जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद इस केंद्रशासित प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इस साल के अंत तक यहाँ चुनाव प्रस्तावित है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) हृदेश कुमार सिंह ने बुधवार (17 अगस्त 2022) को एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस बार जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग भी वोट डाल सकेंगे। इनमें कर्मचारी, छात्र, मजदूर या देश के दूसरे राज्यों के वे व्यक्ति शामिल होंगे, जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं।
After the abrogation of Article 370, many people who weren’t voters in the Assembly can now be named on the voter list to cast their vote… and no person needs to be a permanent resident of the state/UT: Hirdesh Kumar, Chief Electoral Officer, J&K & Ladakh pic.twitter.com/QT9vzON5vK
— ANI (@ANI) August 17, 2022
प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब गैर-कश्मीरी वोट डाल सकेंगे। मतदाता सूची में उनका नाम जोड़ने का काम शुरू हो गया है। मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले कई लोग जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं कर सकते थे, लेकिन अब वे भी मतदाता बन सकते हैं।”
इसके लिए बूथ लेवल के अधिकारी, मतदाता सूची अधिकारी (ERO) और सहायक ईआरओ को नियुक्त कर दिया गया है। इनमें कर्मचारी, छात्र, मजदूर या देश के दूसरे राज्यों के वे व्यक्ति मतदाता सूची में अपना नाम जोड़वा सकेेंगे, जो जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि मतदाता बनने के लिए लोगों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी होना जरूरी नहीं है।
हृदेश कुमार सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में इस बार करीब 25 लाख नए वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने के आसार हैं। 15 सितंबर से वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो 25 अक्टूबर तक चलेगी।10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा होगा। वोटर लिस्ट में नाम को आधार कार्ड के जरिए जोड़ा जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अक्टूबर 2022 को या उससे पहले 18 साल पूरा करने वाले लोग अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 98 लाख लोग हैं, लेकिन वोटिंग लिस्ट में अभी 76 लाख रजिस्टर्ड हैं। धारा 370 हटने के बाद तीन साल पर मतदाता सूची अपडेट करने का काम हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई है। विधानसभा सीटों की संख्या में वृद्धि के साथ मौजूदा मतदाता सूची में व्यापक बदलाव आया है। अब नए ढाँचे के अनुसार, मतदाता सूची तैयार की जा रही है। केंद्र शासित प्रदेश में 600 मतदान केंद्र जोड़े गए हैं और अब कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11,370 हो गई है।
नए मतदाताओं के लिए विशेष शिविर
हृदयेश सिंह ने कहा कि आयोग घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना बना रहा है और योग्य मतदाताओं की जागरूकता के लिए शैक्षणिक संस्थानों में विशेष शिविर भी आयोजित करने की योजना बना रहा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आधार संख्या को मतदाता सूची के आँकड़ों से जोड़ने के लिए संशोधित पंजीकरण प्रपत्रों में प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग नए मतदाता पहचान पत्र जारी करेगा, जिसमें नई सुरक्षा विशेषताएँ होंगी। घाटी के बाहर रहने वाले कश्मीरी प्रवासियों के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी विस्थापित आबादी के लिए पहले से ही एक विशेष प्रावधान है, ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
हृदेश कुमार सिंह ने कहा, “कश्मीरी पंडित प्रवासी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए दिल्ली, जम्मू और उधमपुर सहित विभिन्न स्थानों पर उनके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और उन सभी को मतदाता पहचान पत्र दिए जाएँगे।” उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा मतदाता सूची में अपना नाम दाखिल करने की आशंका को खारिज कर दिया।