“शरजील तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।”
“शरजील तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।”
“शरजील को रिहा करो।”
ये वो नारे हैं जो देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम के समर्थन में जामिया के छात्रों की रैली में गूँजा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने उसके समर्थन में मार्च निकाला। शरजील इमाम ने महात्मा गाँधी को सबसे बड़ा फासिस्ट नेता कहा था और नॉथ-ईस्ट इंडिया को शेष भारत से काट कर अलग करने के लिए समुदाय विशेष को उकसाया था। शरजील ही शाहीन बाग़ विरोध प्रदर्शन का मुख्य चेहरा था, जो घूम-घूम कर भड़काऊ भाषण दे रहा था। उसने मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर्स बाँटे थे। ऐसे में शरजील के समर्थन में जामिया के छात्रों का खड़ा होना संदेह पैदा करता है।
ये मार्च जामिया मिल्लिया इस्लामिया से लेकर ज़ाकिर नगर ढलान तक गया। इस मार्च में ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ जैसे मजहबी नारे भी लगाए गए। साथ ही कई अन्य नारों के जरिए मोदी सरकार का विरोध किया गया और शरजील इमाम का समर्थन किया गया। मार्च में शरजील इमाम पर ‘चुप्पी तोड़ने’ के भी नारे लगाए। इस मार्च में जामिया छात्र संगठनों के कई नेता भी शामिल हुए। एक छात्र नेता ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार शरजील इमाम और डॉक्टर कफील पर हमले कर रही है।
जामिया के छात्रों ने कहा कि शरजील इमाम की तरफ लोग धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं और लोगों को समझ आ रहा है कि चक्का-जाम करना राष्ट्रद्रोह नहीं है। छात्र नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसी पर भी यूएपीए और पीएसए लगा दे रही है। जामिया के छात्रों ने कहा कि माहौल ऐसा बना दिया गया है जैसे शरजील कोई देशद्रोही हो। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि देश में नफरत का माहौल बना दिया गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरजील इमाम की विचारधारा से डरते हैं।
छात्रों ने हज़ारों शरजील इमाम पैदा करने की बात कही। इससे पहले लखनऊ में भी शरजील इमाम के समर्थन में मार्च निकालने की कोशिश की गई थी लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों के कारण ये संभव नहीं हो सका।