जलाभिषेक यात्रा पर अचानक पथराव किया था और वाहनों में आग लगा दी थी। जिससे अभी तक कुल 6 लोगों के मौत की खबर है।
ऑपइंडिया ने इस मामले में दर्ज कई एफआईआर से जो जानकारी हासिल की है। उसके अनुसार, सब डिविजन टौरू के पीएचईएस के सब डिविजनल इंजीनियर आदीब हुसैन की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में से एक से पता चला हैं कि 400-500 की मुस्लिम दंगाई भीड़ ने नूहं के वार्ड नंबर 9 में राम मंदिर में 35-40 भक्तों को बंधक बना लिया था।
अपनी शिकायत में हुसैन ने कहा कि वह प्रबंध अधिकारी ओमबीर सिंह के साथ तैनात थे तभी मुस्लिम समुदाय के 700-800 दंगाइयों ने पथराव शुरू कर दिया और भक्तों और पुलिस कर्मियों पर अवैध हथियारों से गोलीबारी की। यहाँ तक कि दंगाइयों ने सरकारी और निजी वाहनों को भी जला दिया।
बता दें कि हमले के समय हुसैन और सिंह नूहं बस स्टैंड पर थे। तभी उन्हें सूचना मिली कि सैकड़ों दंगाइयों ने 35-40 श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया है और उन्हें वार्ड नंबर 9 में राम मंदिर में बंधक बना लिया। हुसैन ने उल्लेख किया कि मुस्लिम दंगाई भीड़ हिन्दुओं को राम मंदिर परिसर से बाहर नहीं जाने दे रही थी। जब वे घटनास्थल पर पहुँचे, तो 400-500 दंगाइयों ने लाठी, डंडे, पत्थर और अवैध हथियारों के साथ उन पर हमला बोल दिया।
पहले से थी हिंसा की प्लानिंग, 6 पीड़ितों में से 5 गैर-मुस्लिम
नूहं हिंसा में दो होम गार्ड के अलावा 4 अन्य लोग मारे गए हैं, जिनमें से 3 हिंदू थे। जलाभिषेक यात्रा में भाग लेने वाले अभिषेक राजपूत भी इसी खूनी दंगाई भीड़ के शिकार थे, दंगाइयों न केवल उन पर गोली चलाई, बल्कि उनका गला भी काट दिया और पत्थरों से उनका सिर कुचल दिया, जो कि तालिबान और आईएसआईएस आतंकवादियों के तरीकों से काफी मिलता-जुलता है।
दंगाई इस तरह से योजनाबद्ध थे कि उन्होंने जलाभिषेक यात्रा के दौरान न केवल जुलूस में भाग लेने वाले हिन्दुओं को शिकार बनाया, बल्कि स्थानीय हिंदू भी, इन मुस्लिम दंगाइयों के निशाने पर थे। भले ही उन्होंने जलाभिषेक यात्रा में भाग लिया हो या नहीं। इसी दंगाई भीड़ ने मिठाई विक्रेता शक्ति सैनी की भी हत्या कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैनी को दुकान से उठाकर कहीं और ले जाया गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई और फिर शव को उसी बड़कली चौराहे पर फेंक दिया गया, जिसके आसपास उनकी दुकान थी।
इसी तरह, एक हिंदू भक्त और बजरंग दल कार्यकर्ता, प्रदीप कुमार भी उस हिंसा का शिकार थे, जिसकी मुस्लिम दंगाइयों ने योजना बनाई थी। गिरफ्तार किए गए आरोपितों से पूछताछ में पता चला है कि कई व्हाट्सएप ग्रुप 21 जुलाई से 23 जुलाई के बीच बनाए गए थे। जिसमें 31 जुलाई को होने वाले हिन्दुओं की शोभायात्रा पर हमला करने के लिए पत्थर इकट्ठा करने और काँच की बोतलें इकट्ठा करने के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदारियाँ सौंपी गईं थी।
वहीं नूहं हिंसा पर मीडिया रिपोर्ट, मामले में दर्ज की गई एफआईआर, और साजिश की प्रकृति भी इसे पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम देने की तरफ इशारा करते हैं। फिर भी उनके वैचारिक भाई, लेफ्ट-लिबरल इकोसिस्ट, और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मुस्लिम छात्र जैसे कई लोग वास्तविकता को विकृत करने और पीड़ितों को हमलावर के रूप में प्रोजेक्ट करने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं।