उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश में अपराधियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलता देखने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर गया है। उन्होंने अपनी याचिका में अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यों को यह आदेश दे कि अदालत की अनुमति के बिना किसी के घर या दुकानों को न गिराया जाए। याचिका में मुख्य रूप से केंद्र सरकार के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात का जिक्र है।
जानकारी के अनुसार, ये याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से इमदादी कमेटी के सचिव गुलजार आजमी ने दायर की है। वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने बताया कि इस याचिका में उन्होंने माँग की है कि वह राज्यों को आदेश दें कि बिन कोर्ट की इजाजत के किसी के घर पर या दुकान पर बुलडोजर न चले।
उन्होंने कहा कि देश में मजहबी चरमपंथ और नफरत का माहौल है। अल्पसंख्यकों को, विशेष रूप से मुस्लिमों को धमकाने की साजिश चल रही है। मोहल्लों में मस्जिदों के सामने आकर उन्हें उकसाया जा रहा है, पुलिस की मौजूदगी में लाठी-डंडे लहराकर नारे लगाए जा रहे हैं और सब मूक दर्शक बने हुए हैं। ऐसा लगता है कि देश में न कोई कानून है और न सरकार जो उन्हें पकड़ सके।
BREAKING: Jamiat Ulama-I-Hind approached Supreme Court against use of bulldozers to raze houses of persons accused of crimes, says action of Union & State Government’s against Constitutional ethos, morality.
— LawBeat (@LawBeatInd) April 17, 2022
वह कहते हैं कि सांप्रदायिक ताकतें अब मुसलमानों का जीना दूभर कर रही हैं और केंद्र सरकार खामोश है। ऐसे में ये याचिका वकील सरीम नावेद ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की सलाह के बाद तैयार की है याचिका में अनुरोध है कि मुख्य न्यायाधीश इस मामले पर जल्द सुनवाई करें।
खरगोन हिंसा के आरोपितों के घर पर हाल में शिवराज सरकार का बुलडोजर चलता देख जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का ये कदम सामने आया है। अपराधियों के घरों पर चल रहे बुलडोजर से आहत मौलाना अरशद मदनी कहते हैं, “हमने देश के उत्पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने और देश के संविधान, लोकतंत्र को बचाने और कानून का राज बनाए रखने के लिए ये याचिका दाखिल की है। उम्मीद करते हैं हमें न्याय मिलेगा।”
इससे पहले इस संगठन ने गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था। पत्र में इन्होंने खरगोन हिंसा के आरोपितों के घर पर बुलडोजर चलाए जाने को चिंताजनक विषय कहा था। साथ ही ये दावा किया गया था मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है।